मेनका भाग 3
लेखक: राज फुलवरे
अध्याय पाँच — यशवंत की चाल और मेनका की साजिश
रामगढ के गांव में अब माहौल बदल रहा था.
गांव के लोग अब यशवंत की बहादुरी और साहस की चर्चा करने लगे थे.
मेनका की अजेय छवि में पहली दरार दिखाई दे रही थी.
यशवंत और सागर की योजना
यशवंत ने सागर से कहा —
>“ सागर, हमें अब मेनका का असली खेल पकडना होगा.
उसने हर गाँववाले से धन और सोना जमा कर रखा है.
हमें पहले बलवंतराव को सावधान करना होगा, फिर मेनका की चाल को बेनकाब करना।
सागर ने अपने मोबाइल और छुपे हुए रिकॉर्डिंग उपकरण तैयार किए.
>“ मैं हर कदम रिकॉर्ड करूँगा. अगर जरूरत पडी, तो सबूत अदालत तक पहुँचा देंगे।
यशवंत ने गाँववालों को भी धीरे- धीरे तैयार करना शुरू किया.
वो यह नहीं चाहते थे कि मेनका को पता चले.
हर कदम शांति और सूझबूझ से उठाना था.
मेनका की पहली चुनौती
मेनका ने महसूस किया कि यशवंत उसे चुनौती दे रहा है.
वो बलवंतराव के पास गई और कहा —
>“ पिताजी, यह लडका और उसका दोस्त कुछ कर रहे हैं. हमें सावधान रहना चाहिए.
मुझे लगता है कि उन्हें हमारे धन का पता चल गया है।
बलवंतराव ने मुस्कुराते हुए कहा —
>“ मेनका, तुम चिंता मत करो. यह हमारा सौदा है. हम सबकुछ नियंत्रित कर सकते हैं।
लेकिन मेनका जानती थी कि यशवंत सिर्फ एक आम लडका नहीं है.
उसमें दिमाग और चालाकी दोनों हैं.
यशवंत का पहला कदम
यशवंत ने तय किया कि पहले मेनका की बातचीत रिकॉर्ड करनी होगी.
सागर ने उसके लिए एक योजना बनाई —
>“ हम उसके पास जाल में घुसेंगे, उसे प्यार और दोस्ती का जाल दिखाएँगे,
और उसके हर कदम की वीडियो रिकॉर्डिंग कर लेंगे।
यशवंत ने गाँववालों की भीड को अलग किया.
मेनका अपने साहस और चालाकी में फँसी हुई थी,
उसे अंदाजा नहीं था कि यशवंत उसके हर कदम पर नजर रख रहा है.
पहली मुठभेड
यशवंत ने मेनका से सीधे संवाद किया —
>“ मेनका, हमें पता है तुमने गाँववालों को अपने जाल में फँसाया है.
अब हमें देखना है कि तुम सच में कितनी चालाक हो।
मेनका ने मुस्कुराते हुए कहा —
>“ ओह! लगता है तुम समझदार हो. पर यह खेल लंबा है.
मेरे पास हर चाल का जवाब है. तुम सोच भी नहीं सकते कि मैं कैसे आगे बढती हूँ।
सागर ने चुपचाप रिकॉर्डिंग शुरू कर दी.
मेनका को यह पता नहीं था कि यशवंत और सागर हर शब्द और हर कदम रिकॉर्ड कर रहे थे.
बलवंतराव का शक
बलवंतराव ने यशवंत की हरकतें देखीं और शक होने लगा.
>“ यशवंत, तुम क्या कर रहे हो? मुझे लगता है कि यह लडका हमारे सौदे में दखल दे रहा है।
यशवंत ने शांति से कहा —
>“ पिताजी, मैं सिर्फ यह सुनिश्चित कर रहा हूँ कि गाँववालों के हित में कोई नुकसान न हो.
मेनका के खेल को सही तरीके से समझना और रोकना ही मेरा उद्देश्य है।
बलवंतराव ने गहरी साँस ली,
समझते हुए कि यह लडका किसी साधारण चुनौती से अधिक खतरनाक है.
मेनका की चाल
मेनका ने भी योजना बनाई —
वो यशवंत को भ्रमित करने के लिए गाँव में नई चाल चल रही थी.
हर आदमी जो उसके जाल में फँसा हुआ था, उसे यशवंत की गतिविधियों का पता नहीं चलना चाहिए.
>“ सागर और यशवंत, तुम सोचते हो कि मैं आसानी से पकडी जाऊँगी?
यह खेल अभी शुरू भी नहीं हुआ है।
लेकिन यशवंत अब अधिक चौकस था.
>“ हर चाल का रिकॉर्ड है, मेनका. अब तुम्हारे पास बचने का कोई रास्ता नहीं।
पहली जीत का संकेत
दिन के अंत तक यशवंत और सागर ने मेनका की कई चालों को रिकॉर्ड किया.
गाँववालों को भी धीरे- धीरे यकीन होने लगा कि मेनका का खेल पूरी तरह सुरक्षित नहीं है.
मेनका के साहस और चालाकी के बावजूद, यशवंत की सूझबूझ ने पहली जीत दिलाई.
गाँववालों ने पहली बार महसूस किया कि यह लडका किसी आम व्यक्ति जैसा नहीं है.
अगले कदम की तैयारी
रात के समय यशवंत और सागर अपने ठिकाने पर योजना बना रहे थे.
>“ मेनका को रोकने का असली खेल अभी शुरू होता है.
अब हमें उसे उसके जाल में फँसाना होगा और बलवंतराव को सच दिखाना होगा।
सागर ने कहा —
>“ हमारे पास सबूत हैं. अब केवल सही समय का इंतजार है.
और जब समय आएगा, मेनका की सारी चालें गाँववालों और बलवंतराव के सामने होंगी।
यशवंत ने चुपचाप निहारते हुए कहा —
>“ मेरी जीत अब दूर नहीं. मेनका, तुम्हारा खेल खत्म होने वाला है।
अध्याय छह — मेनका का जाल टूटना और यशवंत की योजना
रामगढ का माहौल अब धीरे- धीरे बदल रहा था.
गाँववालों की नजरें अब मेनका पर थीं, और यशवंत की सूझबूझ ने उन्हें भरोसा दिलाया कि अब कोई भी चालाकी छुप नहीं सकती.
यशवंत और सागर का रणनीति कक्ष
रात के समय यशवंत और सागर अपने छुपे हुए ठिकाने पर योजना बना रहे थे.
यशवंत ने कहा —
>“ सागर, अब समय आ गया है. हमें मेनका की अगली चाल को पहले ही रोकना होगा.
उसके हर कदम का रिकॉर्ड हमारे पास है. अब इसे बलवंतराव और गाँववालों के सामने लाना है।
सागर ने कंप्यूटर पर रिकॉर्डिंग तैयार की.
>“ मैंने उसकी आवाज, उसके कदम, और उसकी हर बातचीत रिकॉर्ड कर ली है.
अब केवल सही समय पर उसे दिखाना है।
मेनका की बडी चाल
मेनका ने तय किया कि अब वह बलवंतराव के घर में सबसे बडा खेल खेलेगी.
वो गाँव के सबसे धनवान परिवार को फँसाने की योजना बना रही थी.
>“ मैं इसे प्यार और छल के जाल में फँसाऊँगी, और सारी संपत्ति अपने नाम कर लूंगी।
लेकिन उसे यह पता नहीं था कि यशवंत और सागर हर कदम पर नजर रख रहे थे.
उनकी योजना अब मेनका के जाल को उलट देने की थी.
पहला जाल फेल
जब मेनका ने गाँव के एक व्यक्ति से सोना और धन लेने की कोशिश की,
यशवंत और सागर ने उसे ऐसे रिकॉर्ड किया कि बलवंतराव को तुरंत दिखाया जा सके.
यशवंत ने बलवंतराव से कहा —
>“ पिताजी, देखिए यह वीडियो. मेनका हर घर में जाल डाल रही है.
यह सब कुछ धोखे और छल के तहत हो रहा है।
बलवंतराव ने वीडियो देखी और स्तब्ध रह गए.
>“ यह कैसे हो सकता है? मैंने तो सोचा था कि यह सुरक्षित सौदा है.
लेकिन यह लडका सच में चालाक है. मेनका का खेल अब बेनकाब हो गया।
गाँववालों की प्रतिक्रिया
गाँववालों को भी अब यकीन हो गया कि मेनका का खेल पूरी तरह धोखा है.
वे धीरे- धीरे मेनका के पास से हटने लगे.
>“ हमने उसे इतनी देर तक देखा, पर अब समझ में आया कि वह सिर्फ धोखा देने आई थी।
मेनका ने महसूस किया कि उसका जाल टूट रहा है.
उसकी चालाकी और साहस अब उसकी मदद नहीं कर रहे थे.
यशवंत की अंतिम चाल
यशवंत ने सागर से कहा —
>“ अब अंतिम कदम उठाने का समय है.
हमें मेनका को उसके जाल में फँसाते हुए बलवंतराव के सामने पेश करना है.
तभी गाँववालों को पूरी सच्चाई पता चल पाएगी।
सागर ने सब तैयार किया.
वे दोनों गाँव के मुख्य चौक पर गए और मेनका को बुलाया.
यशवंत ने मुखर होकर कहा —
>“ मेनका, अब तुम्हारा खेल खत्म.
यहाँ बलवंतराव, गाँववाले, और सबूत मौजूद हैं.
यह देखो कि तुम्हारा जाल कैसे बेनकाब हो गया।
मेनका का सामना
मेनका ने सोचा कि अब कुछ बचा नहीं है.
उसकी आँखों में पहली बार डर झलक रहा था.
>“ यह कैसे संभव है? मैंने सब कुछ सोचा था.
लेकिन यह लडका और उसका दोस्त मेरे हर कदम पर नजर रख रहे थे।
बलवंतराव ने गंभीर स्वर में कहा —
>“ मेनका, तुम्हारा खेल अब खत्म. गाँववालों के साथ धोखा नहीं चलेगा.
यह सबूत तुम्हारे खिलाफ है. अब तुम्हें अपने अपराधों का सामना करना होगा।
सागर और यशवंत की सफलता
सागर ने रिकॉर्डिंग और दस्तावेज बलवंतराव के सामने पेश किए.
मेनका के हर शब्द और हर चाल साफ दिखाई दे रही थी.
गाँववालों ने भी यकीन किया कि यह लडके और सागर ने गाँव की रक्षा की.
यशवंत ने सागर से कहा —
>“ हमने अब मेनका के जाल को पूरी तरह तोड दिया.
अब गाँव सुरक्षित है और बलवंतराव को भी सच्चाई समझ में आ गई है।
सागर मुस्कुराया —
>“ हाँ, यशवंत. अब गाँववाले चैन की साँस ले सकते हैं.
और मेनका अब कभी उनके घरों में प्रवेश नहीं कर पाएगी।
अध्याय का समापन
गाँव में अब शांति का माहौल था.
मेनका की पहली बडी चाल बेनकाब हो गई थी.
यशवंत और सागर ने अपनी सूझबूझ और साहस से गाँववालों को सुरक्षित रखा.
मेनका, हालांकि अभी भी खतरनाक थी,
लेकिन अब उसका प्रभाव गाँव पर नहीं रहा.
गाँववालों ने यशवंत और सागर की बहादुरी की सराहना की.
>“ जो खेल सही दिशा में हो, उसकी जीत निश्चित होती है।