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Anurag Rajput

Anurag Rajput

@anuragrajput1063


भारतीय समाज की, इक धुंधली सी तस्वीर हूँ,
कई बोझ कंधो पर उठाये, मैं देश का मज़दूर हूँ,

छत जो बचाती धूप से, है धूप में तपकर बनाई,
लाखों घरौंदे बनाकर, ख़ुद बेघर हूँ, घर से दूर हूँ,

विद्या के मंदिरों की, नींव खोदी हो स्वेद लथपथ,
जा न पाई स्कूल बिटिया, बेबस हूँ मैं, मज़बूर हूँ,

दौड़ती कारों के पीछे, है हमारी रातों की मेहनत,
इनमें बैठे पत्थर दिलों की, मैं आँख का नासूर हूँ,

वातानुकूलित दफ्तरों में, जो बैठ सपने देख डाले,
ख़्वाब वो करता हक़ीक़त, हाँ मैं देश का मज़दूर हूँ।

- अनुराग राजपूत

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