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गुजर जाते हैं वो नज़र फेर कर और हम अब भी खड़े हैं, उसी गुज़रगाह पर उनके दिए ज़र्ब लिए। -Anchal Ashish
इक कौल तेरा था सरहदों से गर तो इक कौल तेरा था मुझसे भी तहफ्फुज है सरहदें मगर मुंतशिर हैं तेरी उल्फत में हम -Anchal Sinha
हम इंतजार करते रहे तुम्हारे लौट आने का और तुम मुतासिर होते रहे जमाने भर की बातों से। - आँचल आशीष
संबंधित हैं आकाश औ धरा, संबंधित हैं मैं औ तुम, कैसा ये संबंध दुःख औ सुख का, दुःख बिन सुख की कल्पना नहीं, सुख बिन दुःख की कल्पना नहीं। ___ आंचल
बावरा मन बुने सपने, इन्द्रधनुष के रंगों सा, छलिया; तुझमें ढूंढे मन, उज्ज्वल किस्मत अपनी।। ___ आंचल
सदियां बीत गई, दिन; रात बने, सुबह; शामें बन गईं, लम्हें; गुजरते ही रहे, पर तुम ना आए, मुझे आश्चर्य है, क्यूं करती रही, मैं इंतजार एक तुम्हारे ना बदलने का, जबकि सबको है खबर, परिवर्तन तो है नियम प्रकृति का। # आश्चर्य _____ आंचल
इक सवाल आता है, कभी - कभी यूं ही, मेरे जेहन में, क्या मेरा भी वही अस्तित्व है, तुम्हारी ज़िन्दगी में, जो तुम्हारा है, मेरी ज़िन्दगी में? -______ आंचल #सवाल
ये लम्हें, मेरे अपने से, बेहद निजी से, इन लम्हों को, मुझसे जुदा नहीं होने देना, ये वह लम्हें हैं, जिनमें ' मैं ' सिर्फ मैं होती हूं। #निजी
#निष्क्रिय निष्क्रिय है; दफ़्तर, निष्क्रिय हैं; रेल सेवाएं, निष्क्रिय हैं; विमान सेवाएं, निष्क्रिय है; बस सेवाएं, निष्क्रिय नहीं; तुम्हारे खयाल, निष्क्रिय नहीं; तुम्हारे ज्जबात, निष्क्रिय नहीं; हुए हो तुम, निष्क्रिय नहीं; सूरज, निष्क्रिय नहीं; चांद, निष्क्रिय नहीं; पृथ्वी, निर्माण कुदरत का; नहीं हुआ निष्क्रिय।
#भटकना इन राहों में भटक कर, इस वबा के तुख्म को, दरख़्त में ना बदलो, मेरे दोस्त, सुकून से घर बैठने के, इस मौके का लुत्फ तो उठा लो। ______ आंचल आशीष
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