अध्याय 1: जन्मदिवस का अपमान
कहानी की शुरुआत सिया शर्मा के भव्य जन्मदिन की पार्टी से होती है। वर्षों से सिया के मंगेतर रहे ध्रुव धवन, जो अब धवन ग्रुप के अध्यक्ष हैं, पार्टी में पहुँचे, लेकिन उन्हें जो दृश्य देखने मिला, वह उनके दशक भर के छलावे को तोड़ने वाला था: उनकी मंगेतर सिया, अपने युवा असिस्टेंट जयंत के साथ एक उत्साही चुंबन में लीन थी, और उनके उच्च-वर्गीय मित्र ज़ोर-ज़ोर से हँस रहे थे।
ध्रुव के आते ही पूरे कमरे में सन्नाटा छा गया। सिया, जो शर्मा ग्रुप की इकलौती वारिस थी, ने गर्दन उठाई पर उसमें पश्चाताप का कोई भाव नहीं था। उसने अपनी हरकत को बेहद लापरवाही से टाल दिया: “ध्रुव, मुँह क्यों लटका लिया? यह तो बस एक मज़ाक था, यार! मैं शादी तो तुमसे ही कर रही हूँ। इतने ‘स्पॉइल स्पोर्ट’ (मज़ाक बिगाड़ने वाले) मत बनो।”
सार्वजनिक रूप से किया गया यह अपमान (beizzati) ध्रुव के लिए अंतिम चेतावनी था। पिछले दस सालों में उसका हर कदम, चाहे वह रोज़ सुबह का नाश्ता हो, या बेशुमार तोहफ़े, या यहाँ तक कि प्रतिष्ठित आईआईटी (IIT) में सीधा प्रवेश छोड़कर सिया के कॉलेज जाना—सब कुछ सिया के प्रति प्रेम नहीं, बल्कि एक ठंडी, सोची-समझी रणनीति थी। उसका एकमात्र लक्ष्य था: शर्मा परिवार का इस्तेमाल करके अपने छोटे धवन ग्रुप को कॉर्पोरेट की दुनिया में शिखर तक पहुँचाना। तीन साल पहले, उसने जो ₹200 करोड़ का ऋण (loan) शर्मा ग्रुप को दिवालिया होने से बचाने के लिए दिया था, वह भी प्रेम का नहीं, बल्कि शर्मा ग्रुप को अपनी मुट्ठी में करने का एक दाँव था।
सिया की अहंकार भरी अनदेखी से ध्रुव का संयम टूट गया। उसने कुछ नहीं कहा, बस मेज पर रखी एक शराब की बोतल उठाई और सीधे जयंत के सिर पर दे मारी। काँच और शराब चारों ओर फैल गई। जयंत दर्द से चीख उठा, ख़ून बहने लगा। ध्रुव ने हल्के से अपने होंठ मोड़े। "यह भी एक मज़ाक समझो। तुम्हारे लिए एक जन्मदिन का तोहफ़ा। इतने ‘स्पॉइल स्पोर्ट’ मत बनो।"
सिया का सारा ध्यान तुरंत मंगेतर से हटकर अपने असिस्टेंट पर चला गया। वह ध्रुव पर चिल्लाई, "ध्रुव! तुम यह क्या बकवास कर रहे हो?" सिया के चेहरे पर उसकी सुरक्षा का भाव देखकर ध्रुव को अपनी ही वर्षों की तपस्या पर हंसी आई। उसने तिरस्कार भरी नज़र से उसे देखा, अपनी ताक़त की याद दिलाई, और कमरे से बाहर निकल गया। सिया और उसके दोस्तों की फुसफुसाहट पीछे रह गई, "वह बस नखरे कर रहा है। वह मुझे छोड़कर कहीं नहीं जा सकता," सिया चिल्लाई |
अध्याय 2: प्रतिशोध का गठबंधन और अंतरंगता
जैसे ही ध्रुव लॉबी से बाहर निकला, सिया की सबसे अच्छी दोस्त लीना ने उसे रोक लिया। लीना, एक अनाथ जिसने अपनी बुद्धि और मेहनत से एक बड़ी कंपनी खड़ी कर ली थी, ने तुरंत स्थिति भाँप ली।
"मिस्टर धवन, मैं जानती हूँ आप नाराज़ हैं। क्या आप मेरे साथ ड्रिंक लेना चाहेंगे?" लीना ने पूछा। ध्रुव, उसकी सुंदरता और व्यावसायिक सूझबूझ से पहले ही प्रभावित था। "मुझे भीड़-भाड़ वाली जगहें पसंद नहीं हैं," उसने कहा। लीना की आँखों में एक आकर्षक, गहरी मुस्कान आयी। "मेरा घर, या आपका? आप फ़ैसला करें।"
ध्रुव ने हाँ कर दी, और वे उसके आलीशान विला पहुँचे। दरवाज़े में घुसते ही, ध्रुव ने लीना को ज़ोर से दरवाज़े के विरुद्ध दबा दिया और तीव्र चुंबन शुरू कर दिया। लीना का शरीर पहले अकड़ गया, उसने ध्रुव के हाथों को कसकर पकड़ लिया, लेकिन एक पल के तनाव के बाद, उसने खुद को ढीला छोड़ा और उतनी ही गर्मजोशी से जवाब दिया।
वे सुबह होने तक अंतरंग रहे। ध्रुव हैरान था कि यह अनुभव सिया के साथ रहे वर्षों की नीरसता से कहीं ज़्यादा तेज़ और गहरा था। उसे और भी आश्चर्य हुआ जब उसे यह पता चला कि लीना वर्जिन थी, और सिया के विपरीत, पुरुष साथी में उसकी पूरी दिलचस्पी थी।
अगली सुबह, ध्रुव ने सिगरेट जलाते हुए शांत लहजे में पूछा, "बोलो। तुम्हें क्या चाहिए?" लीना ने बिना किसी नाटक के अपनी बात रखी: उसे अपनी कंपनी के आईपीओ (IPO) के बाद सुरक्षा के लिए धवन परिवार जैसे एक मज़बूत सहारे की ज़रूरत थी। उसने स्वीकार किया कि वह ध्रुव के सच्चे इरादों को जानती है और एक रणनीतिक साझेदारी की पेशकश की—वह अंदरूनी जानकारी के साथ शर्मा ग्रुप को ध्वस्त करने में मदद करेगी, जिससे धवन ग्रुप का नुक़सान कम हो।
ध्रुव उसकी ईमानदारी और बेरहम तर्क से प्रभावित हुआ। उसने उसका हाथ थाम लिया। “मिस लीना, सहयोग सफल हो।”
अध्याय 3: सार्वजनिक धुआँधार और पतन
अगले दो महीनों में, ध्रुव और लीना ने घातक तालमेल के साथ काम किया। धवन और शर्मा ग्रुप के बीच के सारे लाभदायक अनुबंध (contracts) समाप्त कर दिए गए और लीना की कंपनी को सौंप दिए गए। लीना ने शर्मा ग्रुप की वित्तीय कमजोरियों का फायदा उठाते हुए कई जाल बिछाए, जिससे दो महीनों के भीतर ही कंपनी का प्रदर्शन आधे से भी कम हो गया।
आखिरकार, सिया ने अपने ग्रुप के गिरते प्रदर्शन को देखकर ध्रुव को फ़ोन किया। “ध्रुव, तुम अभी भी जयंत वाली बात पर नाराज़ हो? मैं उससे अभी ब्रेकअप कर लूँगी। मैं तुमसे ही शादी करूँगी, ये बचकाना हरकतें बंद करो!”
ध्रुव का लहजा ठंडा था। "क्या तुम्हारी बात ख़त्म हो गई? मैं फ़ोन रख रहा हूँ।" तभी, पृष्ठभूमि में लीना की आवाज़ जानबूझकर ऊँची कर दी गई। सिया फ़ोन पर फट पड़ी, "ध्रुव! क्या वह वह छिछोरी लीना है? मेरी मंगेतर और मेरी बेस्ट फ़्रेंड? तुम दोनों कमीने हो!" ध्रुव ने उसे गाली दी और फ़ोन काट दिया, उसे अपनी बर्बाद होती ज़िन्दगी में भी अपने अहंकार पर टिके रहने का मौक़ा नहीं दिया।
अंतिम और निर्णायक प्रहार एक भव्य व्यावसायिक पार्टी में हुआ। सिया और जयंत (जिसके सिर पर अभी भी पट्टी बंधी थी) वहाँ पहुँचे। सिया ने लीना की ओर उंगली दिखाते हुए ध्रुव से पूछा, "ध्रुव, इसका क्या मतलब है? तुम इस नीच औरत को अपनी साथी बनाकर घूम रहे हो?!"
ध्रुव का जवाब एक क्रूर, गूँजता हुआ थप्पड़ था। हॉल में पूर्ण चुप्पी छा गई। ध्रुव ने सूजे हुए गाल वाली सिया को तिरस्कार से देखा। "सिया, तुम्हें अभी तक स्थिति नज़र नहीं आ रही? तुम्हें सच में लगता है कि मैं एक ऐसी औरत से प्यार करूँगा जिसने धवन परिवार की इज़्ज़त सरेआम मिट्टी में मिला दी? मैं तुम्हें आज बताता हूँ, मैंने तुमसे कभी प्यार नहीं किया। दस साल से मैं तुम्हें बस एक उपकरण (tool) के तौर पर इस्तेमाल कर रहा था।"
उसने सार्वजनिक रूप से सगाई तोड़ने की घोषणा की और ऐलान किया कि जो भी शर्मा कॉर्पोरेशन के साथ खड़ा होगा, वह धवन ग्रुप का दुश्मन माना जाएगा। सिया सदमे में ज़मीन पर गिर गई।
उसी शाम, सिया के पिता, मिस्टर शर्मा, अपनी बेटी और ख़ून बहते जयंत को लेकर ध्रुव के विला पहुँचे, पूरी तरह से विनीत (humbled) होकर। मिस्टर शर्मा ने रोती हुई सिया को घुटने टेकने पर मजबूर किया। फिर उन्होंने जयंत को ध्रुव के सामने एक क्रूर सज़ा दी: उनके अंगरक्षकों ने जयंत पर ऐसा वार किया कि वह हमेशा के लिए अपाहिज हो गया। ध्रुव ने झूठी दया दिखाते हुए कहा कि अगर मिस्टर शर्मा तीन दिन में मूलधन और ब्याज सहित ₹200 करोड़ लौटा दें, तो वह मामला शांत कर देगा।
शर्मा परिवार के जाते ही, ध्रुव ने अपने अंगरक्षक को आदेश दिया, "अभी जो कुछ हुआ, उसकी वीडियो पुलिस को सौंप दो। मिस्टर शर्मा को उनके पुराने अपराधों के लिए कुछ समय जेल में बिताना पड़ेगा।"
अध्याय 4: अंदरूनी कमरा और प्रेम का रहस्य
शर्मा ग्रुप एक महीने के भीतर ढह गया। मिस्टर शर्मा जमानत पर बाहर आए, लेकिन घर लौटते समय, एक सुनियोजित कार दुर्घटना हुई। मिस्टर शर्मा मारे गए, और सिया हमेशा के लिए अपंग हो गई, जिसे अंततः सदमे के कारण मानसिक अस्पताल भेज दिया गया।
अस्पताल में, ध्रुव ने लीना को मिस्टर शर्मा के वार्ड से निकलते देखा, और उसे यकीन हो गया कि 'दुर्घटना' के पीछे उसी का हाथ था। विला में, ध्रुव ने उससे सफ़ाई माँगी। वह किसी को भी अपने नियंत्रण से बाहर काम करने की अनुमति नहीं दे सकता था।
लीना की आँखें लाल हो गईं। उसने टूटी आवाज़ में फुसफुसाया, "ध्रुव भैय्या, क्या आप मुझे सच में भूल गए?"
इस वाक्य ने ध्रुव के दिमाग में वर्षों पुरानी यादों के ताले तोड़ दिए। वह लड़की, जिसे वह बाढ़ में खोई हुई मानता था: लावण्या। लीना ही लावण्या थी, उसका बचपन का प्यार।
लावण्या ने पूरा सच बताया। उसके माता-पिता की दुर्घटना मिस्टर शर्मा ने करवाई थी, जिन्होंने तब उनकी कंपनी (जिसे बाद में शर्मा ग्रुप कहा गया) हड़प ली थी। लावण्या ने वर्षों तक एक अजनबी के रूप में रहकर, केवल अपने माता-पिता के प्रतिशोध के लिए यह साम्राज्य खड़ा किया था।
ध्रुव ने उसे कसकर गले लगा लिया। वह उसे अपने विला के अंदरूनी कमरे में ले गया, जिसे उसने हमेशा बंद रखा था। दरवाज़ा खुलते ही, लावण्या हतप्रभ रह गई। वह कमरा पूरी तरह से उसके बचपन की तस्वीरों, खिलौनों और सामानों से भरा हुआ था—लावण्या की यादों का एक मंदिर।
ध्रुव ने उसके चिकने बालों पर हाथ फेरा और धीरे से कहा, “मैंने तुम्हें कभी नहीं भुलाया। इतने वर्षों से, तुम मेरे दिल में सबसे महत्वपूर्ण जगह पर रही हो।”
जल्द ही, ध्रुव और लावण्या ने एक शानदार शादी की। विवाह समारोह में, लावण्या ने ध्रुव से पूछा, "ध्रुव, क्या अब हम सचमुच एक फ़िल्मी कहानी के राजकुमार और राजकुमारी की तरह खुशी-खुशी रहेंगे?" ध्रुव ने उसकी आँखों में देखा और उसे विश्वा
स दिलाया कि वे ज़रूर रहेंगे।