Bhagavad Gita book review in Hindi Book Reviews by Raju kumar Chaudhary books and stories PDF | भावद गीता - book review

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भावद गीता - book review

भगवद गीता – पुस्तक समीक्षा

पुस्तक का नाम: भगवद गीता
लेखक: महर्षि वेदव्यास (महाभारत का हिस्सा)
भाषा: संस्कृत (अनुवादित कई भाषाओं में)
शैली: दर्शन, आध्यात्मिकता, जीवनोपयोगी ज्ञान



समीक्षा:

भगवद गीता भारतीय संस्कृति और दर्शन का एक अनमोल ग्रंथ है। यह महाभारत के युद्धभूमि कुरुक्षेत्र में अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के संवाद के रूप में प्रस्तुत है। अर्जुन जब अपने कर्तव्यों और नैतिकता को लेकर संकट में होते हैं, तब श्रीकृष्ण उन्हें जीवन, धर्म और कर्म का सही मार्ग दिखाते हैं।

गीता के मुख्य संदेश हैं:

1. कर्मयोग: अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ करो, लेकिन उनके परिणाम से आसक्त मत रहो।


2. भक्तियोग: ईश्वर में विश्वास और भक्ति जीवन को आध्यात्मिक रूप से संतुलित करती है।


3. ज्ञानयोग: आत्मा की पहचान, जीवन और मृत्यु का ज्ञान प्राप्त कर व्यक्ति सच्चा ज्ञान हासिल कर सकता है।


4. आत्म-नियंत्रण और संतुलन: सुख-दुःख, सफलता-पराजय में संतुलित रहना सच्चे योग का मार्ग है।



गीता की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन देती है। यह मानसिक शांति, आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाती है।

लिखने की शैली:
गीता सरल, गहन और प्रेरणादायक शैली में लिखी गई है। श्लोकों के माध्यम से यह दर्शन और व्यवहारिक जीवन का संपूर्ण मार्गदर्शन देती है।

प्रभाव और महत्व:
गीता ने महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, एल्बर्ट आइंस्टीन, और कई विश्वदर्शियों को प्रभावित किया है। आज भी यह ग्रंथ व्यक्तिगत जीवन, व्यावसायिक निर्णय और आध्यात्मिक विकास के लिए प्रासंगिक है।

निष्कर्ष:
भगवद गीता जीवन में सही दिशा दिखाने वाला, प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक ग्रंथ है। इसे पढ़ना न केवल आत्मिक विकास के लिए आवश्यक है, बल्कि यह व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में संतुलन और स्थिरता भी प्रदान करता है।


भगवद गीता – विस्तृत पुस्तक समीक्षा

भगवद गीता, जिसे अक्सर “गीता” कहा जाता है, भारतीय दर्शन और धर्म का एक अनमोल ग्रंथ है। यह महाभारत के भीष्म पर्व का हिस्सा है और इसमें कुल 700 श्लोक हैं। गीता का संवाद कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि पर अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के बीच होता है। जब अर्जुन अपने सगे संबंधियों और गुरुजनों के विरुद्ध युद्ध करने की स्थिति में आते हैं, तब उनमें नैतिक और मानसिक द्वंद्व उत्पन्न होता है। इसी समय श्रीकृष्ण उन्हें जीवन, धर्म, कर्म, भक्ति और ज्ञान का मार्ग दिखाते हैं। गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है; यह जीवन को समझने, संघर्ष का सामना करने और सही निर्णय लेने की कला सिखाती है।

मुख्य संदेश और विषय

गीता का प्रमुख संदेश है कि व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ करना चाहिए, लेकिन कर्म के फल की इच्छा नहीं रखनी चाहिए। इसे कर्मयोग कहा गया है। यह जीवन का एक ऐसा सिद्धांत है जो किसी भी व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्मविश्वास प्रदान करता है। इसके अनुसार, कर्म करना प्रत्येक व्यक्ति का धर्म है, और कर्मफल से आसक्ति छोड़ना ही सच्चा ज्ञान है।

भक्तियोग भी गीता का महत्वपूर्ण भाग है। इसमें भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति को सर्वोच्च माना गया है। व्यक्ति जब पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ ईश्वर को स्मरण करता है और अपने कार्यों को समर्पित करता है, तो उसे मानसिक शांति, आनंद और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। भक्ति केवल पूजा तक सीमित नहीं है; यह जीवन में समर्पण, सेवा और सच्चाई का मार्ग है।

ज्ञानयोग के माध्यम से गीता आत्मा, जीवन, मृत्यु और सृष्टि के रहस्यों की व्याख्या करती है। इसमें बताया गया है कि आत्मा अमर और नित्य है, जन्म और मृत्यु केवल शरीर की सीमितता का परिणाम है। व्यक्ति जब इस सत्य को समझता है, तब वह भय, दुःख और संदेह से मुक्त होकर जीवन में सच्ची स्थिरता प्राप्त करता है।

गीता में संघर्ष और निर्णय लेने की कला भी सिखाई गई है। अर्जुन के द्वंद्व के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि कठिन परिस्थितियों में भी व्यक्ति को अपने धर्म और कर्तव्य का पालन करना चाहिए। चाहे परिस्थिति कितनी ही चुनौतीपूर्ण क्यों न हो, यदि व्यक्ति धर्मपरायण और निष्ठावान है, तो वह सही निर्णय ले सकता है।

गीता का संतुलन और मानसिक स्थिरता पर भी विशेष जोर है। सुख-दुःख, सफलता-पराजय में संतुलित रहना और अपने मन को नियंत्रित करना सच्चे योग का प्रतीक है। यह हमें बताती है कि जीवन में भावनाओं के अधीन होने से बचना चाहिए और कर्म, भक्ति और ज्ञान के माध्यम से अपने मन और आत्मा को नियंत्रित करना चाहिए।

लेखन शैली और प्रभाव

भगवद गीता की लेखन शैली अत्यंत प्रभावशाली, सरल और गहन है। श्लोकों में जीवन के हर पहलू को संक्षिप्त, परंतु स्पष्ट तरीके से प्रस्तुत किया गया है। इसमें दर्शन और व्यवहार का समन्वय है, जिससे पाठक न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि व्यावहारिक दृष्टि से भी मार्गदर्शित होता है। गीता का प्रभाव भारतीय संस्कृति और दर्शन में अद्वितीय है।

इस ग्रंथ ने महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, एल्बर्ट आइंस्टीन, और कई वैश्विक चिंतकों को प्रभावित किया है। गांधीजी ने इसे अपने जीवन का मार्गदर्शक माना और इसे “दैनिक जीवन के लिए एक अनमोल सूत्र” कहा। गीता की शिक्षाएँ आज भी वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक हैं, चाहे वह व्यक्तिगत जीवन, सामाजिक जिम्मेदारियाँ, व्यावसायिक निर्णय या मानसिक संघर्ष हों।

आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता

आज के तनावपूर्ण और प्रतिस्पर्धात्मक जीवन में भगवद गीता की शिक्षाएँ अत्यंत उपयोगी हैं। यह हमें सिखाती है कि:

कठिन परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए।

कर्म के फल से आसक्ति त्यागकर मानसिक शांति प्राप्त की जा सकती है।

ईश्वर में भक्ति और आत्मा के ज्ञान से जीवन में संतुलन और स्थिरता आती है।

मन और भावनाओं पर नियंत्रण रखना, निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाता है।


गीता हमें यह भी समझाती है कि आत्मा नित्य और अमर है। इसलिए मृत्यु और असफलताओं से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। इससे व्यक्ति जीवन में साहस, आत्मविश्वास और निष्ठा के साथ आगे बढ़ सकता है।

निष्कर्ष

भगवद गीता न केवल धार्मिक या आध्यात्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह जीवन जीने की कला, नैतिकता, संघर्ष और मानसिक स्थिरता का मार्गदर्शन भी देती है। यह व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन करने, भक्ति, ज्ञान और योग के माध्यम से जीवन में संतुलन और स्थिरता प्राप्त करने की शिक्षा देती है। इसे पढ़कर व्यक्ति न केवल आध्यात्मिक रूप से विकसित होता है, बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में भी सफलता और मानसिक शांति पा सकता है।

सारांश में, भगवद गीता जीवन की एक पूर्ण मार्गदर्शिका है। यह हमें कर्मयोग, भक्ति, ज्ञान और योग का महत्व समझाती है। जीवन में सही दिशा, संतुलन और आत्म-विश्वास पाने के लिए यह ग्रंथ अनिवार्य है। हर व्यक्ति के लिए इसे पढ़ना, समझना और जीवन में लागू करना अत्यंत लाभकारी है।