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Aarti Sita Vadher

Aarti Sita Vadher

@aartiv9677


आनंदाला घेऊन मिरवायचे असते
दुःखाचे मात्र सांत्वन करायचे असते

--आरती वाढेर

मे कुछ लिखना चाहती हु.....
लेकिन लिखने के लिये हर्फ साथ नही देते
बिलकुल वैसे
जैसे मे तुम्हे महसुस तो करती हु पर याद नही करती
जैसे मे तुम्हे तो चाहती हु लेकिन फिर भी तुम्हे नही चाहती
ये हवा तुमको छुकर मुझे तुम्हारा पैगाम हमेशा देती है
फिर भी तुम महफ़ुज हो लेकिन किसी और की बाहों मे ये बात मुझे थोडा सताती है....!
मे कुछ लिखना चाहती हु....
पर अब बातें याद नही रहती
ना तुमसे हुई वो पहली मुलाकात याद है
और ना हि तुम्हारी कमीज का वो काला रंग याद है
मुझे तो याद भी नही वो तुमने मेरा पहली बार हात पकडा था
ना हि याद है वो तुम्हारी कोई भी प्यारी बात
ना तुम्हारा मेरे गालों पर हात रखना
ना वो तुम्हारा मेरे नजदिक आना
अरे मेरे गिरने पर जो तुमने मुझे संभाला था
मुझे तो वो भी याद नही है
और ना हि याद रहे तुम
सिर्फ याद है मुझे मे और मेरा अकेलापन
जो कुछ पल के लिये तुमने मेरा हात थामा था
कुछ कदम जो साथ चले थे हम
फिर तो सारा तन्हाई का मेला था
चलो छोडो अब बिती बातों को क्या कहना
तुम खुश हो बस उतना हि काफी है.....!
बस कुछ लिखना चाहती थी
लेकिन हर्फ साथ नही देते......!!

--आरती वाढेर @१६-०१-२०२० @३:३४ Pm

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किराये के मकान मे
अपना मुकाम ढुंडती हु
किसी अजनबी की
आस लगाए बैठी हु
कोई बात तो है उसमे
में खुद को भुलाये बैठी हु
--आरती वाढेर

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मुखवटे लगाकर जीनेवाले लोग
आईना देखकर शर्माते होंगे क्या...??
-Aarti Vadher