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new story coming soon. title : बेवजह की प्यास some part of the story, रात जो कभी खत्म नहीं होती... कमरा अंधेरे और सिगरेट के धुएँ से भरा हुआ था। सान्या बिस्तर पर बैठी थी, उसके गले पर आयुष के पिछले निशान अभी भी हल्के लाल पड़े थे। वो जानती थी कि जब तक वो यहाँ है, तब तक उसे हर रात इसी जुनून का शिकार बनना पड़ेगा—और उसे यह पसंद भी था। दरवाज़ा खुला। आयुष अंदर आया, काले शर्ट की बटन आधी खुली हुई, आँखों में वही वहशी चमक। उसने बिना कुछ बोले सिगरेट जलाया, एक कश लिया, और धुआँ सीधा सान्या के चेहरे पर छोड़ दिया। आयुष: "आज बड़ी शरीफ बनी बैठी है? या फिर सच में डर गई?" सान्या (हल्की मुस्कान के साथ): "डर? तुझसे? ख़्वाबों में भी नहीं।" आयुष ने सिगरेट का एक लंबा कश लिया, और धीरे-धीरे धुआँ उसके चेहरे पर छोड़ दिया ........................stay tuned for full story
उसने जो होठों से होठों को स्पर्श किया एक तीव्र से लहर उठी तन में ज्वार सा चढ़ा पूरे बदन में सांस तेज होने लगी आंखे मदहोशी में अब यूं खाने लगी अचानक से कस के अपनी बाहों में जब भरा उसने होठ पहले कांपे फिर गति पकड़ने लगे - Agent Romeo
अगर जिस्म की आश न होती, तो बेवजह रात यूं बदनाम न होती - Agent Romeo
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