सर्दी की एक शांत शाम और उस में चलती ठंडी ठंडी हवा और हिलोरे खाते आस पास के पेड़ और सामने हिलोरे खाता हुआ एक छोटा सा तालाब और उसके आगे बैठी प्यारी और मासूम सी 20 साल की खुशी जिसकी खूबसूरती का कोई जवाब नहीं।उसने एक छोटा सा पत्थर उठाया और फिर तालाब में जोर से फेक दिया जो पानी पर अपनी छाप छोड़ता हुआ उसमें मिल गया। खुशी ने एक प्यारी सी स्माइल की और फिर पानी के पास चली गई और अपने हाथ पानी में डाल दिए । पानी में घूम रही छोटी छोटी मछलियां अचानक फुर्ती से वहा से थोडी दूर गई और फिर खुशी के हाथो के पास आ गई और इधर उधर तैरने लगीं। खुशी कुछ देर उन्हें देखती रही फिर उसे पीछे से आवाज आई गुडिया तू यहां हे। खुशी ने पीछे देखा और फिर बोली पापा आप आ गए। आकाश जो उसका पापा था उसने उसे देखा और बोला हा गुडिया आ गया पर तू यहां क्या कर रही है कितनी शाम हो गई चल अब घर चल। खुशी ने अपने हाथ पानी से निकाले और अपने पापा के आ गई और उनके साथ चलने लगीं। तभी आकाश बोला गुड़िया ऐसे अकेले यहां क्यों आती है हा तुझे पता है यहां कितने छोटे मोटे जानवर घूमते हैं हा। खुशी ने अपने पापा को देखा और बोली पापा वैसे जानवर बहुत अच्छे होते है वो बिना कुछ किए किसी को कुछ नहीं करते और वैसे भी आप शहर चले गए थे तो मेरा घर पर मन नही लग रहा था तो में यहां आ गई और मुझे यहां आना बहुत अच्छा लगता है। आकाश बोला हा हा गुडिया यहां आना तो मुझे भी अच्छा लगता है पर तुझे पता है ना आज तेरे मामा आने वाले है तुझे लेने तो तेरा सामान भी पेक करना है। ये सुनते ही खुशी की मुस्कान गायब ही हो गई उसने अपने पापा को देखा और उनका हाथ पकड़ते हुए बोली पापा मुझे आप के साथ ही रहना है आप क्यों मुझे मामा के यहां भेज रहे हैं और फिर आप यहां अकेले क्या करेंगे। आकाश बोला गुड़िया तेरी स्कूल की पढ़ाई पूरी हो गई है तो अब आगे पढ़ना है तो बड़े शहर जाना होगा हा और फिर तुझे पापा का सपना पूरा करना है ना डॉक्टर बनना है ना गुडिया को। खुशी बोली पर पापा आपके बिना मुझे नही जाना आप भी चलो ना मेरे साथ। आकाश बोला अगर में भी चला गया तो तेरे प्यारे टोमी और बाकी तेरे छोटे दोस्तो का ख्याल कोन रखेगा। खुशी ने अपने पापा को देखा और बोली ओ नो पापा आज मेने टोमी को खाना रखा ही नहीं जल्दी चलो उसे भूख लग रही होगी ये कहते हुए वो अपने पापा का हाथ पकड़े हुए जल्दी जल्दी चलने लगीं। कुछ देर में दोनो घर पहुंचे तो खुशी जल्दी से किचेन मैं गई और कुछ खाने का सामान लेकर बाहर निकल गई। वो घर के पीछे पहुंची जहा एक छोटे सा बगीचे जैसा बना हुआ था उसने दरवाजा खोला