Crazy of Education in Hindi Motivational Stories by Wajid Husain books and stories PDF | क्रेज़ी ऑफ़ एजुकेशन

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क्रेज़ी ऑफ़ एजुकेशन

वाजिद हुसैन सिद्दीक़ी की कहानीभारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के दक्षिण में आवास विकास कॉलोनी है। इसमें साजिद अली की दो मंजिला इमारत है जिसमें संस्थान का वैज्ञानिक डॉक्टर एस.पी. शर्मा किराए पर रहता था। उनके एक नौ वर्षीय लड़का था जिसका प्यार का नाम बंटी था। साजिद अली के दो बच्चे थे। तीनों बच्चे एक ही इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ते थे। उनकी रुचियां बहुत मेल खाती थी। वे एक साथ पार्क में खेलते और घूमते- फिरते थे। डॉक्टर इस सब को टाइम वेस्ट मानता था। वह सोचता था कि कक्षा में अव्वल आकर ही उनका बेटा प्रतिस्पर्धक दुनिया को पार कर  सकेगा। अतः वह उसे खेलने पर डांटता था...। साजिद अली एक स्कूल में प्रिंसिपल थे। वह कहते थे, 'बच्चे में शरीर और आत्मा होती हैं। वे पालतू जानवर नहीं है जो पेट भरने के लिए मार सहते हैं। हर समय की टोका- टाकी और डांट से उनका मनमोहक स्वभाव बदल जाता है।' वह डॉक्टर को क्रेजी ऑफ एजुकेशन समझते थे। अतः उन्होंने अपने बच्चों को बंटी के साथ खेलने से मना किया।हर समय टोका- टाकी और पाबंदियोँ का बंटी के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ा था। पहले उसके गाल भरे हुए थे, देखने में भी गोरा-चिट्टा लगता था अब लगता था, जैसे किसी ने इसके शरीर का खून निचोड़ लिया हो। वह पढ़ाई में भी दिन पर दिन पिछड़ रहा था।  प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी रोटरी क्लब ने दीवाली मेले का आयोजन किया था। बंटी ने पापा से मेला दिखाने को कहा तो उसने कहा, 'मैं ऑफिस से लोटकर आऊं, तुम फर्स्ट डिवीजन पास होने की ख़ुशख़बरी सुनाना, मैं तुम्हें मेले ले चलूंगा। वह प्रथम श्रेणी प्राप्त नहीं कर सका था। रिज़ल्ट देखकर डॉक्टर ने उसे मेले न ले जाने का फरमान जारी कर दिया और अकेले मेले जाने की तैयारी में लग गया।'अच्छा तो बंटी को भी अपने साथ ले जाओ,' श्रीमती जी ने अनुरोध किया...। 'नहीं...।' 'क्यों...?''क्योंकि वह बदमाश है, निकम्मा है,' डॉक्टर ने टका- सा जवाब दिया और एक क्षण  रूक कर फिर बोला, 'पढ़ता नहीं है।''वाह, पढ़ना क्यों नहीं है, 'पत्नी ने अपने कंधे झटकते हुए विरोध प्रकट किया था, अभी दोपहर से पढ़ ही तो रहा था।' कुर्सी पर बैठा बंटी हड़बड़ा कर संभल गया। घुटनों पर अंग्रेज़ी की किताब रखी थी। वह इकहरे बदन का था और उसके बाल छोटे-छोटे थे। वह लाल कमीज और एक ढीली-ढाली पैंट पहने हुए था। पैरों में चप्पल थी। वह आशापूर्ण निगाहों से अपनी मां और पिता की ओर देख रहा था। तभी पापा ने कठोरता से रुखे स्वर में उससे पूछा, 'अच्छा बता रुमाल को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?' लड़के का सिर सख़्ती से हिलाते हुए पूछा था डॉक्टर ने।'क्या मेला दिखाने मुझे ले चलेंगे?' बंटी ने उम्मीद से पूछा।'हैंड कर शेफ,' लड़के ने बिना सोचे समझे झिझकते हुए उत्तर दिया था और आगे की ओर झुकते हुए ऐसे खड़ा हो गया था जैसी अक्सर स्कूल में जवाब देते समय खड़े हो जाना चाहिए।'हैंडकरशेफ... हैंडकरशैफ...' बंटी लगातार विषैली मुस्कुराहट के साथ उसका गलत जवाब दोहराये जा रहा था।'तभी तो इतने कम नंबर आए हैं। तो फाइनल इम्तिहान में फेल होने का विचार है।' पापा ने लताड़ लगाई। 'सब जानता है, मगर डरता है तुम्हारे से,' मां बीच में सफाई देते हुए बोली थी, 'तुम इसे बीच में ही टोक देते हो।' 'मैं इसे स्कूल से निकाल लूंगा,' डॉक्टर उत्तेजित स्वर में बोला, 'सरोज, ईश्वर की सौगंध मैं अब इसे स्कूल से उठाकर साइकिल के पंचर जोड़ने के धंधे में डाल दूंगा।' 'इधर आ मेरे बंटी।' मां बेटे को पुचकारती हुई बोली, 'इधर आ मेरे पास, अब बाद में पढ़ना।''तुम्ही लोग मेरी मृत्यु का कारण बनोगे। यह छोकरा मेरी जान लेकर ही दम लेगा,' डॉक्टर पत्नी की बात बीच में ही काटते हुए क्रोध से बोला, 'हां, तुम्ही लोग मेरी मृत्यु का कारण बनोगे। मेरी मृत्यु...।' वह निरंतर बोलते हुए आगे बढ़ता ही जा रहा था। क्रोध में उसकी नसें भी फूल गयी थीं। 'पढ़ रहा हूं,' लड़का धीरे से हकलाते हुए फुसफुसाया था। अपने बचाव के लिए शर्मिंदगी से शून्य में देखते हुए बंटी की नज़र एक छण के लिए अपनी मां से जा टकराई थी। पिता की ओर उसने देखा भी नहीं था। केवल अनुभव की थी, हर जगह, हर समय, एक घृणा।'मत पढ़ तू... क्या फायदा तेरे पढ़ने का, डॉक्टर ने हवा में हाथ हिलाते हुए कहा, 'निकम्मे।''पढ़ तो रहा है, 'मां बीच में बचाव करते हुए बोली थी। उसने ममता से बंटी को अपनी छाती से लगा दिया और प्यार से उसका सिर थपथपाती हुई पति से कहने लगी, 'बेहतर होगा कि अब तुम इसे माफ कर दो और अपने साथ मेला दिखाने ले जाओ।''मैंने एक बार कमिटमेंट कर दिया तो फिर मैं अपनी भी नहीं सुनता।' वह बडबडाते हुए वॉशरूम में नहाने चला गया। नहा कर निकला, उसने पत्नी से कहा, 'बुलाओ अपने लाडले को। मुझे उसे मैथ के सवाल करने को देना है।'मां कमरे में गई, वहां बेटे को न पाकर विचलित हो गई। उसने घर का कोना-कोना छान डाला पर वह नहीं मिला...।'ढीट हो गया है खेलने निकल गया होगा।' डॉक्टर ने क्रोध में कहा।मां सड़क पर इधर-उधर भागती रही। किसी ने डॉक्टर के इंस्टिट्यूट में फोन कर दिया। वहां का स्टाफ और छात्र, लड़के को ढूंढने के लिए रेलवे स्टेशन बस स्टैंड और भी न जाने कहां-कहां ढूंढते रहे फिर थक- हार कर वापस आ गए।रात के आठ बजे थे। साजिद अली कोचिंग पढ़ाकर घर लौटे। बंटी के कहीं चले जाने का समाचार सुनकर आह भरते हुए उन्होंने पत्नी से कहा, 'यह तो होना ही था।' फिर डॉक्टर से मिलने चले गए। डॉक्टर हैरान- परेशान बुरी तरह तरह हांफ रहा था, और हाय बंटी, हाय बंटी कर रो रहा था। श्रीमती सरोज उत्तेजित मुद्रा में कमरे के फर्श पर लोट रही थी और हाथों को मसल रही थी। साजिद अली ने उनसे पूछा, 'भाभी जी मुझे बताइए कहीं और जा सकता है?'उन्होंने रूंधे गले से कहा, 'भाई साहब, बालाजी के मंदिर और पीपल वाले तालाब के पास देख लीजिए।'उन्होंने घर में आकर पत्नी से टॉर्च देने को कहा। फिर साइकिल लेकर चलने लगे। पत्नी ने उन्हें टोका, 'स्कूटर से क्यों नहीं जाते?''अरे भाई तुम समझती नहीं हो, साइकिल से दाएं बाएं हर तरफ बेफिक्री से देखा जा सकता है।'पुराना मंदिर घर से कुछ ही दूरी पर सुनसान में बना था। वह मंदिर पहुंचे। रात की आरती के बाद पंडित जी मंदिर में ताला लगाकर जा चुके थे। वह पीपल वाले तालाब पर जाने से हिचकिचा रहे थे। कारण था- उन्होंने वहां रात में किसी अंग्रेज़ की प्रेत आत्मा का चक्कर लगाने के किस्से सुन रखे थे। वह वापस लौटने लगे। तभी उनके मन में विचार आया, 'हो सकता है बंटी ख़ुदकुशी के इरादे से तालाब पर गया हो जिसका एहसास उसकी मां को हो गया हो।' उन्होंने तालाब की ओर साइकिल दौड़ा दी। रात गहराने लगी थी, मेंढकों की टर्र-टर्र, झींगरों की झुनझुनाहट, किसी पक्षी की तीखी आवाज़, उन्हें अंग्रेज़ प्रेत आत्मा की सी लगती, फिर भी वह किसी उम्मीद से तालाब के किनारे बढ़ रहे थे। तभी टॉर्च के प्रकाश में उन्हें बंटी दिखा जिसके हाथ मे पेड़ की डंडी थी। उन्होंने वहीं से कहा, बेटा बंटी, मैं तुम्हारे दोस्त गुड्डू का पापा हूं। पहले तुम गुड्डू और गुड़िया के साथ  खेलते थे, स्कूल भी साथ जाते थे। तुम डरना नहीं मैं तुम्हें लेने आया हूं। वह इन शब्दों को बार-बार दोहराए जा रहे थे और बिल्ली की तरह दबे पांव उसकी ओर बढ़ रहे थे। 'मैं घर नहीं जाऊंगा।'बंटी ने धीमे से कहा।'तुम्हें पता है तुम्हारी मां बीमार चल रही है। वह तुम्हें याद करके रो रही है। क्या तुम चाहते हो तुम्हारी मां मर जाए...? जब उन्हें यक़ीन हो गया, लड़का उनकी बातों में उलझ गया। उन्होंने एक लंबी छलांग लगाकर उसे पकड़ लिया और अपनी साइकिल की ओर बढ़ गये। उन्होंने लड़के को यक़ीन दिलाया उसके पापा उससे कुछ नहीं कहेंगे तो वह उनके साथ घर चलने को राज़ी हो गया। फिर भी उन्हें उस पर भरोसा नहीं था। अतः एक हाथ से साइकिल पकड़ी और दूसरे हाथ से उसे पकड़कर पैदल ही चल दिए।चौराहे पर उन्हें एक रिक्शा मिल गई। उन्होंने रिक्शा वाले से साइकिल पायदान में रखने को कहा। और लड़के को पकड़ कर रिक्शा में बैठ गए। घर पहुंचने पर सभी ने एक ही प्रश्न किया। 'कहां मिला।' उन्होंने संक्षिप्त उत्तर दिया, 'मेरे बेटे के साथ खेलने चला गया था।'लड़के की मां उसे घर में ले गई। डॉक्टर फिर से अपनी रौ में लौट आया। उसने ऊंचे स्वर में कहा, 'कल से इसकी पढ़ाई बंद।'शाकिर अली डॉक्टर को अपने घर में ले गए। उसे पूरा वृतांत सुनाया। फिर कहा मैंने बहुत बड़ा रिस्क लेकर दरवाज़े पर खड़े लोगों से झूठ बोला और अपने बेटे को बिला वजह बदनाम किया। आप देखिए वह तो घर में बैठा पढ़ रहा है। मैंने तो यह सब इसलिए किया कि अगर बंटी पर एक बार घर से भागने का ठप्पा लग गया तो समाज उसे भगोड़ा कहकर फिर भागने पर मजबूर कर देगा। आप यह मान कर चलिए कि आपके बेटे ने ख़ुदकुशी कर ली। ख़ुदा ने आपको उसके बदले में यह पला- पलाया लड़का दिया है। हक़ीक़त से रूबरू होकर डॉक्टर का पितृत्व प्रेम जाग गया। उसकी आंखों मैं आंसुओं  का सैलाब फूट पड़ा। वह शाकिर अली के कदमों में गिर पड़ा। फिर कहा, 'भाई जान, कभी मेरी जान मांग कर देखिए, अगर ना करूं, तो समझिए पंडित से पैदा नहीं।'कुछ समय बाद डॉक्टर संस्थान के कैंपस में शिफ्ट हो गया था। पढ़ाई पूरी होने के बाद बंटी गैज़ेटेड ऑफीसर हो गया था। वह दिन भी आ गया जिस दिन बंटी का विवाह होना था। डॉक्टर ने शाकिर अली को विवाह में आमंत्रित किया था। वह विवाह में सेहरा बंदी की रस्म में अपने परिवार सहित पहुंचे पर कुछ देर से। उन्हें पता चला, बंटी ने उनसे सेहरा बंधवाने की ज़िद पकड़ रखी थी, जिसके कारण बरात लेट हो गई थी। वह भावुक हो गए और उनकी आंखें से आंसू निकल आए।शाकिर अली जब कभी किसी बच्चे की सुसाइड करने की खबर सुनते हैं, उनका दिल रोता है। वह कहते हैं, 'जब तक दुनिया में पेरेंट्स, क्रेज़ी ऑफ एजुकेशन हैं, यह होता रहेगा।' 348 ए, फाइक एंक्लेव, फेस 2, पीलीभीत बायपास, बरेली (उ प्र) 243006, मोबाइल नंबर: 9027982074 ई मेल wajidhusain963@gmail.com