हुकुम की मासूम मोहब्बत - in Hindi Love Stories by Candy Yadav books and stories PDF | हुकुम की मासूम मोहब्बत - भाग 1

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हुकुम की मासूम मोहब्बत - भाग 1

 


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"To the women who carry storms beneath calm waters,
you deserve someone who sees past your surface,
who touches the depths of your being,
where the night begins with your breath hitching
and ends with your soul branded by his love."

हिंदी अनुवाद, 

( उन महिलाओं के लिए जो शांत पानी के नीचे तूफान रखती हैं, 
आप किसी ऐसे व्यक्ति के लायक हैं जो आपकी सतह को देखता है, 
जो आपके अस्तित्व की गहराई को छूता है, 
जहां रात आपकी सांस लेने के साथ शुरू होती है 
और उसकी मोहब्बत से ब्रांडेड आपकी आत्मा के साथ समाप्त होती है।") 

इशानी की आँखें धुंधली हो चुकी थीं, और उसका शरीर नशे में डूब चुका था। पब की हलचल में, वह खुद को खो चुकी थी, और शराब के असर से उसके मन में एक अजीब सा धुंधलापन फैल गया था। आज की रात वह किसी और ही दुनिया में थी, और पब का शोर उसकी सुनवाई में म्यूट हो चुका था। जूस के गिलास में हर एक घूँट उसकी ज़िंदगी से एक नई उम्मीद को निगलता चला गया। वह धीरे-धीरे नशे में डूबती जा रही थी, और उसके विचार बेतहाशा भाग रहे थे, मानो वह किसी बुरे तूफ़ान का सामना कर रही हो। 

इतने में, एक सर्द हवा के झोंके की तरह, एक अजनबी की शख्सियत ने उसके आसपास का माहौल बदल दिया। उसकी आँखों में एक रहस्यमयी आभा थी, जैसे वह किसी और ही दुनिया से आया हो। काले कपड़े, चमड़े की जैकेट और आत्मविश्वास से भरा हुआ, वह आदमी जैसे ही उसके पास आया, इशानी का दिल कुछ ठहर सा गया। उसकी नज़रें सीधी इशानी पर थीं, जैसे उसकी आत्मा को पढ़ने की कोशिश कर रहा हो। 

“तुम अकेली हो?” उसकी आवाज़ ने इशानी के दिल को धक्का दिया, जैसे वह किसी खौफ़नाक कहानी का हिस्सा बन रही हो। 

इशानी ने हल्की मुस्कान के साथ सिर झुकाया और नशे में कहा, “हाँ, बस कुछ वक्त अकेले बिताना चाहती थी।” 

उस आदमी ने उसकी आँखों में एक शरारती चमक देखी और धीरे से उसके पास आकर बैठ गया और कहा, 

“कभी-कभी अकेले रहना हमें उन चीज़ों के करीब लाता है, जिन्हें हम ढूंढ नहीं सकते।” 

इशानी ने नशे में चुराई हुई अपनी सोच से झटका लिया, लेकिन फिर भी उसे उस आदमी की मौजूदगी ने किसी अजीब खिंचाव में बाँध लिया था। उसकी आँखों में एक खतरनाक आकर्षण था, जैसे वह सिर्फ़ एक छलांग में उसे अपनी गिरफ्त में ले सकता था। 

वह उसके पास और करीब आ गया। इशानी का दिल तेजी से धड़कने लगा, और उसके गालों पर गर्मी महसूस होने लगी। नशे में वह खुद को और नियंत्रित नहीं कर पा रही थी और इसी तरह उस आदमी की हंसी के साथ उसकी दुनिया और भी धुंधली होने लगी। पर उसे कुछ होता तभी वह शख्स कहता है। 

“क्या तुम जानती हो कि तुम किससे बात कर रही हो?” 

उसकी शख्सियत की आवाज़ अब गहरी और सख्त हो गई थी और यह कहकर वह पास में पड़ा हुआ एक ड्रिंक की बोतल उठा लेता है और गटक लेता है एक ही बार में और मूंद लेता है अपनी आँखें। तो वही इशानी ने उसके शब्दों को हल्के में लिया, पर उसका सिर चकरा रहा था, लेकिन वह जानती थी कि इस अजनबी में कुछ था, जो खतरनाक था। पर तभी वह कहता है, 

“हाँ, तुम जैसे जान सकती हो, (हंसकर)। लेकिन यह भी तो कोई नहीं जानता…” उसने धीरे से कहा और एक और बोतल गटक ली जैसे वह पानी पी रहा हो और उसकी आँखों में सवाल उभर आए। 

वह आदमी मुस्कराया, लेकिन उसकी मुस्कान में गहरी एक रहस्य छिपी हुई थी और इसी अंदाज़ में वह कहता है, 

"तुम जानती हो मेरे पास एक ऐसी ताकत है, जो तुम्हारे दिमाग को आसानी से झुका सकती है। और मुझे लगता है, तुम उसे चाहने लगी हो।” 

और यह कहकर वह पल भर में ही उसके करीब झुक सा जाता है और वही इशानी को लगने लगता है अब, लेकिन वह फिर भी उस डर के बावजूद, उसकी हिम्मत टूटने नहीं देती है और कहती है, 

“मैं खुद को जानती हूँ… और मुझे कुछ भी ज़रूरी नहीं…” वह बेमन से बोली। 

और इतना बोल वह वहाँ से हटने लगती है कि तभी वह आदमी उसकी गर्दन को हल्के से छू लेता है, वही इशानी की साँसें थम सी जाती हैं। हालांकि वह नशे में थी, लेकिन उसका शरीर उसकी ज़िद के खिलाफ कुछ और ही महसूस कर रहा था और वही उसे ऐसे पाकर उस शख्स की अंगुलियाँ इशानी के कंधे पर चली गईं, और वह उसके पास खींच लेता है और कहता है, 

“क्या तुम जानती हो कि तुम क्या कर रही हो?” उस आदमी का गला रुंधा हुआ था, उसकी आँखों में गहरा तूफ़ान था। उसकी आवाज़ में दबाव था, जैसे वह उसे अपनी गिरफ्त में लेना चाहता हो। जिससे वही फिर इशानी का दिल तेजी से ही धड़कने लगता है, लेकिन वह फिर भी पीछे हटने की कोशिश करने लगती हैं और कहती है। 

“तुम्हारी ये हरकतें ठीक नहीं हैं…” 

“जो सही नहीं है, वही तो मज़ा भी देता है,” वह आदमी उसके कान के पास झुका, और उसके गालों को हल्के से छुआ। 

जिस पर से पल भर में ही इशानी की आँखों में डर और विरोध का मिला-जुला भाव भर सा जाता है। वह अब किसी तरह से खुद को संभालने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसे खुद पर कोई विश्वास नहीं था। क्योंकि उसका नशा, वह आदमी, और उसका खतरनाक आकर्षण—सब कुछ मिलकर उसे और भी जकड़े हुए था और वह बहका रहा होता है इशानी को तो वही वह आदमी अपनी पकड़ को मजबूत करता हुआ, धीरे से उसके होठों के पास आ जाता है और अब उसकी साँसों की गर्मी इशानी के चेहरे पर महसूस होने लगती है तब फिर वह उसे दूर करने लगती है और कहती है। 

"तुम्हारी हरकतें ठीक नहीं हैं।" 

"वेल, क्या तुम चाहती हो कि मैं तुमसे दूर जाऊँ?" 

वह शख्स धीमी और गहरी आवाज़ में पूछता है। उसकी आँखों में वही खतरनाक लहर थी जो इशानी के अंदर तक समा रही थी। जिसके कारण वही फिर इशानी को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे, उसकी ज़िंदगी के इस मोड़ पर क्या सही था। वह नशे में थी, और उस आदमी की बुरी इच्छाओं से घिरी हुई थी। लेकिन फिर भी, उसे यह सब कुछ महसूस हो रहा था जैसे एक बुरे सपने का हिस्सा हो, जिसे वह कभी भूलना नहीं चाहती थी। पर फिर वह उसका हाथ झटक कर वहाँ से तेजी से ही दौड़ जाती है और सीधे ही घुस जाती है वॉशरूम में और धोने लगती है जल्दी-जल्दी अपना चेहरा। लेकिन उसका नशा नहीं उतरता है बल्कि उसे तो अपने जिस्म में जैसे आग लग गई हो वह सब महसूस होने लगता है और वह वही वॉशरूम में खड़े ही खड़े नोचने लगती है अपना शरीर। 

उसे अब अपने अंदर हलचल सी महसूस होने लगती है कि तभी धड़ाक से ही बाथरूम का दरवाज़ा खुल सा जाता है और उधर से तीन लड़के जिनके चेहरे पर बहुत गंदी सी मुस्कान थी वे आ जाते हैं अंदर और मुस्कुराते हुए उनमें से एक कहता है। 

“आज रात भर इस गुलाबी परी के साथ रंगरेलिया मनाने में अलग ही मज़ा आएगा।” 

“पहले मैं करूँगा फिर तुम,” उनमें से बीच वाला आदमी कहता है और फिर झट से ही आकर वह इशानी के शरीर को सेंशुअल तरीके से दबाते हुए उसे उठा लेता है अपने कंधे पर और हँसते हुए ही बढ़ जाता है एक कमरे की तरफ़ और वही इशानी नशे में पूरी तरह बेहोश वैसे के वैसे पड़ी रहती है। 

कमरे में पहुँचकर, वह आदमी इशानी को बिस्तर पर ले जाता है। उसकी आँखों में एक भूख है, जो इशानी के अंदर की हलचल को और बढ़ा देती है। वह धीरे से उसके शरीर पर हाथ फेरता है, जैसे किसी प्यासे को पानी मिल गया हो। इशानी की साँसें तेज हो जाती हैं, और उसका शरीर उसकी छुअन के साथ झुलस जाता है। 

“तुम कितनी खूबसूरत हो,” वह आदमी उसके कान के पास फुसफुसाता है, और उसके गालों पर हल्के से चूमता है। जिससे वही इशानी की आँखें बंद हो जाती हैं, और वह अपने आप को उसकी छुअन के साथ बहने देती है क्योंकि उसे तो होश ही नहीं है कि यहाँ उसके साथ क्या हो रहा है। 

कैसा लगा, भाग?

उम्मीद है आप लोगो ये कहानी पसंद आएगी। 
कंप्टीशन के लिए 😊लिख रही हु ,उम्मीद है आप लोग सपोर्ट करेंगे कमेंट , रेटिंग भी देंगे।