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Arti Shukla

Arti Shukla

@artishukla4792


खुदा खैर करे ऐसे पौधे का
जिन्होंने पूरी उम्र इस वहम में गुजार दी की फूल पर हक उनका है

-Arti Shukla

चलो तुम कह देना हम मान लेंगे
रोना मुझे आता नही मुस्कुराना तुम सीखा ना पाए

तुमसे बेहतर तुम्हे कोई नहीं जानता
फिर क्या देखना चाहते हो मेरी आंखो में

मैने सारे रंग को खुद से दूर कर दिया
सोचा बेरंग सी जिंदगी में कयामत का रंग भरूं

कहते है तस्वीरे बोला करती है
तो फिर आंखे क्या कहती होगी

चलो आज वफाओं को थोड़ा और गहरा करते है
सुनामी सा इश्क़ है तेरा हमदम
हम उठते हुए तूफानों को आंखो में कैद करते है

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अधूरापन भी अच्छा है
पूरे होने की आस तो है
पल पल घटते बढ़ते चांद को पूर्णिमा की प्यास तो है
जैसे रात अमावस की जैसे चांद अधूरा है
तुम वेदना बन उतर आओ हृदय में की अभी प्यार अधूरा है

-Arti Shukla

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चलो आज ना कुछ कहा जाए
तुम बस देखते रहो और मैं खामोश तुझे महसूस करू

मुझे मेरे ना होने का मलाल नहीं ,,तेरे जिक्र में कुछ कुछ पूरी होती हूं ,,
अगर मैं बेवफा होती तो शायद महफ़िल रौशन करती,,,पर इल्म वफाओं का था इसलिए रातें तन्हा गुजरती हैं मेरी

-Arti Shukla

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कुछ धुंधली धुंधली सी इश्क़ है
एक बड़ा सा यादों का पिटारा है
चलो आज उन यादों से
थोड़ी मुलाकात की जाए

-Arti Shukla

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