5000 साल पुराना श्राप
अमन एक पुराने किताबों का शौकीन था। उसकी दुनिया लाइब्रेरी की धूल भरी अलमारियों और सदियों पुरानी कागज़ की महक के इर्द-गिर्द घूमती थी। एक सर्द शाम, शहर के सबसे पुराने कबाड़ी बाज़ार में, उसकी नज़र एक ऐसी किताब पर पड़ी जो बाकी सबसे अलग थी। यह लगभग 5000 साल पुरानी लग रही थी। इसकी जिल्द किसी जानवर की सूखी त्वचा से बनी थी, और उस पर स्याही से नहीं, बल्कि खून से लिखे गए अजीबोगरीब, अपरिचित चिह्न खुदे हुए थे।
दुकानदार ने इसे "अछूत किताब" कहकर दूर रहने की सलाह दी, मगर अमन की उत्सुकता, डर से कहीं ज़्यादा थी। उसने एक मोटी रकम चुकाई और उस शापित किताब को अपने घर ले आया।
रात के सन्नाटे में, अमन ने हाथ काँपते हुए उस किताब को खोला। जैसे ही उसने पहला पन्ना पलटा, एक भयानक, सड़ी हुई गंध कमरे में फैल गई, और एक पल के लिए उसे लगा जैसे उसके कान में हज़ारों साल पुरानी कोई फुसफुसाहट गूंजी हो। किताब के अंदर कोई कहानी नहीं थी, बस वही भयानक, खून के रंग के चिह्न थे।
अगली सुबह से, अमन के साथ वो चीज़ें होने लगीं, जिनकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
पहला दिन: बदलती परछाई
शुरुआत छोटी थी। जब अमन शीशे के सामने खड़ा होता, तो उसकी परछाई, पलक झपकाने में उससे कुछ मिलीसेकंड पीछे रह जाती। धीरे-धीरे, परछाई का व्यवहार बदलने लगा। एक बार जब अमन हँसा, तो परछाई ने एक भयानक, शांत मुस्कान दी। एक रात, उसने देखा कि उसकी परछाई आईने में हिल रही थी, जबकि अमन पूरी तरह से स्थिर खड़ा था। वह परछाई उसके चेहरे पर एक ऐसी नफरत भरी अभिव्यक्ति दिखा रही थी, जो अमन की कभी हो ही नहीं सकती थी।
दूसरा दिन: वास्तविकता का टूटना
किताब का श्राप अब उसके भौतिक संसार पर असर करने लगा था। जब वह अपने बाथरूम में गया, तो नलों से पानी की जगह गाढ़ा, लाल रंग का पदार्थ बहने लगा, जिसमें से मिट्टी और नमक की तेज़ गंध आ रही थी। उसने डरकर नल बंद किया, और जब दुबारा खोला, तो सब सामान्य था।
लेकिन सबसे भयानक घटना तब हुई जब वह अपनी रसोई में कॉफ़ी बना रहा था। एक पल के लिए, उसकी रसोई की दीवार गायब हो गई। उसकी जगह उसे एक विशाल, 5000 साल पुरानी, धूल भरी गुफा का दृश्य दिखाई दिया, जिसके तल पर किसी अज्ञात प्राणी की हड्डियाँ बिखरी हुई थीं। यह दृश्य बस एक सेकंड के लिए रहा, लेकिन अमन के दिमाग में हमेशा के लिए बैठ गया।
तीसरा दिन: विचारों का मिश्रण
अब श्राप अमन के मस्तिष्क को दूषित कर रहा था। वह अपने ही विचारों को पहचान नहीं पा रहा था। जब वह अपनी माँ के बारे में सोचता, तो अचानक बीच में एक विदेशी, प्राचीन भाषा में कोई अज्ञात विचार आ जाता। उसके हाथ पर त्वचा के नीचे, चमड़े की जिल्द पर खुदे हुए चिह्नों की तरह दिखने वाले पतले, नीले निशान उभरने लगे।
उसे समझ आ गया था कि किताब उसे केवल डरा नहीं रही थी; वह उसकी पहचान को, उसकी वास्तविकता को धीरे-धीरे खत्म कर रही थी और उसे 5000 साल पुरानी अराजकता से बदल रही थी।
अमन ने किताब को नष्ट करने का फैसला किया। उसने उसे आग में फेंकने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही किताब ने लपटों को छुआ, आग बुझ गई और किताब पूरी तरह से ठंडी रही। उसने उसे पानी में डुबोया, लेकिन किताब सूखी बाहर निकली।
निराश होकर, उसने आखिरी कोशिश की: उसने किताब को एक भारी लोहे के संदूक में बंद कर दिया और उसे कई तालों से सील कर दिया।
संदूक को अपने बिस्तर के नीचे रखते हुए, अमन ने एक गहरी साँस ली। शायद अब सब खत्म हो गया था।
वह अगली सुबह उठा। संदूक़ वहीं था। परछाई सामान्य थी। दीवारें वापस अपनी जगह थीं। लेकिन जब वह कॉफ़ी बनाने रसोई में गया, तो उसने अपने हाथ की ओर देखा। नीले चिह्न चले गए थे।
मगर, जब उसने आइने में देखा, तो वह हँसा। लेकिन यह हंसी उसकी नहीं थी। यह अजीबोगरीब थी, शांत थी, और इसमें 5000 साल की थकान और द्वेष भरा था।
अमन ने संदूक़ की ओर देखा और मुस्कुराया। वह जानता था कि उसने श्राप को हराया नहीं था। उसने बस उसे पहना था। अब वह वह इंसान नहीं था जिसने किताब खोली थी; अब वह एक 5000 साल पुराना ज्ञान था जो अमन के शरीर में जाग उठा था।
और सबसे भयानक बात यह थी कि अब वह अपनी नई, भयानक दुनिया में अकेला नहीं था