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@789562mini


सुकून की चाय

सुबह की ठंडी हवाओं में जब सूरज मुस्कुराता,
एक कप चाय संग दिन मेरा सजाता।
भोर की शांति, मन में हल्की मिठास,
जैसे सुकून ने किया हो दिल का खास अहसास।

धूप की पहली किरण छूती जब ज़मीं,
मन में बसी बेचैनी भी होती वहीं।
चाय की गर्मी में खो जाती हर थकान,
जैसे मिल गई हो रूह को एक पहचान।

हर घूंट के साथ पल थम-सा जाता,
दिन का शोर भी जैसे कहीं छुप जाता।
चाय की महक में घुली वो पुरानी यादें,
जैसे बीते लम्हों की मखमली बातें।

चीनी हो कम या डालो अदरक का स्वाद,
चाय में मिलते हैं अनगिनत जज़्बात।
हर सिप में एक नयी कहानी छिपी,
जैसे हो मन की किताब का कोई अधूरा सफर।

बारिश की बूंदों में छुपी जो ख़ुशी,
उसका एहसास भी चाय में बसी।
फुर्सत के लम्हों में चाय का वो कप,
जैसे हो दिल की सारी उलझनों का हल।

बैठ कर खिड़की के पास, देखूं जब आसमान,
चाय का प्याला बन जाए सुकून का सामान।
हर घूंट में खो जाऊं, वो पल थम जाए,
जैसे ज़िंदगी की भागदौड़ यहीं रुक जाए।

चाय का साथ हो, तो हर मौसम हसीन,
गर्मी की तपिश या सर्दियों का महीन।
चाय के संग मिलती है वो खास बात,
जिसमें बसी होती है सुकून की सौगात।

दुनिया के झमेलों से दूर, जब मैं खुद से मिलता,
चाय की चुस्कियों में हर दर्द छुपता।
चाय वो दोस्त है, जो बिना कहे समझती,
मन की उलझनों को पल में सुलझाती।

सुबह की चाय हो या हो शाम का सुकून,
हर पल को सजाती, हर दुख को करती दूर।
कभी अकेले, कभी दोस्तों के संग,
चाय के बिना अधूरा है ये सफर, ये रंग।

दफ़्तर की थकान हो या घर का आराम,
चाय में मिलता है मन का विश्राम।
हर गिलास में बसती है एक नई उम्मीद,
जो धुंधले सपनों को देती एक नयी पीर।

जब भी मन हो उदास, दिल हो परेशान,
चाय का प्याला बन जाए असली अरमान।
उसकी सादगी में छुपी वो गहराई,
जैसे मन की सूनी गलियों में आई हरियाली।

तो उठाओ वो प्याला, भले अकेले या संग,
चाय में है वो जादू जो भर दे हर रंग।
ज़िंदगी की चाय में डालो थोड़ा सुकून,
और हर घूंट के साथ, बनाओ हर लम्हा मज़बूत और खूबसूरत जून।

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