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यह नहीं तो वह, सभी तो एक जैसे हैं। हैं मुखौटे अलग, बाकी फर्क कुछ नहीं। -Alka Agrawal
किस कदर मुश्किलों से घिरे हैं लोग,गज़ब है फिर भी यहाँ बलवा नहीं होता। -Alka Agrawal
छीन सकते हो ,तो छीन कर दिखाओ उम्मीद। ये ऐसी लौ है,जिसके सहारे जी लेंगे हम। -Alka Agrawal
शब्दों के खंजरों से ज़ख्मी हो गया है दिल, अपने हैं ऐसे कैसे, जो ज़ख्म ही देते हैं। अलका अग्रवाल -Alka Agrawal
दुख का छोटा सा बादल,ढक लेता सुख के सूरज को। हम कहते हैं,दुख है कितना,जीवन कितना दुखमय है । -Alka Agrawal
दर्द मेरा,तुमसे कह दूं,तो बोलो,उससे होगा क्या। खारे आंसू से चेहरा गर, धो भी लूँ, तो होगा क्या। पीर मेरी मुझको है सहनी, कोई और ,करेगा क्या। गम मेरा, मैं दूर करूंगी, वार करूं,ठहरेगा क्या। -Alka Agrawal
अल्पकाल के लिए जीवन मिला,अपना क्या है। यदि तटस्थ रह पाओ, दुख बुरा सपना सा है । -Alka Agrawal
सबके नसीब में हो खुशी, कहाँ मुमकिन ऐसा। कुछ लोग जी लेते हैं, ग़मों के साये में खुशी से। #नसीब #ग़म -Alka Agrawal
नैन से जो नीर बरसा,मत इसे आंसू कहो। दर्द की बदली ही, मेरी आँख से बरसी है आज #आंसू #नैन
देह धारण की है तो, यह दंड मिलता ही यहाँ। ज्ञान से भोगें अगर , ढूंढोगे दुख है ही कहाँ। -Alka Agrawal
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