पब में गोलियों की आवाज गूंज रही थी और चारों तरफ खलबली मच जाती है। पूरे पब की लाइटें बुझ गई थीं और अंधेरा छा गया था चारों तरफ। जिससे तभी वही इधर इशानी, जिसे होश नहीं था कि उसके साथ क्या हो रहा है वो अचानक से ही बेड से उठ जाती है और जो लड़का उसपर झुक रहा था उसे नशे वाले हाल में ही जोर से ही धक्का देकर वो उस लड़के को खुद से दूर कर देती हैं और फिर अंधेरे में ही लड़खड़ाते हुए निकल जाती है कमरे से बाहर । इसके बाद वो अंधेरे में ही कॉरिडोर की दीवार पर हाथ रखते हुए , बस वो वहां से चलती चली जाती है और जब उसका हाथ एक दरवाजे पर अटकता है , तब तो वो फिर अंधेरे में ही डोर को छूते-छूते अंदर आ आ जाती है और पल भर में ही होश खोने के कारण गिर जाती है नीचे फर्श पर एक दर्द के साथ
परंतु वो यहां भी नहीं रूकती है बल्कि फिर वो वह अपना सर पकड़ लेती है और "अहहह" की आवाज निकालकर उठ जाती है वहां और जैसे ही आगे बढ़ती है और जब वह चलने की कोशिश करती है। तभी उसका पैर गलती से ही बेड से टकरा जाता है और वह अपना संतुलन खोए हुए धम से गिर जाती है इज़बार बेड पर । वैसे बिस्तर काफी मुलायम और गर्म स्पर्श उसे महसूस करवा रहा होता है। जिससे वही फिर इशानी वो अपने आप में ही मुस्कुरा देती हैं और फिर मूंद लेती है। अपनी आंखें।

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कुछ समय बाद,
इशानी बेहोश पूरी हक चुकी थी और कमरे में लाइट अब भी नहीं थी ।
चारों तरफ कमरे में अंधेरा पसरा हुआ था और माहौल बहुत डरावना सा लग रहा होता है कि तभी धड़ाक से ही कमरे का दरवाजा खुल जाता और एक शख्स, जो सिर्फ पैंट में था वो आ जाता है अंदर। वह लड़खड़ाते हुए आया, क्योंकि उसने ड्रिंक कर रखा था। उसके हाथ में फोन था, जो उसके कान के पास लगा हुआ था और कोई बात कर रहा होता उससे और तभी कोई कहता है, "बॉस, आज आपने पहली बार डिमांड की थी एक लड़की के लिए पर..."
लेकिन बात पूरी हो पाती । उससे पहले ही फोन उस शख्स के हाथ से छूट जाता है और गिर जाता है कही पर । लेकिन उस शख्स को कोई फर्क नही पड़ता है बल्कि वो उचकते हुए धीरे से भी बेड के पास आ जाता है और खड़े रहता है वहीं। पर फिर कुछ पल बाद उसकी धुंधली आंखे बेड पर टिक जाती और फिर वो ऊंघते हुए झुक जाता है और जैसे ही लेटता है, वह सीधे ही इशानी के ऊपर गिर जाता है।जिसकी वजह से वही फिर इशानी के टच से अचानक से ही इस शख्स के अंदरें एक तरंग सी उठ जाती है और वो अपना सर झटक के उठा लेता है अपना चेहरा और फिर वही खिड़की से आती हल्की रोशनी में वो निहारने लगता है बेड पर जहां इशानी बेहोश थी। जिसकी वजह से वही फिर उस शख्स के चेहरे पर अब एक कुटिल जहरीली सी मुस्कुराहट बिखर जाती है और वो हकलाते हुए कहता है।
"ओह... लड़की... आज रात भर के लिए लड़की मिल गई वाह... वैसे भी मुझे कोई क्यों ही मना करेगा... Vikrant Yadhuvanshi... ये नाम सुनकर ही ये लड़की मुझसे अपने शरीर की प्यास बुझाने आ गई," वह हंसकर कहता है।
और फिर कसकर ही दबोच लेता है वो उसे कंधे से । जिसकी वजह से वही फिर इशानी जो बेहोश थी वो अपने हाथ पर ऐसी पकड़ फील कर धीरे ही धीरे अपनी धुंधली आंखे खोल लेती हैं और फिर ताकने लगती है उसे। पर उसे कुछ समझ नहीं आता है और ना ही उसे कुछ असर हो रहा होता है और फिर ऐसे ही वो मूंद लेती है फिर से अपनी आंखे तो वही विक्रांत उसके करीब आकर उसे छूने लगता है और फिर पल भर में ही उसकी ड्रेस को फिसला देता है उसके एक कंधे से । सच मे वो बहुत प्यारी लग रही थी । उसके चेहरे पर मासूमियत से भरा साफ़ा नज़र आने लगता है और इसी वजह से विक्रांत जो नशे में ही था वो हाथ बढ़ाकर उसके बालों को हटाने लगता है और उसकी उंगलियाँ इशानी की नाजुक त्वचा को छूने लगती है। जिसकी वजह से वही फिर वो इतना मुलायम और मखमली सा महसूस कर बहुत ज्यादा ही खिल उठता है और कहता है
"माल," उसने धीमी, गहरी आवाज में पुकारा और वही इस शब्द को सुनकर इशानी उचक जाती है, वो भी हल्के से आंखें खोलकर। उसकी नजरें विक्रांत पर पड़ती हैं, पर उसे कुछ समझ नहीं आता क्योंकि एक तो बहुत कम रौशनी उसपर से आंखे भारी थी उसकी तो वो फिर से बेसुध हो जाती है और वही पल भर में विक्रांत उसे अपने नीचे दबाते हुए झुककर उसके चेहरे को हड़बड़ाए हुए हाथ से अपने हाथों में ले लेता है और उसकी त्वचा की गर्मी को महसूस करते हुए फेरने लगता है वहां पर और फुसफुसाते हुए कहता है ,
"भाग जाओ... वरना मुझसे बचेगी नहीं," वह कहता है।
पर इशानी को तो कोई होश नहीं था तो भागती कहा से तो बस विक्रांत उसे अब फिर ऐसे पाकर फिर जोर-जोर से हंसने लगता है और बंद आंखों से ही दबोच लेता है उसके जबड़े को और गुस्से में बिलबिलाए हुए कहता है,
" पैसों की भूखी है... ठीक , आज मिटाता हु तुम्हारी भूख "
और ये कहकर फ़िर विक्रांत अपने होंठ को उसके जबड़े पर रख देता है और चूम लेता है वहां है। जिसकी वजह से वही फिर इशानी तो अचानक से ही फिर चिहुंक उठती है, पर आगे कुछ नहीं होता। तो वही विक्रांत जो खुद में लगा था वो अब उसके गालों पर एक के बाद एक जोरदार चुंबन देने लगता है और इशानी हल्का-सा सिहरन महसूस कर उचकने लगती हैं अपनी जगह पर। वो अंदर ही अंदर अजीब सी सिहरन फील कर रही थी पर कुछ नहीं कर पा रही थी।
तो वही विक्रांत पर नशा खुमार था । वो अब उसके लबों की ओर देखने लगता है और फिर धीरे से ही अपने चेहरे को उसके पूरे ही चेहरे से जोड़ दबोच लेता है उसके लबों को अपने लबों में । यह अहसास हल्का था, जैसे वह उसकी अनुमति मांग रहा हो। लेकिन जब उसने कोई विरोध नहीं किया, तो विक्रांत अपना स्पर्श और गहरा कर देता है जैसे कितने जन्मों का भूखा हो और फिर उसकी बाहें इशानी के चारों ओर कस जाती है और और उसने उसे अपनी ओर खींच जकड़ लेता है अपनी मजबूत लोहे जैसी बाह में और वो उसके नीचे एक छोटी ढेर जैसी ढक सी जाती है।
Continue............
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