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क्या है ये पंछी जो खूले आसमान में उड़ता है वो या फिर जो पिंजरे में बंद है। जो उड़ रहा है वो थक चुका है और जो पिंजरे में बंद हैं वो उड़ाना चाहता है। उड़ते पंछी को दुनिया बहोट बड़ी लग रही है और पिंजरे वाले पंछी की तो दुनियां ही बहोत छोटी है। उड़ता पंछी कितना सुंदर लगता है और पिंजरे में बंद पंछी भी अच्छा ही लगता है। पर एक दिन उड़ते पंछी के पर कट जाते है और पिंजरे वाले पंछी का पिंजरा खुल जाता है। एक मायूस हो जाता है और दुसरा उड़ना सीखता है। एक दिन वो दोनो पंछी मिलते है आपस में बात करते है और दोस्त बनते है और यही दोस्ती उन्हें जीना सिखाती है।।
चाहे हम मिले ना मिले, चाहे हम पास रहे ना रहे, रहेंगे एक दूसरे के साथ हमेशा, थामे हाथो में हाथ।। _वानी_ शब्दों की खोज में
खुशनसीब है वो लोग जो ख़ुद के सपनों को जीते है, वरना खूली आंखों से सपनों को टूटते हमने देखा है।।। _ वानी_ शब्दों की खोज में
हम कभी जुदा हो नही सकते, क्यूकी तू मुझ में बसा है और में तुझ में।। _वानी _शब्दों की खोज में
जीने का शोख रखते थे कभी हम, नजाने आज क्यू मरने को दिल करता है, खुद को कभी तलाशा नहीं था, पर आज जब ख़ुद को तलाशा तो बेइंतेहा प्यार पाया तुम्हारे लिए।। _वानी_ शब्दों की खोज में
तेरी बाहों में ख़ुद को युह महफूज़ पाया कि भूल गई में के मेरा भी कोई वजूद है। @ वानी _ शब्दों की खोज में
थक गए हूं जिंदगी जीते जीते, चाहतीं हूं कुछ पल सुकून के मिले, पर लगता है यही के, उसके लिए तो आंखे बंद करनी पड़ेगी हमेशा के लिए।। @ वानी _ शब्दों की खोज में
आज किसी ने मेरी रूह को छुआ और फिर से ख़ुद के पूरे होने का ऐहसास हुआ।। # वानी _ शब्दों की खोज में
मत करो मुझसे इतनी उम्मीदें, की में पूरी ना कर पाऊ। दर्द अगर तुम्हे हुआ, तो आंसू निकलेंगे मेरी आंखों से।।
प्यार का ये कैसा इम्तेहान है मेरा प्यार तो बेपनाह है आपसे पर प्यार कर भी नहीं शकती ओर प्यार किए बिना रह भी नहीं शकती। - वानी - शब्दों की खोज में
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