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वह जीवन है क्या, जो दूसरों पर न्योछावर ना किया, वह मानव ही क्या, जो सिर्फ खुद के लिए जिया। वो तकदीर ही क्या, जो दूसरों के काम न आई। वो मेहनत ही क्या, जिस से की सिर्फ अपने लिए कमाई। वो धन ही क्या, जो खर्च सिर्फ खुद पर किया। वो मन ही क्या, जिसमें न हो औरों के प्रति दया। वो सफलता ही क्या, जिस से बस खुद की हो भलाई। वो जिंदगी ही क्या, जो औरों पर न हो लुटाई। खुद के लिए तो जीते हैं सब, कभी औरों के लिए जी तो भाई।।
''Small achievements may sparkle, but only those who stay committed to their grand vision will shine like the stars they were meant to be.” - Arya Tiwari
तुमने सिर्फ़ मेरी हार देखी हैं तुमने मुझे लड़ते हुए नहीं देखा … ❗️❕ - Arya Tiwari
- Arya Tiwari
सब कुछ खत्म होजाता है लेकिन पढ़ाई खत्म ही नहीं होती है । समय भी निकल जाता है लेकिन हम सिर्फ दर्शक बनकर रह जाते है लोग भी बदल जाते है लेकिन ये मासूम दिल यू ही ठहर जाता है सब कुछ बीत रहा है हम महसूस करे या न करे समय निकल रहा है तुम ध्यान दो या ना दो
When you have a limited amount of time to make a decision, you're compelled to prioritize the most critical factors and information. This forces you to focus on what truly matters, rather than getting bogged down in trivial details or overthinking less important aspects of the decision.
अनुशासनहीन मन से अधिक उदंड और कुछ नहीं है, और अनुशासित मन से अधिक आज्ञाकारी और कुछ नहीं है।
"The cold water doesn't get warmer if you jump late."
खामोशी यह एक अभिव्यक्ति जो हरदम चुप्पी साधे दिखती यह अपने में समाये, संवेगों की मौन व्यथाये है ।। दुनिया सुनती शब्दो को खामोशी की व्यथा नही, अंतर्द्धद्ध में जलता हैं मन शब्दो मे ये बंधा नहीं।। ख़ामोशी का यह ज्वार विरह-वेदना को भी, निर्झर बहा देता काँटो से घिरकर भी गुलाब मौन बना सब सह जाता ।। खामोशी मन के तहखाने से सपनों में जिंदा लाशें है। कुछ अपनो का ठुकराना जीवन की घुटती सांसे है । जमाना क्या जाने इन एहसासों की गहराई जो खामोशी बन बैठीं अब मन की सच्ची प्रहरी ।।
अकेले चलने की तमन्ना मन में होना चाहिए, अकेले चलते चलते तेरा कल्याण होना चाहिए। कर खुद को ऐसा बुलंद की कल को, सिर्फ नाम तेरा हर जुबां पे होना चाहिए। बिन मांगे कोई सहारा तू हौले चलना चाहिए, मुश्किलों के बीच तेरा साहस न हिलना चाहिए। फिर चाहे कितनी आफत आ जाए, शीश सदा ही तेरा ऊपर उठना चाहिए। खुद को कर मजबूत इतना, गर्व खुद को होना चाहिए, जीत जाने की तमन्ना बस मन में होना चाहिए। अकेले चल कर पहचान ये लेना, सर उठा कर सदा चलने का साहस भी होना चाहिए। खुद को न हो खुद पर ग्लानि, ऐसे कर्म करना चाहिए, सदा मानवता का हो भला ऐसा धर्म करना चाहिए। न कभी मुड़कर पीछे देखना ओ रही, सदा आगे को चलते चलना चाहिए, ....... तू आगे चलते चलना चाहिए।।
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