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मामूली से मिट्टी के बर्तन का भी बहुत ध्यान रखतीं हैं स्त्रियाँ उन्हें टूटने नहीं देतीं, उन्हें मत समझाइए कि संबंधों को कैसे सँवारा,सुधारा और सहेजा जाता है - Asha Saraswat
कहाँ ख़त्म होती हैं बातें… वक़्त ही कम पड़ जाता है , कुछ लोगों से सब कह लेने से मन हल्का हो जाता है ; भूल जाते हैं हम अपनी परेशानियाँ, दिल को सुकून मिल जाता है । कुछ लोगों के साथ होने से , ज़िंदगी का सफर आसान हो जाता है ।। - Asha Saraswat
परवाह क्यों करूँ कि कोई क्या कहता है , मेरी परिस्थिति मुझे पता है लोगों को नहीं … - Asha Saraswat
-जीवन का अनमोल जन- बस मॉं नहीं जानी चाहिए साहब क्योंकि मॉं के छोड़ जाने से जवानी के शौक और बचपन की नादानियाँ सब चली जाती हैं… - Asha Saraswat
सवाल ज़हर का नहीं था, वह तो मैं पी गई । तकलीफ़ लोगों को तब हुई, जब मैं जी गई…. - Asha Saraswat
https://www.matrubharti.com/book/19965445/perfect - Asha Saraswat
*दूसरों की सुनोंगे तो* *मुझे बुरा ही पाओगे,* *अगर खुद मुझसे मिलोगे तो* *वादा रहा,मुस्कराकर ही जाओगे।* - Asha Saraswat
अपने ही पहुँचाते हैं बात ग़ैरों तक फिर कहते हैं कि दीवारों के भी कान होते हैं
कैसे पहुँच गए राज ग़ैरों तक मशवरे तो हमने अपनों से किये थे..
दो अक्षर की “मौत” तीन अक्षर का “जीवन” में ढाई अक्षर का “दोस्त” बाज़ी मार जाता है
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