Bewafai ki Saza - 3 in Hindi Fiction Stories by S Sinha books and stories PDF | बेवफाई की सजा - 3

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बेवफाई की सजा - 3

                                                                         बेवफाई की सजा   


अंतिम भाग 3  - अभी तक आपने पढ़ा होगा की आभा अपनी पड़ोसन नूपुर के ऐश ओ आराम की जिंदगी देख कर उसके बहकावे में आ कर गलत कदम बढ़ाने के लिए तैयार हो जाती है  . वह होटल में जाती है जहाँ अचानक उसका पति भी पहुँच जाता है  ..   . अब आगे पढ़ें  …    

 

आलोक के मन में पहले से ही आभा के बिहेवियर में कुछ चेंज देख कर शंका थी  . उसने बॉस से कहा “ सर मैंने 320 की चाबी ले ली है , मुझे टॉयलेट जाना है  . आप कुछ देर में वहीँ आ जाएँ  . “


आलोक 320 न जा कर बगल के 321 में  गया  . बेल बजने पर आभा ने अपना क्लाइंट समझ कर दरवाजा खोला  . दरवाजे पर आलोक को देख कर उसे हजारों वोल्ट का करंट लगा  . उसके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकल सका  . “ 


“ तुम इस वक़्त यहाँ ? “ 


आभा कुछ देर खामोश खड़ी रही , फिर रोने लगी थी  . “ सिर्फ रोने से काम नहीं चलेगा  . तुम अपने पति का  इंतजार  कर रही थी न  ? लो  मैं आ गया  . बोलो मुझे यहाँ क्यों बुलाया था ? “ 


इसी बीच आलोक के बॉस का फोन आया “ आलोक। अमेरिका से क्लाइंट का फोन आया था  . वहां भी क्राउड स्ट्राइक के चलते अफरा तफरी है और हजारों उड़ानें रद्द कर दी गयी हैं  . उनकी टीम भी वेन्यू पर नहीं पहुँच रही है  . इसलिए हमारी मीटिंग रिशिड्यूल कर दी गयी है . मैं अब घर जा रहा हूँ , फिर दोपहर में ऑफिस में मिलूंगा . “ 


“ ओके सर , मैं भी आपको फोन करने वाला  था . मेरी वाइफ की तबीयत अचानक ख़राब हो गयी है . हो सकता है मैं आज ऑफिस न आ सकूं . “ 


आलोक  दरवाजा अंदर से लॉक कर आभा को बेड  तक खींचते हुए ले गया और बोला “ क्या हुआ ? गूंगी हो गयी हो ? तुम यहाँ क्यों आयी और किसके कहने पर आयी ? “ 


आभा थर थर कांपते हुए बोली “ नूपुर के बहकावे में आने से मेरे कदम एक बार बहक गए थे . मैं अपने बच्चे की कसम खा कर कहती हूँ कि मैं इस से निकलना चाहती थी . पर नूपुर  मेरा वीडियो दिखा कर ब्लैकमेल कर रही थी . उसने मुझे इसी महीने इस दलदल से निकालने का वादा किया है . मैं लाचार थी और अपने किये पर बहुत शर्मिंदा हूँ . मेरी भूल शायद क्षमा योग्य न हो .  प्लीज आलोक , मुझे माफ़ कर दो और  मुझे एक और मौका दो. “


आभा रोते रोते बेहोश हो आलोक के पैरों पर गिर पड़ी . आलोक ने रिसेप्शन से कहा “ इस रूम में किसी को नहीं आने देना है . मैं अभी पुलिस को बुलाता हूँ . तुम्हारे होटल में बहुत गलत काम हो रहा है .  “ 


थोड़ी देर में आभा का क्लाइंट रिशेप्शन पर आया तब स्टाफ ने कहा “ आप यहाँ से जल्दी से भागें नहीं तो हम दोनों के लिए बहुत बुरा होगा . “ 


इधर आलोक  आभा के मुंह पर पानी छिड़क रहा था . कुछ पल बाद आभा को होश आया . उसने फिर रोते  हुए कहा “ मुझे माफ़ कर दोगे  न ? “ 


“ पहले  घर चलते हैं बाकी बातें वहीँ होंगी . “


घर पहुँचने के बाद दो दिन तक आभा और आलोक में कोई बातचीत नहीं हुई  . दोनों अलग अलग कमरों में रहते थे पर  खाने पीने के समय दोनों टेबल पर साथ होते . आभा ने कहा “ इस तरह तो हम सदा नहीं रह सकते . कसूर नूपुर का भी है . उसे भी सजा मिलनी चाहिए . मैं उसका भांडा फोड़ दूँगी . “


“ हमें नूपुर से कोई मतलब नहीं है . उसका भांडा  फोड़ने के चक्कर में कहीं हमारा घर न बर्बाद हो जाये . उसे जहन्नुम में जाने दो . 


 शुरू में रात में बंटी कुछ दिन आभा के साथ सोया करता पर उसके बाद बंटी को आलोक अपने साथ सुलाया करता था . उसने बंटी को इसका कारण माँ की झूठी गंभीर बीमारी बताया . दोनों पति पत्नी एक ही छत के नीचे रह कर भी अलग ही थे . 


आभा छुप छुप कर बंटी  से कुछ देर बातें कर लेती थी . बंटी जब कहता “ मुझे मम्मी के पास जाना है . “  तब आलोक उसे समझाता “ मम्मी की बीमारी ठीक हो जाये तब तुम उसके साथ रह सकते हो . “


इस तरह महीनों  गुजर गए तब एक दिन आभा ने रोते  हुए पति से कहा “ सुबह का भूला अगर शाम को घर आ जाये तो उसे भूला नहीं कहते हैं . मुझे  अपनी भूल के लिए  बहुत पश्चाताप  है और मैंने बार बार इसके लिए क्षमा भी मांगी है . “ 


“ नहीं , मैं तुम्हें माफ़ भी नहीं कर सकता हूँ  . “ 


“ तब मैं क्या करूं ? इस तह जीने से तो अच्छा है मैं सुसाइड कर लूं.   “ 


“ नहीं तुम सुसाइड नहीं करोगी . यह  बंटी के लिए ठीक  नहीं रहेगा   . तुम्हें इसी तरह जीना होगा . यही है तुम्हारे विश्वासघात  की सजा .  “   


कुछ दिनों के बाद नूपुर ने फोन कर आभा को अपने यहाँ बुलाया  . आभा बोली “ मैंने तुम्हें कहा था न कि अब तुम मुझसे दूर रहना , न कोई बातचीत होगी न ही मिलना जुलना होगा  . “ 


“ हाँ , कहा था और उसके बाद से इतने दिनों से मैंने तुमसे दूरी बनाए रखी है  . पर आज कुछ ऐसी बात है कि हम दोनों का मिलना जरूरी है  .मैं फोन पर सब नहीं बता सकती हूँ  .  “ 


“ ऐसी क्या बात है जो मिले बिना नहीं कह सकती हो ? “ 


“ ठीक है न मिलो पर बात अब सिर्फ मेरे और तुम्हारे बीच की नहीं रही है  . “  नूपुर बोली 


“ तब और किस की बात है और किसी और की बात से मुझे क्या लेना देना है ? “  आभा ने कहा 


“ बात अब तुम्हारे और मेरे पति के बीच की है  . “ 


“ मेरे पति को बीच में नहीं घसीटो  . “ आभा ने चिल्ला कर कहा 


“ ज्यादा चिल्लाओ मत  . आलोक मेरे पति के ऑफिस में गया था और वहां दोनों में झगड़ा हुआ  .  और भी बहुत कुछ है पर बाकी बातें मिलने पर बताऊंगी  . इसलिए कहा था आने के लिए  .  “ 


“ अच्छा आती हूँ  . “  कुछ पल सोचने के बाद आभा ने कहा 


कुछ देर बाद आभा नूपुर के घर गयी  . नूपुर ने दरवाजा खोला और उसे बैठने के लिए कहा  . आभा ने महसूस किया कि  हमेशा टिपटॉप दिखने वाला नूपुर का घर आज काफी अस्त व्यस्त था  . कुछ सामान फर्श पर टूटे बिखरे पड़े थे  . नूपुर काफी उदास और चिंतित थी  . आभा ने पूछा “ बोलो , किस लिए मुझे बुलाया है ? “


“ पिछले सप्ताह आलोक ने मेरे पति को हम दोनों के  बारे में बताया था  .  आलोक सारा दोष मुझ पर लगा रहा था  . मैं प्रेग्नेंट थी  . मेरे पति ने इसे अपना बच्चा मानने से इंकार कर दिया  . उसने गुस्से में आ कर बहुत तोड़ फोड़ किया  . मैंने बहुत कोशिश की उसे भरोसा दिलाने के लिए कि यह बच्चा उसी का है  . पर वह न माना और मेरे सामने उसने तलाक का पेपर रख दिया   है  . उसने कहा है अगर मैंने तलाक पेपर पर साइन नहीं किया तो वह मुझे मार कर खुद खुदकुशी कर लेगा  . तंग आ कर  मैंने दो दिन पहले जा कर अबॉर्शन करवा लिया है  . “ 


“ ओह , सॉरी  . “  आभा ने कहा 


“ अब सॉरी की कोई बात नहीं रही है  . वो चैप्टर तो क्लोज हो गया है  . मेरे पति ने कुछ देर पहले मुझसे कहा है  कि ऑफिस में उसकी बहुत बदनामी हो चुकी है अब वह आलोक के ऑफिस में जाकर तुम्हारे बारे में भी सब को बता देगा  . अब तक वह आलोक के ऑफिस में पहुँच गया होगा  . फिर शाम तक जब दोनों घर आएंगे तो यहाँ सोसाइटी में भी हमलोगों का तमाशा होगा  . इसलिए अब और जीने की इच्छा नहीं है  . “ 


इतना बोल कर अचानक नूपुर ने जहर की शीशी का सारा जहर अपने मुंह में उड़ेल लिया  . देखते ही देखते उसका निर्जीव शरीर जमीन  पर लुढ़क गया  . यह सब देख कर आभा बहुत डर गयी  . वह कल्पना करने लगी कि शाम को आलोक और नूपुर के पति के आने के बाद यहाँ का क्या दृश्य होगा  . वह धीरे धीरे चल कर अपने फ्लैट में गयी और उसने दरवाजा बंद कर लिया  . 


शाम को जब आलोक बंटी को ले कर घर आया तो उसने डोरबेल बजाया  . कुछ देर तक जब दरवाजा नहीं खुला तब उसने अपने बैग से डुप्लिकेट चाभी निकाल कर दरवाजा खोला  . बेडरूम में जाने पर उसने देखा कि आभा का मृत शरीर पंखे से लटका हुआ था  . 


मासूम बंटी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था  . 

 


                                                       समाप्त 


नोट - यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है  .