" एक माफिया लव स्टोरी की शुरुआत, एक अनाथ लड़की जिसके बचपन में सब कुछ छीन लिया गया हो, एक ऐसा हादसा जिसने उसकी पूरी जिंदगी बर्बाद कर दी हो ,एक ऐसा माफिया जिससे हमेशा नफरत करती आई हो ,
कहानी है नेहा की ,एक अनाथ लड़की जिसके मम्मी पापा को उसकी आंखों के सामने ही उसे बुरे माफिया ने मार दिया ।बचपन से ही नेहा हमेशा माफिया से नफरत करती आई हो ऐसे में क्या हो जब उसकी मुलाकात हो एक माफिया के बच्चे से ,जो उससे मिलते ही उसे अपनी ममां समझ बैठा ।
5 साल का मासूम युवी जब उसने नेहा को देखा तो उसे अपनी ममां समझ बैठा और अपने डैड से रिक्वेस्ट करने लगा कि उसे अपनी मम्मा चाहिए ऐसे में क्या अनुराग एक माफिया बॉस कभी नेहा को अपनी वाइफ की जगह दे पाएगा ।
एक हार्टलेस माफिया जिसमें डेढ़ साल पहले अपनी सबसे कीमती चीज को खोया, क्या उसकी जगह एक साधारण लड़की को दे पाएगा ?
वजह चाहे जो भी हो लेकिन इस जबरदस्ती की शादी में दोनों की मकसद एक ही था और वह है दोनों के बीच में हुआ अरगुमेंट कॉन्ट्रैक्ट-
नेहा, - "मैं तुमसे शादी नहीं करना चाहती कि , क्योंकि तुम पहले से शादीशुदा हो या तुम्हारा एक बच्चा भी है, बल्कि मैं तुमसे शादी इसलिए नहीं करना चाहती , क्योंकि मैं दुनिया में सबसे ज्यादा जिस नाम से नफरत करती हूँ, तुम उन्हीं में से एक हो, जिस माफिया ने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी, मेरे हँसते-खेलते परिवार को मुझसे छीन लिया, तुम भी उन्हीं की तरह हो, "एक माफिया"! ऐसे में मैं तुमसे शादी कैसे कर सकती हूँ?"
माफिया बाँस- "किसने कहा कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ इसलिए मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ? मेरे लिए अपने बच्चे की खुशियो के अलावा और कुछ नहीं चाहिए ,और मेरा बच्चा , अगर तुम्हें चाहता है ।तो मैं उसे जरूर उसकी माँ दूंगा। उसने एक बार तो अपनी माँ को खो दिया है, अब मैं उसे तुम्हें खोने नहीं दूंगा। इसलिए तुम्हारी मर्जी हो या न हो, तुम्हें अपने बच्चे की माँ जरूर बना कर रहूंगा।। पर अफसोस कि मैं तुम्हें अपनी वाइफ नहीं बना पाऊंगा, तुम्हें वह हक नहीं दे पाऊंगा जो मैंने अपनी वाइफ को दिया है, अपनी निहारिका को।"
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दो लड़कियां जो कहीं जाने के लिए टैक्सी ऑटो का इंतजार कर रही थी बहुत देर तक इंतजार करने के बाद भी नवनीत कोई टैक्सी मिलती है नहीं ऑटो इसलिए नेहा नाम की लड़की काफी ज्यादा इरिटेड हो जाती है अपनी फ्रेंड से और वो चिढ़ते हुए कहती है।
नेहा - "यार रेशमा!! देख तूने क्या कर दिया! तुम्हारी वजह से आज हमें एक भी टैक्सी नहीं मिल रही है, अब हम मन्नत (अनाथालय) में कैसे पहुंचेंगे? एक तो तुमने आज उठने में भी देर कर दी और ऊपर से तुम्हारा किलो भर का मेकअप!"
रेशमा - "सॉरी ! मुझे माफ कर दो। मुझे पता है, लेकिन मैं क्या करूँ? उठने में मुझे देर हो गई और आज के दिन टैक्सी नहीं मिली है, तो इसमें मैं क्या करूँ?"
नेहा - "कुछ नहीं, बस टैक्सी वालों का इंतजार कर और हमें मन्नत पहुंचने में देरी हो जाएगी।"
रेशमा - "तू चिंता क्यों कर रही है? हम हर संडे तो वहां जाते हैं ना, हर बार यही होता है, कभी टैक्सी मिलती है, कभी नहीं मिलती। लेकिन ऐसा एक भी संडे नहीं हुआ है जब हम मन्नत नहीं गए हों, तो आज भी चले जाएंगे। तू इतनी चिंता क्यों कर रही है? मुझे तो कभी-कभी ऐसा लगता है कि दुनिया की सारी चिंता तुम्हारे सर पर ही है। जब देखो तब टेंशन लेती रहती हो।"
नेहा - "अच्छा! मैं टेंशन लेती हूं? सोच लेना, अगर इस बार हम मन्नत नहीं पहुंचे तो तुम्हारी एक-एक हड्डी का मैं चूरमा बनाऊंगी। फिर तुम मत कहना कि मैंने कुछ नहीं किया था।"
रेशमा - "अच्छा ठीक है बाबा, सॉरी तो कह रही हूँ ना। और देखो, वहां से टैक्सी आ रही है, उसे रुकवाओ।"
नेहा - "मुझे लगता है, यह टैक्सी वाला ऐसे नहीं रुकेगा। मुझे ही कुछ करना पड़ेगा।"
(ये कहकर नेहा बीच सड़क में खड़ी हो जाती है उस टैक्सी को रोकने के लिए...नेहा का इस तरीके से सामने आने के कारण टैक्सी वाला तुरंत रुकता हैं वह टैक्सी तो रोकना नहीं चाहता था लेकिन नेहा की इस तरह विश रास्ते में खड़े हो जाने की वजह से उसे मजबूरन ब्रेक लगानी पड़ती है नेहा को देखकर)
टैक्सी ड्राइवर - "अरे वो मैडम!! क्या कर रही हो? मरना है क्या? तुम्हें मरने के लिए क्या मेरी ही टैक्सी मिली थी? वहां दूसरी जगह जाकर मरो ना।"
नेहा - "ओ हेलो! अंकल, मैं मरने नहीं आ रही थी। मैं तो आपको रोक रही थी कि आप मुझे इग्नोर ना करें।"
टैक्सी ड्राइवर - "ऐसे कौन टैक्सी रुकवाता है? हाथ देकर भी तो रुकवा सकती थी ना?"
नेहा - "वही तो, इतनी देर से कोशिश कर रहे थे पर किसी ने नहीं रोका।"टैक्सी ड्राइवर - "हां ठीक है, ठीक है। अब आकर बैठ जाओ।" (टैक्सी वाला दोनों को बैठा लेता है।)
टैक्सी ड्राइवर - "आपने तो बताया नही कि आपको कहां जाना है?"
रेशमा - "वहीं जहां हर संडे जाते हैं, मन्नत ले चलो।"
टैक्सी ड्राइवर - "क्या! उस अनाथालय में जाना है, पर क्यों?"
नेहा - "मैं तुम्हारा मुंह तोड़ दूंगी,😠 अगर उसे अनाथालय कहा तो। उसका नाम मन्नत है, हमारा मन्नत।"
नेहा के बोलते ही टैक्सी ड्राइवर काफी जैसा डर जाता है "ओके मैडम नहीं कहूंगा आप गुस्सा मत होइए।" ( जब तक ये लोग मन्नत के लिए निकलते हैं, तब तक मैं इनका इंट्रोडक्शन दे देती हूं।)
नेहा ! जो बहुत ज्यादा सुंदर है लेकिन कुछ ज्यादा ही गुस्सैल है और किसी को भी करारा जवाब दे देती है। बहुत बातूनी है और उसे पसंद नहीं कि कोई उसे उसकी बातों में हरा दे। गोरा रंग, अच्छी खासी हाइट, घने काले बाल जो उसकी कमर तक आते हैं, और काली आंखें जो काफी गहरी हैं। कुल मिलाकर नेहा बहुत ही ब्यूटीफुल है और उतनी ही ज्यादा तेज भी है।)
(वहीं दूसरी तरफ रेशमा है ,जो काफी इनोसेंट और थोड़ी सी बुद्धू टाइप की है। उसे खुद पता नहीं चलता कि क्या बोले जा रही है और एक नंबर की भुक्कड़ है। अगर उसने ज्यादा टेंशन ले लिया तो उसे भूख के मारे पेट में दर्द होने लगता है। रेशमा भी बहुत सुंदर है लेकिन हमारी नेहा से कम।)
ये दोनों अनाथालय इसलिए जा रही हैं क्योंकि ये दोनों ही अनाथ हैं और इनका जीवन अनाथालय में ही बीता है। इसलिए अपने हर संडे मे ये अनाथालय जाती हैं, वहां के बच्चों के साथ खेलती हैं और अनाथालय की साफ-सफाई में मदद करती हैं।
क्योंकि जब यह दोनों बड़े हो गए ,( तो अनाथालय का रूल है कि जैसे ही बच्चे अपने पैरों में खड़े होने के लायक हो जाते हैं तो उन्हें अपना कैरियर स्वयं चुनना पड़ता है। इसलिए दोनों को मन्नत छोड़ना पड़ा। )
दोनों एक किराए के मकान में रहते हैं ,दोनों एक कॉफी शॉप में जॉब करते हैं। आज संडे है इसलिए दोनों मन्नत की ओर जा रहे हैं।)
Now this timeकुछ देर बाद टैक्स ए दिखाने के सामने रूकती है मेरे सामान नेहा दोनों टैक्सी से नीचे उतरते हैं और नीचे हो उतरते ही नेहा झगड़ा चालू कर देती है ।
नेहा - "कितना हुआ अंकल?"टैक्सी ड्राइवर - "हां जी मैडम, 150 हो गए दोनों का।"
नेहा - "क्या? 150 हो गए? हम हर हफ्ते यहां पर आते हैं, 100 में तो आ जाते हैं, एसा क्या हुआ कि एक हफ्ते में ₹50 बढ़ गया?"
टैक्सी ड्राइवर - "बहन, महंगाई देखी है क्या आपने? इसी हफ्ते पेट्रोल का दाम बढ़ गया, इसलिए ₹100 की जगह 150 ले रहा हूं।"
नेहा - "झूठ बोलने की भी हद होती है। मैंने अखबार में देखा है, पेट्रोल का दाम तो वही है, लेकिन आज तुम भाव बढ़ा रहे हो। मैं सीधा बोल देती हूं, मैं तो बस ₹100 दूंगी।"
टैक्सी ड्राइवर - "अरे मैडम, क्यों टाइम खराब कर रही हो? मैंने कहा ना, आप चाहे तो मीटर जाकर चेक कर सकती हैं।"
नेहा - "हां, वही गाड़ी का मीटर ना, जो आप बार-बार रुक-रुक कर अपनी बातों में उलझा कर यहां तक लाए हैं। हम सब जानते हैं, यह आपके मीटर को बढ़ाने का एक बहाना है। मैं तो बस ₹100 दूंगी। अगर लेना है तो लो, वरना जाने दो। वैसे भी हम अपनी मंजिल तक आ ही गए हैं।"रेशमा - "नेहा, जाने भी दो। क्यों ₹50 के लिए चिक-चिक कर रही है।"
नेहा - "नहीं यार, आज इसने 150 कहा है। कल अगर 200 कहा, फिर 300 का तो हम क्या करेंगे? इसलिए इन लोगों को सबक सिखाना जरूरी है।"
नेहा - "ओ हेलो, अंकल, अगर आपको लेना है तो यह ₹100 पकड़ो, वरना मत लो। हमारा ₹100 तो वैसे ही बच जाएगा।"
टैक्सी ड्राइवर - "क्या मैडम, दे दो 100 ही। सुबह-सुबह अपनी बोहनी खराब करना नहीं चाहता। पता नहीं किसका शक्ल देखा था, शायद अपना ही शक्ल देख लिया होगा। किन दोनों से पाला पड़ा।"(यह कहकर टैक्सी वाला वहां से चला जाता है।)
नेहा - "देखा!! कैसे मैंने उससे ₹50 बचा लिया। उसे तो पता भी नहीं है। हम तो हमेशा ₹150 ही देते हैं, लेकिन हमने बेचारे का काट लिया।"
रेशमा - "नेहा!! यह तुमने अच्छा नहीं किया। बेचारा कितना उदास हो गया तुम्हें पता है..."
नेहा - "अरे, उनका छोड़। हम ₹50 में जाते समय गोलगप्पे खाएंगे और मैं तुझे भी खिलाऊंगी।"
रेशमा - "क्या सच में? तूने तो बहुत अच्छा किया जो उसकी काट ली। हम दूसरे दिन ₹80 देंगे और कहेंगे कि हम कल ही तो आए थे ₹80 में। तब तो ज्यादा मोमोज खाने को मिलेंगे, है ना?"
नेहा - "अगर थोड़ी देर यहीं पर रुकी तो, तुम तो पूरा मेनू कार्ड ही पढ़ाकर सुनाने लगोगी।"
रेशमा - "अच्छा चल, हम मन्नत के अंदर जाते हैं।"
(फिर दोनों इस बात पर हंसते हुए मन्नत के अंदर चले जाते हैं। नेहा और रेशमा की लाइफ में जाए कितनी भी मुसीबत क्यों ना हो लेकिन जैसे ही वह हर संडे अपने मन्नत के अंदर कदम रखते हैं वह अपने सारे थकान भूल जाते हैं। नेहा और रेशमा का इस दुनिया में कोई भी नहीं, लेकिन उन्होने पुरा अनाथाल , सारे बच्चे और अपने सारे दोस्तों को अपना सगा माना है ।
जरूरी नहीं की खून का रिश्ता ही सब कुछ हो अगर रिश्ते में प्यार हो तो पराया भी अपने लगने लगते हैं और मन्नत अनाथालय इसी प्यार और भरोसे का एक मिसाल है। जो सैकड़ो अनाथ बच्चों को अपनी गोद में लिए समेटा हुआ है।)
अगर आपको मेरी ये कहानी अच्छी लग रही हो तो प्लीज आगे कंटिन्यू जरूर करना, कहानी में लव है ,लव ट्रायंगल है झगड़ा है ,हार्टलेस माफिया से टकराव रेशमा का एक खडूस माफिया बॉस को अपने प्यार में पूरी तरह से पागल कर देना, नेहा का एक ऐसे इंसान के दिलों पर प्यार से जगाना जो कहीं खो गया था ,काफी कुछ रोमांटिक भी है जो आपको काफी ज्यादा पसंद आएगा ।