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कुछ हादसे तुम्हारी बेहतरी: के लिए होते हैं....
तीर ताने हुए हूँ दर्पण पर, मैं शिकारी भी हूँ, निशाना भी....
आप ही अपने काम आएंगे, कभी सीखिए खुद से ही मशवरा करना... !!
समंदर में ले जा कर फरेब मत देना, तू कहे तो किनारे पे डूब जाऊं मैं....
आंसू अंतिम प्रयास है।
वक़्त ही इलाज़ है, वक़्त का.....
Wo Jo Dhundh Rahe ho Tum Yaha Waha, Kahi Wo Mann Me Hi To Nahin...
DEAR चाय, थोड़ी सी गुफ्तगू तो बनती है।
कितना सरल हो जाता है जीवन, जब विकल्प नहीं रहते ।
इच्छा दबती जा रही, जिद करने का मौका ही नहीं मिला !
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