एक ही दुनिया, दो नजरें
गाँव के छोटे से मोहल्ले में रामू और सोहन रहते थे। रामू गरीब था, लेकिन मेहनती, ईमानदार और सरल स्वभाव का। सोहन धनी था, अच्छे घर में रहता, नई चीज़ें खरीदता और अक्सर दिखावे में व्यस्त रहता।
साइकिल की कहानी
एक सुबह रामू अपनी पुरानी साइकिल पर खेत की ओर चला। राह चलते लोग हँसते और कहते, “देखो, गरीब रामू साइकल चला रहा है, बेइज्जत हो गया।”
कुछ ही देर बाद सोहन अपनी नई चमचमाती साइकिल पर निकला। लोग तारीफ करने लगे, “वाह! कितनी फिटनेस पर ध्यान दे रहा है।”
रामू ने मन ही मन सोचा, “इतना बड़ा फर्क क्यों?” लेकिन उसने सिर झुकाया और मेहनत जारी रखी।
कूड़ा और समाज सेवा
गाँव में सफाई अभियान हुआ। रामू ने अपने मोहल्ले के रास्ते पर पड़े कूड़े को उठाया। लोग हँसकर बोले, “ये तो कूड़ा खाने वाला है।”
सोहन ने भी कूड़ा उठाया, पर सबने ताली बजाई और कहा, “शानदार समाज सेवा!”
रामू को बुरा लगा, लेकिन उसने सोचा, “सच्चाई वही है जो हम करते हैं, तारीफ या मज़ाक मायने नहीं रखता।”
आँगन की सब्ज़ी और बग़ीचा
रामू ने अपने घर के आँगन में मिर्च, टमाटर और धनिया उगाए। लोग बोले, “बिचारा, बाजार से नहीं खरीद सकता।”
सोहन ने भी अपने बग़ीचे में अर्गानिक सब्ज़ी लगाई। लोग कहने लगे, “कितना स्टाइलिश और स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली!”
रामू ने हँसते हुए कहा, “गरीबी मेरी गलती नहीं, पर मेहनत मेरी पहचान है।”
त्योहार और गाँव की मेले
एक दिन गाँव में मेले का आयोजन हुआ। रामू ने अपने घर की थोड़ी-सी मक्का और जूस का स्टॉल लगाया। लोग कहने लगे, “ये तो गरीब है, क्या बिकने वाला है?”
सोहन ने अपने स्टॉल में महंगे खिलौने और चमकदार सामान रखा। लोग दौड़े-धौड़े उसके पास आए और तारीफ करने लगे।
रामू ने अपने मन में कहा, “लोग हमेशा दिखावे की तरफ आकर्षित होते हैं, सच्चाई को शायद ही देखते हैं।”
रामू का संघर्ष और मदद
एक दिन रामू का खेत बाढ़ से खराब हो गया। पास-पड़ोस के लोग मदद करने आए। उन्होंने देखा कि रामू गरीब है, लेकिन ईमानदार और नेकदिल है। धीरे-धीरे गाँव के कुछ लोग उसकी मदद करने लगे।
सोहन ने भी अपनी मदद दी, लेकिन वह दिखावा कर रहा था। रामू ने उसे देखा और मुस्कुराया, “सच्चाई वही है जो बिना दिखावे के की जाती है।”
नई शिक्षक और बदलाव
समय बीतता गया। गाँव में नई शिक्षक आई। उसने गाँव की नज़रों को देखा और बोली:
“गरीबी पाप नहीं है, और धनी होना गर्व नहीं। इंसान का मूल्य उसके कर्म, चरित्र और दूसरों के प्रति सोच में है। इंसान को इंसान की नजर से देखो, संपत्ति की नजर से नहीं।”
शिक्षक के शब्दों ने गाँववालों को सोचने पर मजबूर कर दिया। धीरे-धीरे लोग रामू की मेहनत और नेकदिल स्वभाव को सराहने लगे।
बच्चे रामू के आँगन में खेलने और सीखने आने लगे। सोहन ने भी महसूस किया कि दिखावा किसी को बेहतर नहीं बनाता, असली ताकत सच्चाई और मानवता में है।
सबक और सच्चाई
रामू ने गाँववालों से कहा,
“जीवन में न गरीब होना लाज है, न धनी होना गर्व। लाज तब है जब हम इंसान होकर भी इंसानियत भूल जाते हैं।”
गाँव में तब से बदलाव आया। लोग अब किसी को उसके संपत्ति या पहनावे से नहीं, बल्कि उसके कर्म और नैतिकता से पहचानने लगे।
रामू ने सच्चाई समझाई —
“दुनिया में सबसे बड़ा अन्याय गरीब और धनी की नजर से देखने में है। इंसानियत ही हमारी असली पहचान है।”
समापन
रामू का सरल जीवन और सोहन का दिखावा दोनों ही गाँव में सबक बन गए। अब लोग केवल संपत्ति देखकर किसी की कदर नहीं करते, बल्कि इंसानियत और अच्छाई देखकर किसी की इज्जत करते हैं।
और इस तरह, रामू और सोहन की कहानी ने पूरे गाँव को यह सिखाया कि वास्तविक मूल्य दौलत में नहीं, चरित्र और नेक कर्म में होता है।