Aaj ke dour me angreji bhasha ki prasangikta in Hindi Magazine by Dilip kumar singh books and stories PDF | आज के दौर में अंग्रेजी भाषा की प्रासंगिकता

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आज के दौर में अंग्रेजी भाषा की प्रासंगिकता

अंग्रेजी भाषा दिवस (23 अप्रैल) के अवसर पर विशेष

आज के दौर में अंग्रेजी भाषा की प्रासंगिकता

-दिलीप कुमार सिंह

भाषा का इतिहास मानव सभ्यता जितना ही पुराना है। जब से मानव अस्तित्व में आया है तब से ही भाषा के विविध रूपों को व्यवहार में ला रहा है। हमारी अभिव्यक्ति का माध्यम हमारी भाषा सांकेतिक मौखिक और लिखित भाषा के रूप में परिवर्तित होते हुए आज डिजिटल युग में पहुंच गई है। आज के डिजिटल युग में वही भाषाएं राज कर रही हैं जिन्होने वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति को दर्ज कराया है। आज के दौर में इस ग्लोबल परिप्रेक्ष्य में ग्लोबल भाषाओं के सहारे अपनी ग्लोबल इमेज बनाई जा सकती है। अंग्रेजी ऐसी ही एक वैश्विक भाषा है जिसकी गूंज अंतरराष्ट्रीय फलक पर बड़ी प्रमुखता से सुनाई देती है। आज के समय आधुनिक ज्ञान-विज्ञान, साहित्य, कला, व्यवसाय, संस्कृति समेत सभी क्षेत्रों में दुनिया भर में प्रामाणिक पुस्तकें बड़ी आसानी से उपलब्ध हैं। दुनिया भर के बुद्धिजीवी इन पुस्तकों को संदर्भ के तौर पर इस्तेमाल भी करते हैं। दुनीय भर के करीब करीब बहुत से देशों में इसका प्रयोग संपर्क भाषा के रूप में किया जा सकता है।

हम सभी को अपनी मातृभाषा से बड़ा स्नेह होता है। हमारा पहला संवाद और हमारे पहले शब्द मातृभाषा से होते हैं, इस संसार से हमारा पहला परिचय हमारी अपनी भाषा में होता है। परंतु जैसे-जैसे हम जीवन में आगे बढ़ते हैं, हमारा दायरा बढ़ता है और हमें अपनी मातृभाषा से इतर अन्य भाषाओं की जरूरत पड़ती है। आज के समय में अंग्रेजी ऐसी ही भाषा है जिसके माध्यम से पूरे विश्व में अपनी बात शीघ्रता से पहुंचाई जा सकती है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के यूनाईटेड नेशंस एजुकेशनल, सांईटिफिक ऐंड कल्चरल आर्गनाईजेशन द्वारा वर्ष 2010 में पहली बार महान अंग्रेजी साहित्यकार विलियम शेक्सपीयर के जन्मदिवस 23 अप्रैल को अंग्रेजी भाषा दिवस मनाया गया । संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अपनी सभी आधिकारिक भाषाओं के लिए एक – एक दिन समर्पित किया गया है। उदाहरण स्वरूप- 18 दिसंबर को अरबी भाषा दिवस, 1 सितंबर को चीनी भाषा दिवस, 20 मार्च को फ्रेंच भाषा दिवस, 6 जून को रशियन भाषा दिवस और 6 अक्तूबर को स्पैनिश भाषा दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा भाषा दिवस मनाने का उद्देश्य है सभी आधिकारिक भाषाओं को समान रूप से बढ़ावा दिया जाए और बहुभाषिकता व सांस्कृतिक विविधता का प्रसार किया जाए।

लगभग 1500 वर्ष पहले अंग्रेजी मात्र तीन जनजातियों की भाषा थी, लेकिन आज यह लगभग 2 बिलियन से अधिक लोगों की भाषा है। लगभग 70 से अधिक देशों में बोली जाने वाली भाषा अंग्रेजी आज सम्पूर्ण विश्व में संपर्क भाषा के रूप में व्यवहृत होती है। , , , , मनोरंजन, और के क्षेत्रों की बन चुकी अंग्रेजी भाषा के महत्व से सभी बखूबी परिचित हैं| वर्तमान में इंग्लिश के 2 लिखित रूप प्रचलित हैं- ब्रिटिश इंग्लिश और अमेरिकन इंग्लिश ।

कॉर्पोरेट जगत में इंग्लिश की धूम मची हुई है। आईटी इंडस्ट्री से लेकर मल्टीनेशनल कंपनी तक सभी जगह पूरे विश्व से संवाद होते हैं| इसके लिए अंग्रेजी का ज्ञान आवश्यक है| आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिस तरह से युवा भारतीय अपनी पहचान तेजी से बना रहे हैं, उसमे अंग्रेजी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।

इस संबंध मे नार्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी, शिलोंग के भाषा विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. शैलेंद्र कुमार सिंह कहते हैं कि 21वीं सदी में अंग्रेजी और अधिक रोचक हो गई है। इसका कारण है कि आज संसार में उभरते हुए गैर पश्चिमी देशों में अंग्रेजी की पकड़ मजबूत होती जा रही है। गैर पश्चिमी देशों का जिस तरह से विकास हो रहा है वैसे में अंग्रेजी का भविष्य और उज्ज्वल हो गया है। अंग्रेजी के अलावा विश्व की अन्य महत्वपूर्ण पश्चिमी भाषाओं जैसे फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश आदि में गिरावट आई है लेकिन अंग्रेजी का कार्य व्यापार बढ़ता जा रहा है। आज के दौर में भले ही पश्चिमी देशों में अंग्रेजी की स्थिति में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं आ रहा है लेकिन गैर पश्चिमी देशों में इसकी स्थिति संतोषजनक है। हमारे देश में हिन्दी के बाद सबसे लोकप्रिय भाषा अंग्रेजी कहीं वैकल्पिक संपर्क भाषा है तो कहीं आवश्यक संपर्क भाषा है। आने वाले दिनों में भारत अंग्रेजी बोलने वालों की संख्या के हिसाब सबसे बड़ा देश बन सकता है। भले ही पश्चिमी सभ्यता में गिरावट की स्थिति है, उन देशों में आर्थिक, जनसांख्यिकी और राजनीतिक गिरावट आ रही है अंग्रेजी में कहीं गिरावट नहीं आ रही है। 21वीं सदी के इस दौर में अंगरेजी को यह समझना होगा कि वह अन्य भाषाओं के लिए कोई बोझ न बने बल्कि यह अन्य भारतीय भाषाओं के साथ दोस्ताना रिश्ता बनाते हुए आगे बढ़े जिससे भारतीय भाषाओं का भी भला होगा और अंग्रेजी को भारत में फलने फूलने का नया आयाम मिलता रहेगा।

इंग्लैंड में एक समय ऐसा भी था जब अंग्रेजी भाषा को स्वयं अपना अस्तित्व बचाने के लिए सत्रहवीं शताब्दी में लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी थी। राजभाषा अधिनियम, 1963 के संशोधन और प्रस्ताव के अवसर पर लोकसभा में 12 दिसंबर, 1967 को भाषण देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसका उल्लेख किया था, ‘‘एक समय इंग्लैंड में दो भाषाएं चलती थीं-एक थी फ्रेंच और दूसरी थी लैटिन। जितने भी कानून बनते थे फ्रेंच भाषा में और उच्च शिक्षा की भाषा लैटिन थी। उस समय फ्रेंच और लैटिन को बनाए रखने के लिए और अंग्रेजी को न लाने के लिए वही तर्क दिए जा रहे थे, जो आज भारत में अंग्रेजी को बनाए रखने के लिए और भारतीय भाषाओं को न लाने के लिए दिए जा रहे हैं।’’ यह इंग्लैंड की जनता का स्वाभिमान था उसने न केवल जनभाषा अंग्रेजी को देश में यथोचित सम्मान व स्थान दिलाने के लिए संसद में कानून बनवाया, वरन मातृभाषा अंग्रेजी को उतना उत्कर्ष प्रदान किया कि आज सारा विश्व ही उसके सम्मोहन में जकड़ा है। आज इसी स्वाभिमान की अपेक्षा भारत की जनता से भी है।

संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मनाए जाना वाले ऐसे सभी भाषा दिवस भाषाओं के संरक्षण और इनके विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। हम सब सवा अरब भारतीयों को इंतजार रहेगा कि हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की 7वीं आधिकारिक भाषा के रूप में दर्जा मिले और 14 सितंबर या 10 जनवरी को अंग्रेजी भाषा दिवस की ही तरह हिन्दी भाषा दिवस भी संयुक्त राष्ट्र संघ मनाए।