Library की हवा हमेशा शांत और पढ़ाई से भरी रहती थी। Ananya अपने notes और किताबों में खोई हुई थी। उसका ध्यान इस बात पर था कि आखिर वह अगले week's assignment को समय पर complete कर पाए। अचानक उसकी किताब गिर गई।
“ओह! माफ़ कीजिए,” Ananya ने झुककर किताब उठाई।
“कोई बात नहीं,” किसी ने हल्की आवाज़ में कहा। वह आवाज़ थी आदित्य की। उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान और आँखों में जिज्ञासा थी।
पहली मुलाकात में ही कुछ अजीब सा connection हुआ। दोनों ने मुस्कुरा कर किताबें संभालीं और हल्की हँसी-मज़ाक की। वह छोटी-छोटी बातें library के शांत माहौल में भी एक अलग energy लेकर आईं।
अगले कुछ दिनों में, Ananya और आदित्य library में अक्सर मिलते। कभी coffee break में, कभी campus की छाँव में। आदित्य अपनी photography passion की बातें share करता, और Ananya अपनी poems सुनाती। छोटी-छोटी बातें, हँसी और exchanged glances धीरे-धीरे उनके bond को और गहरा कर रही थीं।
एक दिन आदित्य ने rooftop café में invite किया। शहर की रोशनी और चाँदनी रात के बीच, उन्होंने अपने thoughts और dreams share किए।
“तुम हमेशा इतना शांत क्यों रहते हो?” Ananya ने curiosity से पूछा।
“क्योंकि कभी-कभी शब्द कम पड़ जाते हैं, और feelings ही सब कुछ कह देती हैं,” आदित्य ने जवाब दिया।
Ananya की हल्की blush और मुस्कान ने उनके बीच connection और गहरा कर दिया। उन्होंने rooftop की छत पर घंटों बातें कीं, छोटी-छोटी jokes exchange कीं, और धीरे-धीरे अपनी feelings को महसूस किया।
लेकिन perfect bonding हमेशा आसान नहीं होती। एक afternoon, आदित्य को लगा कि Ananya उसके friend के बारे में झूठ बोल रही है। यह छोटी misunderstanding धीरे-धीरे tension में बदल गई। आदित्य ने सोचा कि शायद Ananya उसका trust नहीं कर रही।
“Ananya, तुम सच में मुझे trust करती हो?” आदित्य ने सीधे पूछा।
“आदित्य, मैं… मैं बस confused थी। मुझे समझ नहीं आया कि कैसे बताऊँ,” Ananya की आँखों में झिझक थी। धीरे-धीरे उन्होंने सारी misunderstanding clear की और उनका relationship और मजबूत हुआ।
अगले weekend में दोनों city park में समय बिताने गए। आदित्य ने photos लीं, और Ananya ने poems और छोटी stories सुनाईं। हर छोटी चीज़ में connection बढ़ता गया। उन्होंने park की बेंच पर बैठे-बैठे sunsets देखा, laugh किया और अपने future के plans discuss किए।
कुछ दिन बाद, library में एक और encounter हुआ। इस बार Ananya ने अपनी favorite poem आदित्य को सुनाई। आदित्य ने उसकी आँखों में गहराई और emotions को पढ़ा और महसूस किया कि वह भी उसी तरह connected है।
रात का climax rooftop पर आया। चाँदनी रात में आदित्य ने कहा,
“मैं तुम्हें पसंद करता हूँ। क्या तुम मुझे अपना partner मानोगी?”
Ananya की आँखें चमक उठीं। मुस्कान ने सारी tension और डर दूर कर दिया।
“हाँ, आदित्य। मैं भी तुम्हें पसंद करती हूँ,” Ananya ने धीरे से कहा।
इसके बाद उनके बीच प्यार और friendship दोनों गहरी हुई। Library, café, rooftop और park—हर जगह उनकी यादें बन रही थीं। कभी छोटी हँसी, कभी झगड़े, लेकिन हर पल उन्हें करीब लाता रहा।
Ananya ने भी समझा कि प्यार केवल attraction नहीं, बल्कि trust, understanding और patience भी होता है। आदित्य ने भी सीखा कि feelings express करना जरूरी होता है, और misunderstandings को face करना ही मजबूत relationship बनाता है।
कुछ हफ़्तों बाद, उन्होंने rooftop café में बैठकर अपने first monthiversary celebrate किया। वह शाम, चाँदनी रात, और उनकी बातें हमेशा उनके लिए यादगार बन गईं। दोनों ने decide किया कि चाहे कितनी भी challenges आएँ, वे हमेशा honesty और trust के साथ अपने relationship को निभाएँगे।