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रुक ठहर जा जिंदगी थक गया मन चलते चलते दो पल खुश तो हो लेने दे की कुछ नहीं पर कुछ तो है जो बहुत खूबसूरत है जीने के लिए ठहर जा जिंदगी की यादों को संजो लूँ फिर जीने के लिए ठहर जा की मन को मना लूँ फिर अपनों के लिए जीने के लिए
सुबह सुबह कुछ खो जाता है जब तुम मे खुद को नहीं पाती हूँ ढूढ़ती हूँ खुद को किसी कोने में वो कोना जो खाली है बरसों से, शायद कभी ना भरने वाला ढूढ़ती हूँ खुद को कभी ना पाने वाले कोशिश के साथ ढूंढ रही हूँ शायद खुद को खुद में
क्यू तुम अहसासों को हवा देते हो ख्वाब ही है टूट कर बिखर जाएंगे -Anshu Shah
जब साथ होते है तो बेपरवाह होते हो दूर होते ही यादे बेचैन कर देती है -Anshu Shah
चलो हम भी मान गए, जो तुमने चाहा एक ऐसा रिश्ता जो हो कर भी ना हो जब कहो तो मै तुम्हारा पर तुम कभी ना मेरे हो
ख्वाहिश नहीं है तुझे पाने की, तेरा होना भी नहीं चाहते है हम कुछ सूखे हुए फूल और टूटे हुए सपने काफी है जीने के लिए
चेहरे से पहचान बहुत मुश्किल हो गई मास्क के पीछे असलियत जो छुप गई
इस जिंदगी मे तुम मेरी आदत बन गए और आदत कोई भी हो ख़राब होती है
थक गए है हम वक़्त की रुसवाइयों से शक है की कभी कोई हमारा होगा ना भरोसा कर किसी की बातों का किस्मत पे हमारी एतबार है हमें
इश्क की उल्फत तो देखिये जनाब दिल मे बेचैनी और लब पे हसीं होती है -Anshu Shah
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