swear by the soil in Hindi Moral Stories by Raju kumar Chaudhary books and stories PDF | माटी की कसम

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माटी की कसम

🇳🇵 माटी की कसम
हिमालय की गोद में बसा एक छोटा लेकिन स्वाभिमानी देश है—नेपाल। यहाँ की हवा में स्वतंत्रता की खुशबू है और मिट्टी में बलिदान की कहानी लिखी हुई है।
रामेछाप के एक छोटे से गाँव में जन्मा आनंद बचपन से ही अपने देश से गहरा प्रेम करता था। वह हर सुबह सूरज निकलते समय हिमालय की ओर देखकर कहता,
“एक दिन मैं नेपाल का नाम पूरे संसार में रोशन करूँगा।”
आनंद के पिता ब्रिटिश–भारतीय सेना में सेवा कर चुके एक पूर्व गोर्खा सैनिक थे। वे हमेशा कहते,
“बेटा, देशभक्ति सिर्फ हथियार उठाने से नहीं होती, देशभक्ति ईमानदारी, मेहनत और सच्चाई के रास्ते पर चलने से होती है।”
समय बीतता गया। आनंद पढ़ाई में होशियार बन गया। उसे विदेश जाने का सुनहरा मौका मिला, लेकिन उसने ठुकरा दिया।
उसने कहा,
“मेरे देश को मेरी ज़रूरत है।”
उसके गाँव में न स्कूल था, न अस्पताल। आनंद ने खुद पहल की। उसने युवाओं को जोड़ा, सहयोग इकट्ठा किया और एक छोटा सा स्कूल खोला। कुछ समय बाद गाँव में एक स्वास्थ्य केंद्र भी बन गया।
एक दिन भयानक बाढ़ आई। पूरा गाँव खतरे में पड़ गया। आनंद ने अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। उस दिन उसने सिर्फ लोगों की जान नहीं बचाई, बल्कि नेपाल की आत्मा को बचाया।
गाँव के बुज़ुर्गों की आँखों में आँसू थे। वे बोले,
“आनंद सिर्फ हमारा नहीं, पूरे नेपाल का बेटा है।”
आज आनंद किसी बड़े पद पर नहीं है, लेकिन जहाँ भी वह खड़ा होता है, वहाँ देशभक्ति बोलती है।
नेपाल उसके दिल में है और वह नेपाल की साँस है।
नेपाल छोटा हो सकता है,
लेकिन नेपाली दिल बहुत बड़ा है।
जय नेपाल 🇳🇵



🇳🇵 गीत शीर्षक: “देश चुना मैंने”



हिमालय ने मुझे आवाज़ दी,
मिट्टी ने थाम लिया हाथ मेरा…
सपनों ने पूछा एक सवाल,
देश या दुनिया—क्या चुनूँ मैं तेरा?

मैंने देश चुना, विदेश छोड़ा,
दिल ने यही फरमान दिया 🇳🇵
सोना नहीं, पहचान चाहिए,
नेपाल ने मुझे पहचान दिया ❤️

गाँव की गलियों में पला-बढ़ा,
माँ की ममता, बाप का साया
गोर्खाली लहू रगों में था,
देशभक्ति ने जीना सिखाया

मैंने देश चुना, विदेश छोड़ा,
मिट्टी से रिश्ता तोड़ न पाया
नाम नहीं, काम करना है,
यही सपना नेपाल ने सिखाया 🇳🇵

हाथ में पासपोर्ट, आँखों में नमी,
सामने थी दुनिया चमकदार
लेकिन पीछे खड़ा था मेरा देश,
मुझे पुकारता बार-बार

जब बाढ़ आई, सब डूब गया,
मैं आगे बढ़ा, डर पीछे छूटा
झंडा नहीं था हाथों में,
पर दिल में पूरा नेपाल धड़का 🇳🇵

मैंने देश चुना, विदेश छोड़ा,
ये फैसला मेरी पहचान बना
छोटा देश, बड़ा है दिल,
नेपाली होना अभिमान बना ❤️🇳🇵

किताबों में नाम न हो मेरा,
तो क्या हुआ ऐ मेरे देश
तेरी मिट्टी में साँस मिली,
यही है मेरी सबसे बड़ी जीत
जय नेपाल 🇳🇵


🇳🇵 माटी की कसम
हिमालय की गोद में बसा एक छोटा लेकिन स्वाभिमानी देश है—नेपाल। यहाँ की हवा में स्वतंत्रता की खुशबू है और मिट्टी में बलिदान की कहानी लिखी हुई है।
रामेछाप के एक छोटे से गाँव में जन्मा आनंद बचपन से ही अपने देश से गहरा प्रेम करता था। वह हर सुबह सूरज निकलते समय हिमालय की ओर देखकर कहता,
“एक दिन मैं नेपाल का नाम पूरे संसार में रोशन करूँगा।”
आनंद के पिता ब्रिटिश–भारतीय सेना में सेवा कर चुके एक पूर्व गोर्खा सैनिक थे। वे हमेशा कहते,
“बेटा, देशभक्ति सिर्फ हथियार उठाने से नहीं होती, देशभक्ति ईमानदारी, मेहनत और सच्चाई के रास्ते पर चलने से होती है।”
समय बीतता गया। आनंद पढ़ाई में होशियार बन गया। उसे विदेश जाने का सुनहरा मौका मिला, लेकिन उसने ठुकरा दिया।
उसने कहा,
“मेरे देश को मेरी ज़रूरत है।”
उसके गाँव में न स्कूल था, न अस्पताल। आनंद ने खुद पहल की। उसने युवाओं को जोड़ा, सहयोग इकट्ठा किया और एक छोटा सा स्कूल खोला। कुछ समय बाद गाँव में एक स्वास्थ्य केंद्र भी बन गया।
एक दिन भयानक बाढ़ आई। पूरा गाँव खतरे में पड़ गया। आनंद ने अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। उस दिन उसने सिर्फ लोगों की जान नहीं बचाई, बल्कि नेपाल की आत्मा को बचाया।
गाँव के बुज़ुर्गों की आँखों में आँसू थे। वे बोले,
“आनंद सिर्फ हमारा नहीं, पूरे नेपाल का बेटा है।”
आज आनंद किसी बड़े पद पर नहीं है, लेकिन जहाँ भी वह खड़ा होता है, वहाँ देशभक्ति बोलती है।
नेपाल उसके दिल में है और वह नेपाल की साँस है।
नेपाल छोटा हो सकता है,
लेकिन नेपाली दिल बहुत बड़ा है।
जय नेपाल 🇳🇵