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बारिश की बौछार दिल हलका करने का हुनर सीखा गई, तैरती कागज़ की नाव जीवन जीने का सलीका सीखा गई। -Abid Khanusia
तसव्वुर में न जाने कितने एहसास हुआ करते थे, गम का सही एहसास तुम्हारे जाने के बाद हुआ है। -Abidbhai Khanusia
न जाने कौन हमसे साज़िश कर गया, हमारे पाक दामन को दागदार कर गया। -Abidbhai Khanusia
साहिलों के पास रहकर भी बूंद बूंद प्यासा रहा, लंगरों से जुड़ा रहा फिरभी हरदम भूखा ही रहा, किसी से सरगोशी की बात ही न करो तो बेहतर है, सर्दी से कांपता रहा फिरभी लिहाफ उठा न सका। -Abidbhai Khanusia
तारीख के कुछ सफे फिर पलटते है, माझी में झांक के दिल टटोलते है, तसव्वुर भी नहीं था हम दोनों को, बेवफाई की बू किस सफे से उठी है। -Abidbhai Khanusia
तुम्हारे दिल में चाहे कितनी भी नफरत क्यों न हो, मुझे यकीन है तुम मुझे हरगिज़ भुला नहीं पाओगे, तुमसे जुड़ी मेरी यादें कोई कैलेंडर के पन्ने नहीं हैं, तुम चाह कर भी उसे पलट कर दूर नहीं कर पाओगे। -Abidbhai Khanusia
उनका किनारा कर लेना लाज़मी था, अब ईश्क पर मज़हब की बंदिश हो गई है। -Abidbhai Khanusia
सबकी अपनी अपनी शिकायतें है, सबके अपने अपने गीले शिकवे है, पत्थर पानी की रूकावट बने हुए है, पत्थरों को टूट के बिखरने का गम है। -Abidbhai Khanusia
इश्क गूंगो का ज़ेवर नहीं बनता है, इश्क में इज़हार करना पड़ता है, तारीख उठा कर पढलो उसकी परतें, किसी सफे पर गूंगो का नाम दर्ज नहीं हुआ है। -Abidbhai Khanusia
जज्बातों को दिल में दफ़न करके समझदार बने बैठे थे हम, भरी महफिल में हमें नादान कह कर वो समझदारी दिखा गए। -Abidbhai Khanusia
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