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Abid Khanusia

Abid Khanusia Matrubharti Verified

@abidkhanusia1889
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बारिश की बौछार दिल हलका करने का हुनर सीखा गई,
तैरती कागज़ की नाव जीवन जीने का सलीका सीखा गई।

-Abid Khanusia

तसव्वुर में न जाने कितने एहसास हुआ करते थे,
गम का सही एहसास तुम्हारे जाने के बाद हुआ है।

-Abidbhai Khanusia

न जाने कौन हमसे साज़िश कर गया,
हमारे पाक दामन को दागदार कर गया।

-Abidbhai Khanusia

साहिलों के पास रहकर भी बूंद बूंद प्यासा रहा,
लंगरों से जुड़ा रहा फिरभी हरदम भूखा ही रहा,
किसी से सरगोशी की बात ही न करो तो बेहतर है,
सर्दी से कांपता रहा फिरभी लिहाफ उठा न सका।

-Abidbhai Khanusia

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तारीख के कुछ सफे फिर पलटते है,
माझी में झांक के दिल टटोलते है,
तसव्वुर भी नहीं था हम दोनों को,
बेवफाई की बू किस सफे से उठी है।

-Abidbhai Khanusia

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तुम्हारे दिल में चाहे कितनी भी नफरत क्यों न हो,
मुझे यकीन है तुम मुझे हरगिज़ भुला नहीं पाओगे,
तुमसे जुड़ी मेरी यादें कोई कैलेंडर के पन्ने नहीं हैं,
तुम चाह कर भी उसे पलट कर दूर नहीं कर पाओगे।

-Abidbhai Khanusia

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उनका किनारा कर लेना लाज़मी था,
अब ईश्क पर मज़हब की बंदिश हो गई है।

-Abidbhai Khanusia

सबकी अपनी अपनी शिकायतें है,
सबके अपने अपने गीले शिकवे है,
पत्थर पानी की रूकावट बने हुए है,
पत्थरों को टूट के बिखरने का गम है।

-Abidbhai Khanusia

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इश्क गूंगो का ज़ेवर नहीं बनता है,
इश्क में इज़हार करना पड़ता है,
तारीख उठा कर पढलो उसकी परतें,
किसी सफे पर गूंगो का नाम दर्ज नहीं हुआ है।

-Abidbhai Khanusia

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जज्बातों को दिल में दफ़न करके समझदार बने बैठे थे हम,
भरी महफिल में हमें नादान कह कर वो समझदारी दिखा गए।

-Abidbhai Khanusia

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