Maharakshak Arjun in Hindi Thriller by Novel Yoddha You Tube books and stories PDF | Maharaksak Arjun

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Maharaksak Arjun

चमकदार रोशनी से भरा राजमहल बेहद शानदार और प्रभावशाली दिख रहा था। महल के हर कोने में जलती हुई हरी चट्टानों से नीला धुआँ ऊपर उठ रहा था, जिसकी महक मन को शांत करने वाली थी।

ये नीला चंदन कहलाता था — ध्यान और साधना में मदद करने वाली दुर्लभ वस्तु। इतनी कीमती चीज़ को ईंधन की तरह जलाना बताता था कि इस महल के मालिक कितने ऊँचे दर्जे के हैं।महल के अंदर एक मध्य उम्र का व्यक्ति खड़ा था — आदर्श सूर्यबंशी, सूर्यबंशी साम्राज्य का राजा।


उसके चेहरे पर दृढ़ता झलक रही थी, आँखों में राजसी तेज था। लेकिन अगर कोई ध्यान से देखे, तो उसकी दाईं भुजा नहीं थी — वो किसी युद्ध में कट चुकी थी।उसके पास खड़ी थी उसकी रानी — कृतिका। सुंदर, पर बहुत कमजोर और पीली पड़ी हुई।


दोनों की नज़रें सामने बिस्तर पर लेटे तेरह साल के लड़के पर टिकी थीं — उनका बेटा, आर्यन।लड़का कमजोर था, चेहरा पीला, आँखें बंद। उसके चेहरे पर हल्की-सी लाल ऊर्जा की रेखा घूम रही थी, जो किसी ज़हरीली सर्प जैसी लगती थी। कभी-कभी हल्की सी ड्रैगन की गर्जना जैसी आवाज़ सुनाई देती थी।


आर्यन का शरीर दर्द से कांप रहा था, जैसे भीतर कुछ उसे निगलने की कोशिश कर रहा हो।उसके पास एक सफेद बालों वाला वृद्ध बैठा था —  मास्टर कबीर। उसके हाथ में एक तांबे का दर्पण था, जिससे निकलती हल्की रोशनी आर्यन के शरीर पर पड़ रही थी। धीरे-धीरे वह लाल धुंध शांत होने लगी और अंत में आर्यन की हथेली में समा गई।वृद्ध ने गहरी सांस ली, राहत भरी आवाज़ में बोला —“बधाई हो महाराज, महारानी… राजकुमार ने तीन साल बाद वाला ज़हर का हमला फिर से सह लिया। अब अगले तीन साल तक कोई खतरा नहीं रहेगा।


”राजा आदर्श और रानी कृतिका ने राहत की सांस ली।आदर्श ने उम्मीद भरी नज़रों से पूछा,“गुरुजी, आर्यन अब तेरह साल का हो गया है। इस उम्र में तो बच्चों की आठ मेरिडियन धाराएँ खुल जाती हैं और वे साधना शुरू करते हैं। क्या उसके अंदर भी अब वो धाराएँ मिलीं?”वृद्ध का चेहरा मुरझा गया, उसने धीरे से सिर हिलाया,“महाराज, मुझे अब भी उसकी आठ धाराएँ नहीं मिलीं…”राजा का चेहरा फीका पड़ गया।



इस दुनिया में साधना की शुरुआत इन्हीं आठ धाराओं से होती थी। बिना इनके कोई भी व्यक्ति निशानी मास्टर नहीं बन सकता था।वृद्ध ने भारी स्वर में कहा,“राजकुमार का जन्म तो पवित्र ड्रैगन आशीर्वाद के साथ हुआ था। वह पूरी दुनिया में चमकने वाला था… लेकिन भाग्य ने बहुत बड़ा खेल खेला।



”रानी कृतिका की आँखें नम हो गईं, और वह खाँसी में खून उगलने लगीं।“महारानी, संभलिए!” – वृद्ध ने कहा। “आपने अपने प्राणों का रस आर्यन को ज़िंदा रखने में बहा दिया है, खुद को और कमजोर मत कीजिए।

”कृतिका ने कमजोर मुस्कान दी, फिर बोलीं —“आर्यन का ज़हर हर तीन साल में और खतरनाक होता जा रहा है। अगर अगले तीन साल में उसकी आठ धाराएँ नहीं खुलीं, तो क्या वो… बच पाएगा?”वृद्ध ने चुप रहकर सिर झुका लिया,“तीन साल बाद ये ज़हर किसी भी बाहरी दवा से नहीं रुकेगा… उस समय तक अगर आर्यन ने खुद इसे नहीं मिटाया, तो शायद…”महल में सन्नाटा छा गया।



कुछ पल बाद एक धीमी लेकिन साफ़ आवाज़ गूँजी —“इसका मतलब है कि… मेरे पास सिर्फ़ तीन साल बचे हैं?”सब चौंक गए — आर्यन जाग चुका था।वो धीरे से बैठा, उसकी हथेली में एक लाल चमकती गांठ थी — जैसे लहू का कोई जिंदा टुकड़ा हो। वो हल्के-हल्के हिल रही थी, और उसमें से ठंडी नफरत भरी लहरें उठ रही थीं।


“पिताजी, माताजी… अब तो मुझे सच बता दीजिए। ये मेरे शरीर में क्या है?”आदर्श सूर्यबंशी का चेहरा पत्थर जैसा हो गया। आखिरकार उसने भारी आवाज़ में कहा —“ये है ड्रैगन का श्रापित ज़हर — ड्रैगन रेसेंटमेंट पॉइज़न।


”फिर उसने लंबी सांस लेकर कहा,“आर्यन, तुम हमारे सूर्यबंशी कुल के पवित्र ड्रैगन हो। तुम्हारे जन्म के वक्त स्वर्ग में ड्रैगन की गर्जना गूँजी थी। आठों धाराएँ अपने आप खुल गई थीं। तुम इस युग के सबसे महान साधक बनने वाले थे…”आर्यन स्तब्ध था — लेकिन राजा की आवाज़ बदलने लगी, दुख से भरी।

“लेकिन उसी दिन, राजा अधीराज की पत्नी ने भी जुड़वां बच्चों को जन्म दिया — एक बेटा और एक बेटी। उनके चारों ओर अजगर और गौरैया की आत्माएँ घूम रही थीं। और बस उसी पल हमारी विनाश की शुरुआत हो गई।


”राजा ने गहरी नफ़रत से कहा —“उनके पास एक भविष्यवाणी थी —‘अजगर और गौरैया जब पवित्र ड्रैगन को निगलेंगे, तब अधीराज का साम्राज्य अमर होगा।’इसीलिए उन्होंने तीन साल तक उस औरत को गर्भ में रोके रखा, ताकि तुम्हारे जन्म के उसी दिन उनके बच्चे जन्म लें — और तुम्हारा भाग्य निगल लें!”आर्यन के रोंगटे खड़े हो गए।


राजा ने आगे कहा,“उन्होंने तुम्हें पकड़कर एक यज्ञ में बाँध दिया। उनके बच्चों ने तुम्हारी नियति को निगल लिया। तुम्हारा पवित्र ड्रैगन आशीर्वाद उनसे छिन गया — और उसके बदले तुम्हारे भीतर यह ज़हर छोड़ दिया गया।


”रानी कृतिका यह सुनते-सुनते टूट गईं, और फिर अचानक खून की उल्टी कर दी।वृद्ध मास्टर कबीर ने जल्दी से उन्हें संभाला और बोला —“राजकुमार, मत सोचिए कि आपके माता-पिता ने कुछ नहीं किया।


रानी माँ ने आपकी जान बचाने के लिए अपने प्राणों का रक्त बारह सालों तक हर साल आपके भीतर डाला है। हर बार तीन साल उनकी उम्र घटती रही… अब उनके पास बस दस साल से भी कम बचे हैं।”आर्यन यह सुनकर फट पड़ा —“क्या?! मेरी माँ ने अपनी उम्र दी मुझे ज़िंदा रखने के लिए?!”