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Afzal Sultanpuri

Afzal Sultanpuri

@afzalsultanpuri6627


हम इश्क़ खेले या रंग - ए - गुलाल

इस सियासत ने सब हराम कर रक्खा है ,


( अफज़ल सुल्तानपुरी )

अए सुबह चलो यहाँ से लौट चले शाम हुआ ,

अब नहीं आएंगे वो अपना इश्क़ नाक़ाम हुआ ,


( अफज़ल सुल्तानपुरी )

अब के आवाज हम उठाएंगे
सोये आवाम को जगाएंगे ,

ये जो जुगनू उजाले करते थे
उन्हें अफताब हम बनाएंगे ,

( अफज़ल सुल्तानपुरी )

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ये जो कचड़े उठाते बच्चे है ,
हमसे इमान में ये सच्चे है ,



( अफज़ल सुल्तानपुरी )

बनके बादल हर सम्त बरस चुका था
एक अपने आँगन में नहीं बरस सका मैं ,



( अफज़ल सुल्तानपुरी )

मुझे ढूँढ रहे हो, मैं किसी को जल्दी से कहा मिलता हूँ

मेरा कोई एक पता नहीं, मैं तो हर जगह मिलता हूँ


( अफज़ल सुल्तानपुरी )

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घर के गुलज़ार थे जो फूल वो सरहद के लिए मुरझा गए
जो शहीद हुए आज बिना परचम के हर दिल पे छा गए

गर लगता है तुम्हें काफ़िरो ये ज़िहाद - ए - इस्लामी है
तो फिर तुम्हारी भूल है जो आदम की नस्लों से टकरा गए

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