आख़िरी ड्यूटी
बारिश ज़ोरों से हो रही थी।
हॉस्पिटल के गलियारे में अँधेरा पसरा था, बस एक-एक कर टिमटिमाती लाइटें जल रही थीं।
नर्स सीमा को आज रात की ड्यूटी पर नया वार्ड मिला था — वार्ड नंबर 13।
कहते हैं, वो वार्ड सालों से बंद था… पर आज किसी वजह से उसे खोलना पड़ा था।
सीमा ने धीरे-धीरे दरवाज़ा खोला। अंदर सन्नाटा था, बिस्तर खाली थे, दीवारों पर पुरानी दवाइयों की गंध थी।
वो मुड़ी और बाहर निकलने लगी — तभी एक अजीब सी आवाज़ आई,
"रुको… अभी नहीं…"
सीमा का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा।
उसने पीछे मुड़कर देखा — कमरे में कोई नहीं था, लेकिन दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया।
बिजली झपकी, और दीवार पर किसी के खड़े होने की परछाईं दिखी।
वो परछाईं धीरे-धीरे हिलने लगी… जैसे कोई उसे घूर रहा हो।
सीमा डर के मारे जड़ हो गई।
उसका शरीर हिल नहीं पा रहा था, सांसें अटक गईं।
वो परछाईं पास आई, और अचानक सीमा को हवा में उठा लिया — जैसे कोई अदृश्य हाथ उसके गले को कस रहा हो।
वो चीख नहीं पा रही थी — उसकी आवाज़ किसी ने खींच ली थी।
अचानक दीवार पर टंगी पुरानी मरीज़ों की फाइलें नीचे गिर पड़ीं।
एक फाइल खुली — उसमें सीमा की ही तस्वीर थी।
नीचे लिखा था — “मृत: 5 नवंबर 2023, वार्ड नंबर 13”
सीमा की आँखें फैल गईं।
वो बार-बार फाइल पढ़ने लगी, पर पीछे से चार और फाइलें उड़ती हुई आईं और उसे खींचने लगीं।
अब चारों तरफ वही फाइलें उड़ रही थीं — हर एक से काले धुएँ जैसी परछाइयाँ निकल रही थीं, जो धीरे-धीरे इंसानों के आकार में बदलने लगीं।
एक परछाईं उसके कान के पास आकर फुसफुसाई —
"हम सब भी यही सोचते थे… कि हम ज़िंदा हैं।"
और तभी सीमा को सब याद आने लगा।
वो खुद डॉक्टर मेहरा के साथ मिलकर मरीज़ों के अंग चुराती थी।
जो गरीब इलाज के लिए आते थे, वो कभी घर नहीं लौटते थे…
डॉक्टर उनके अंग बेच देता था, और सीमा उसे छुपाने में मदद करती थी।
लेकिन एक दिन, लालच में सीमा ने ही डॉक्टर को धमकी दी —
"अगर मुझे आधे पैसे नहीं मिले… तो मैं सबको सच बता दूँगी!"
उस रात डॉक्टर ने उसे इंजेक्शन लगाया — और हमेशा के लिए सुला दिया।
अब वही डॉक्टर उसके सामने खड़ा था।
हाथ में खून से सनी कैंची, और आँखों में अंधेरा।
"सीमा... अब मेरी बारी है तुझे काटने की..." उसने फुसफुसाया।
सीमा चीखने लगी, पर उसके चारों ओर वही परछाइयाँ उठ खड़ी हुईं —
वो सब जिनके अंग उसने चुराए थे।
उन्होंने सीमा को पकड़ लिया, और अंधेरे के उस कोने में घसीट लिया जहाँ न दीवारें थीं, न रोशनी।
सिर्फ़ ठंडी सिसकियाँ… और सीमा की गुम होती आवाज़।
सुबह जब नर्सें वार्ड नंबर 13 पहुँचीं, तो सब कुछ शांत था।
कमरे में बस एक फाइल पड़ी थी —
उस पर लिखा था:
“सीमा — मृत: आज रात।”
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😨 कहानी समाप्त — पर वार्ड नंबर 13 अब भी बंद है...
कहते हैं, जो भी उस दरवाज़े को खोलता है…
उसे कोई आवाज़ ज़रूर सुनाई देती है —
“रुको… अभी नहीं।”
By pooja kumari
🩸 लेखक का संदेश:
अगर “ड्यूटी” ने आपके दिल में एक ठंडक, डर या सोचने की लहर छोड़ी हो,
तो एक पल रुकिए… और सोचिए —
क्या हमारी हर “ड्यूटी” सच में इंसानियत की होती है, या लालच की?
सीमा की कहानी तो यहीं खत्म हुई,
पर शायद आपकी “ड्यूटी” अब शुरू होती है —
सच बोलने की, सही करने की, और डर के पार देखने की।
🖤 अगर कहानी पसंद आई हो तो
✨ रिव्यू ज़रूर दीजिए,
📚 लेखक को फॉलो कीजिए,
ताकि अगली हॉरर कहानी का अंधेरा सबसे पहले आपके पास पहुँचे…
कौन जानता है… अगली बार “ड्यूटी” आपकी हो। 👁️