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Akash Dwivedi

Akash Dwivedi

@akashdwivedi3814


मैं चाहता हूं मेरी बिटिया, तू फिर से छोटी हो जाए
दिन दिन बढ़ती तेरी सूरत और सीरत के कारण
एक डर मेरे मन में भी घर करता ही जाए
मैंने तुझको प्यार किया है और करूँगा हर एक पल
मैं रहूँ तेरे जीवन में या तू किसी नए को अपनाए
बस तू करना इतना करना की
माँ बाबा का प्यार तुझसे कभी भी छला ना जाए
मैं चाहता हूं मेरी बिटिया, तू फिर से छोटी हो जाए...

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मेरी गाड़ी में रखे हुए कुछ अख़बार खुली हुए गाड़ी की खिड़की से फड़फड़ा के बाहर जाने को कुछ बेताब दिखे। कई दिनो से बंद से थे मेरी गाड़ी में, उनको उड़ता देख मेरा भी मन हुआ की ऐसे ही बेताबी से मैं भी उड़ के तेरे पास आ जाऊँ, जबसे तू आया है ये मौसम भी बहुत उड़ने का मन करता है.. इस धुंध में जब कुछ भी साफ साफ नहीं दिखता तो बस तू ही तू देखाई देता है...

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मेरे बिस्तर पे यूं ही पड़े रहते हैं कुछ बिखरे काग़ज़ और किताबें और साथ में मैं भी सहाई लगे हाथों के साथ, पता ही नहीं चला कब स्टोल ओढ़ा कर चली गई तुम,
ये कहाँ आके खड़ा हूं मैं... सच और सपनो के बीच की खाली जगह जैसे भर दी हो तुमने... रहने दो ना मुझे अब तुम्हारे सपनों में जीने की आदत सी हो गई है...

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मुझे चाँद में हमेशा एक साइकल दिखती है
जिसमें मैं बैठा हूँ
कूद जाने के लिए ठंड में कोहरे के रास्तों से
उस ज़मीं पे जहाँ तुम हो
- आकाश

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