दिल के अनकहे जज्बात
ये सारी कविताये मेने अपने जीवन मे जिये हर एक लम्हे को पीरोकर लीखी है।
जो बातें ओर जज़बात मै कीसी के सामने ज़ाहिर नहीं कर पाई उन को कविता का रुप देकर इस किताब मे सन्जोया है।
मुजे आशा है आप सब को ये कविता संग्रह पसंद आयेगा।
मुझे विश्वास है की आप मेरी सच्चे दिल से लिखी कविताओ को जरुर महसुस कर पायेगें।
इसमे हँसी, खुशी, ग़म प्यार भी हैं। जिसके रंगमे हर कोइ रंग जाएगा।
--- कवियित्री की कलम से
वो एक लडकी
वो एक लडकी हुआ करती थी जो सपनो मे अपनी दुनिया सजाया करती थी।
दुनिया की हकीकतो से थी अनजान युं तितलीयो से खेला करती थी।
ना था कभी डर कहीं गुम हो जाने का बस युं ही नई राह आज़माया करती थी।
खुश रहना उसकी फिदरत थी इसलिए ग़म से कोसो दुर रहा करती थी।
सपनो मे ढुंढा करती थी परींयो को फिर खुद ही परी बन जाने के ख्वाब सजाया करती थी।
प्यार भरा था उसकी आँखो मे और हाथो मे था जादु इसलिए हर बच्चे को दिवाना कर दिया करती थी।
मासुमियत से भरी साफ दिल की वो बेरहम इस दुनीया मे जिया करती थी,
इस उम्मीद से की हर इंसान नही होता इतना भी बुरा वो इंसानीयत की लौ जलाया करती थी।
वो एक लडकी थी जो सपनो मे अपनी दुनीया सजाया करती थी।
बारीश
बरसात मे भीगने का मज़ा कुछ ओर है,
अपने आँसुओ को बारीश मे भीगोने का मझा कुछ ओर है।
एक बारीश ही लगती है अपनी जब वो हमारे दर्द को अपने गले से लगाती है।
उसमे खुद के डुब जाने का मझा कुछ ओर है।
रग रग मे बस जाती है उस बारिश की भीनी सी खुश्बु,
गले लगाकर जब वो हमारे रंजो ग़म को चुराती है,
उसमे खुद की चाहत के दर्द को महसुस करने का मझा कुछ ओर है।
तन्हा से हो जाते हे,हर ग़म से दुर हो जाते है,
उसकी यादों के साथ भीग जाने का मझा कुछ ओर है।
इमारत
फिर आज एक इमारत गिर गई मेरी यादो के साथ,
ज़िंदा था मेरा बचपन जिनकी यादो के साथ।
जिसकी दिवारों मे धडकता था मेरा बचपन,
उसने आज दोस्ती कर ली ज़मीन के साथ।
हुआ करती थी कभी जो इमारत हमारी गलींयो की पहचान,
उसने आज अपनी पहचान मिटा दी वक्त के साथ।
जो कभी हुआ करती थी उन राहों की शान,
वो इमारत आज उन्हे विरान कर गइ अपनी मिटती हुई हस्ती के साथ।
कहा ढुंढेंगे अब हम अपने बचपन को,
जब इस शहर ने अपनी पहचान ही खो दी वक्त के साथ।
कभी युही हर जनम
कभी युही हर जनम में युही तय करते आये होंगे,
कभी तुम हम से हम तुम से यु मिलते रहेंगे।
कभी यु अनजान राहों पर अचानक टकरा लिया करेंगे।
थोड़ी सी तकरार थोड़ी शरारत यु ही कर लिया करेंगे।
कभी ऐसा भी मंज़र आयेगा जब हम एकदूसरे में खोकर दुनिया भुला दिया करेंगे।
थोड़ी हुकूमत हम तुम पर,थोड़े नाज़ नख़रे हम तुम्हारे उठा लिया करेंगे।
कभी तुम हम एक वादा कर लिया करेंगे और हर जनम में उसे निभा लिया करेंगे।
कभी ख़तम ना हो तेरे मेरे प्यार की दास्तान,इतिहास के पन्नों पर तेरी मेरी कहानी यु अमर करते जायेंगे।
वो भी एक ज़माना था
वो भी एक ज़माना था ये भी एक ज़माना है,
लोग उस ज़माने के भी थे जो चाहत में पूरी ज़िंदगी गुज़ार दिया करते थे।
आज ये हाल हे की चाहत की बली चढाने में ज़िंदगी गुज़ार देते है।
कुछ ऐसे भी लोग हुआ करते थे इतिहास के पन्नों पर की कसमो वादो के लिये जान दिया करते थे।
आज हर एक जान पे कसमे वादे कुरबान हुआ करते है-वो भी एक ज़माना था ये भी एक ज़माना है।
एक ज़माना हुआ करता था जब जज़बातों की कीमत पैसो और शोहरत से ज्यादा अज़ीज़ हुआ करती थी।
आज ये हाल हे की सरे बाज़ार जज़बात बिक जाया करते है-वो भी एक ज़माना था ये भी एक ज़माना है।
वो भी क्या जोश-ऐ-जुनून था लोगो में की अपनों को साथ रखता और दुनिया उसके कदमों में हुआ करती थी।
लिल्लाह् ये कैसा दौर हे जब पूरी दुनिया में छाने लगा हे इंसान और अपने उसके कदमों में है-वो भी एक ज़माना था ये भी एक ज़माना है।
ये कैसा बेदर्द वख्त आया है ना पाक़ इश्क नसीब होता किसी को ना कोई पाक़ इंसान को रिश्तों का जहाँ मुनासिफ होता है।
वो भी एक ज़माना था ये भी एक ज़माना है।
मेरे सैया सुरमेदार
मेरा सैया सुरमेदार,मेरा सैया सुरमेदार
आँख मिलाये,होश उडाये,नींद चुराये आँखो की,मेरा सैया सुरमेदार।
गलियो से गुझरे वो चोरी-चोरी,
मस्ती भरी आँखो से प्यार बरसाये चोरी-चोरी।
करे वो आँखो से जोरा जोरी,नटखट हे बडा मेरा सैया सुरमेदार-२।
बतीया करे वो प्यारी-प्यारी,बोले ना कुछ भी वो बस आँखो से इशारे करे घडी-२,
हे ऐसा जुल्मी मेरा सैया सुरमेदार-२।
करे भंवरे सी गुन-गुन,कभी बादल सा घीर-घीर आये हम पे,
जी घबराये हाये,लाज से मर-मर जाए,फिर भी सितम हम पे ढाए बैरी बडा,मेरा सैया सुरमेदार-२।
अँखियो के रहे आसपास वो हँसे जब भी मिले वो,
जब आये जुदाई की घडी घनघोर घटा से बरस पडे वो,
दे गये दिल का दर्द बडे बेइमान है,मेरे सैया सुरमेदार-२
मिलूंगी जब तुमसे
मिलूंगी जब तुमसे दिल की धड़कनों को थाम लुंगी,
बढ़ती बेताबी को थोडा सा आराम दूँगी।
ना खोलूंगी अपनी आँखे इतनी जल्दी तुम्हारे सामने,
तुम्हे मेहसूस कर लू तुम्हे छु के बस इतना सा उसे आराम दूंगी।
बरसो से हुए बेकरार दिल को थोडा सा करार आ जाये,
उतनी देर तक वक़्त के लम्हों को थोडा सा थाम लूँगी।
चेहरे पे रख के हाथ मेरा सपना नहीं हकीकत हो तुम,
बस इतनी सी तसल्ली कर लुंगी।
हकीकत हो तुम कही सपना ना बन जाओ,
इस डर से तुम्हे गले लगा लूँगी।
माना की वक़्त ही सब कुछ है सब के लिए,
बस उस वक़्त के लिए वक़्त को थाम लूँगी।
आहिस्ता चल ऐ ज़िंदगी
आहिस्ता चल ऐ ज़िंदगी,अभी कई कर्ज चुकाने बाकी है।
कुछ दर्द मिटाने बाकी है,कुछ फर्ज निभाने बाकी है।-आहिस्ता चल ऐ ज़िंदगी
रफ्तार मे तेरे चलने से कुछ रुठ गए,कुछ छुट गए,
रुठो को मनाना बाकी है,रोते हुओ को हँसाना बाकी है।-आहिस्ता चल ए ज़िंदगी
कुछ ह़सरते अभी अधुरी है,कुछ काम भी अभी ज़रुरी है
ख्वाहिशे जो घुट गई इस दिल मे,उनको दफनाना बाकी है।-आहिस्ता चल ऐ ज़िंदगी
कुछ रिश्ते बन कर टुट गए,कुछ जुडते-२ छुट गए,
उन टुटे-छुटे रिश्तो के ज़ख्मो को मिटाना बाकी है।-आहिस्ता चल ऐ ज़िंदगी
तु आगे चल मैं आती हुं,क्या छोड तुजे ज़ी पाऊंगी,
इन सांसो पर हक है जिनका,उनको समजाना बाकी है।
आहिस्ता चल ऐ ज़िंदगी,अभी कई कर्ज चुकाने बाकी है।