सिटी का घर आज अलग ही जगमग कर रहा था। फूलों की खुशबू, मिठाईयों की महक और दूर-दूर से आने वाले रिश्तेदारों की हलचल—सब कुछ मीना की शादी और विदाई के उत्साह को दर्शा रहा था। घर के आँगन में रंग-बिरंगे बलून और फूलों की सजावट ने पूरे वातावरण को त्योहार जैसा बना दिया था।
मीना अपने कमरे में बैठी थी। उसका हाथ बैग पर था और दिमाग़ में भावनाओं का मेला था । खुशी इस बात की थी कि अब वह राज के साथ नया जीवन शुरू करने जा रही थी, और उदासी इस बात की थी कि अब वह अपने माता-पिता से दूर हो जाएगी।
लालू मीना के पिता हैं कमरे में आए और मीना को गले लगाकर बोले,
“बेटी, अब तुम बड़े हो गए हो। ससुराल में भी अपने परिवार का ध्यान रखना। प्यार और समझदारी से जीवन बिताना।”
सुनिता जो मीना की मां हैं उन्होंने मीना के सिर पर हाथ रखकर कहा,
“हमारा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है। याद रखना बेटी, परिवार का प्यार ही जीवन की असली ताकत है।”
मीना ने हल्की मुस्कान दी और कहा,
“माँ-पापा, मैं हमेशा आपके आशीर्वाद और प्यार को याद रखूँगी। मैं वादा करती हूँ कि अपने ससुराल में भी सभी का सम्मान और खुशियाँ बनाए रखूँगी।”
तभी कमरे में राज आया। उसने मीना का हाथ थामते हुए कहा,
“मीना, अब हम साथ हैं। हर मुश्किल और खुशी में हम एक-दूसरे का साथ देंगे। मैं वादा करता हूँ कि तुम्हें कभी दुःख नहीं दूँगा।”
मीना ने आँखों में आँसू रोकते हुए मुस्कान दी। उसने राज का हाथ मजबूती से थामा और कहा,
“राज, मैं भी वादा करती हूँ कि हम हमेशा एक-दूसरे का साथ देंगे। चाहे कैसी भी परिस्थिति हो।”
लेकिन उसकी नजरें थोड़ी चिंतित थीं। राज की बहन नेहा अपने शरारती अंदाज़ में कुछ मस्ती करने की सोच रही थी। नेहा हमेशा हँसी-मज़ाक और छोटी-छोटी शरारतों में विश्वास करती थी। कभी-कभी उसकी हरकतें दुःख की वजह लगती थीं, लेकिन उसके इरादे आमतौर पर नुकसान पहुँचाने वाले नहीं होते थे ।
नेहा ने चुपके से कमरे में देखा कि मीना बैग पैक कर रही थी। उसने सोचा,
“आज मैं थोड़ी मस्ती करूँगी। कोई नुकसान नहीं होगा, बस थोड़ी हँसी आएगी।”
वह चुपके से मीना के बैग में कुछ छोटे-छोटे गिफ्ट रख देती है। लेकिन मजाक में उसने एक नोट भी डाल दिया, जिस पर लिखा था:
“राज, अब तुम्हें पता चल जाएगा कि तुम्हारी दुल्हन कैसी है। देखो, अब तुम्हें हर दिन मीना के छोटे-छोटे राज़ का पता चलेगा।”
नेहा का इरादा केवल मज़ाक था, लेकिन मीना ने यह नोट पढ़ लिया। उसका चेहरा तुरंत गंभीर हो गया। उसे लगा कि नेहा शायद राज को मीना के खिलाफ भड़काना चाहती है या उसे कुछ गलत दिखाना चाहती है।
मीना थोड़ी परेशान हुई और राज से पूछ बैठी:
“राज, नेहा ने यह नोट क्यों लिखा? क्या वह मुझे और तुम्हें लड़वाना चाहती है?”
राज को भी थोड़ी चिंता हुई। उसने सोचा कि शायद नेहा का इरादा गलत है। इस तरह, छोटी सी शरारत से पहली बड़ी गलतफ़हमी पैदा हो गई।
उषा माँ ने बीच में आकर गंभीरता से कहा:
“बेटा-बहु, गुस्से में मत आओ। परिवार में ऐसी छोटी-छोटी उलझनें होती रहती हैं। पहले पूरे मामले को जानो, फिर निर्णय लेना। प्यार और समझदारी से हर उलझन सुलझ सकती है।”
इसी बीच, मीना की छोटी बहन टीना ने उत्साहित स्वर में कहा,
“दीदी, नेहा ने मेरे लिए भी सरप्राइज रखा है। वह केवल मज़ाक कर रही थी। किसी को दुख पहुँचाने का इरादा नहीं था। अब समझ आई?”
मीना को धीरे-धीरे समझ में आया कि नेहा का इरादा किसी को चोट पहुँचाने का नहीं था। उसका मकसद केवल मज़ाक और हँसी लाना था।
सिटी की सड़क पर विदाई का दृश्य बेहद भावपूर्ण था। लालू और सुनिता की आँखों में आँसू थे, लेकिन मुस्कान भी थी। वे मीना को गले लगा रहे थे।
लालू ने कहा,
“बेटी, अब तुम्हारा नया जीवन शुरू हो रहा है। हमेशा खुश रहो और अपने घर वालों का ख्याल रखना। याद रखना, प्यार और समझदारी ही जीवन की असली ताकत हैं।”
सुनिता ने मीना को गले लगाते हुए कहा,
“हमारा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है। जो भी कठिनाई आए, उसका सामना प्रेम और धैर्य से करना।”
टीना भी उनके साथ थी। उसने अपनी छोटी-छोटी बातें करके माहौल हल्का कर दिया। मीना की आँखों में आँसू थे, लेकिन मुस्कान भी थी।
राज ने मीना का हाथ थामते हुए कहा,
“अब हम साथ हैं। हर खुशी और मुश्किल में हम एक-दूसरे का साथ देंगे। यह हमारा वादा है।”
मीना ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
“राज, अब मैं भी पूरी तरह से तुम्हारे साथ हूँ। मैं हर पल प्यार और समझदारी से इसे निभाऊँगी।”
नेहा की शरारत
घर लौटते ही नेहा की शरारत सामने आई। गिफ्ट और नोट देखकर सभी हँस पड़े।
उषा माँ ने कहा,
“नेहा, तुम्हारी शरारतें मज़ेदार हैं, पर याद रखना, प्यार और समझदारी से ही घर में खुशियाँ बनी रहती हैं। किसी को दुःख नहीं पहुँचाना चाहिए।”
नेहा थोड़ी शर्मिंदा हुई और बोली,
“ठीक है माँ, अब मैं अपनी शरारतों से केवल हँसी और खुशी लाऊँगी। कोई चोट नहीं पहुँचाऊँगी।”
राज ने सभी को समझाया,
“देखो, छोटी-छोटी शरारतें कभी-कभी गलतफ़हमी पैदा कर देती हैं। अब हम सब समझ गए हैं। सबसे जरूरी है प्यार और समझदारी।”
मीना ने मुस्कुराते हुए नेहा को गले लगाया और कहा,
“अब समझ गई, नेहा। लेकिन अगली बार पहले बताना, ताकि डर न लगे।”
नेहा की चाल और मीना की उलझन
सिटी का घर अब थोड़ा सन्नाटा लिए हुए था। शादी और विदाई की खुशियाँ तो अब भी दिल में थीं, लेकिन घर का माहौल बदलने वाला था। नेहा ने अपनी चालाकी शुरू कर दी थी। अब उसका मकसद केवल मज़ाक नहीं था—वह सच में मीना को परेशान करने और असहज महसूस कराने की योजनाएँ बनाने लगी थी।
नेहा ने सोचा,
“अगर मीना को हर छोटी-छोटी बात में उलझाया जाए, तो वह यहाँ सहज नहीं होगी। राज भी परेशान होगा। देखते हैं किस तरह इसे मजेदार बनाया जाए।”
नेहा की चाल
नेहा ने मीना के कमरे में जाकर सफाई और कपड़ों में हल्की गड़बड़ी कर दी। उसने कुछ कपड़े अलमारी से बाहर रख दिए और छोटी चीज़ें जैसे गहने और रूमाल अपनी जगह से हटा दिए।
जब मीना कमरे में लौटी तो वह परेशान हो गई। उसने राज को बुलाया।
“राज, मेरे गहने और कुछ कपड़े गायब हैं। मुझे समझ नहीं आ रहा कि कहाँ रखे गए हैं।”
नेहा थोड़ी मुस्कुराई और राज से बोली,
“भाई, लगता है मीना अभी नए घर में थोड़ा उलझी हुई है। देखो, कैसे छोटी-छोटी चीज़ें भूल जाती है।”
मीना को यह बात असहज लगी। उसे लगा कि नेहा जानबूझकर उसकी छवि बिगाड़ना चाहती है।
राज ने मीना को शांत किया।
“मीना, घबराओ मत। हम सब मिलकर सब ठीक कर देंगे। हो सकता है यह कोई छोटी गड़बड़ी हो।”
लेकिन नेहा अपनी चाल नहीं रोक रही थी। वह हर दिन नई-नई तरकीबें सोचती थी—कभी मीना के काम में बाधा डालना, कभी छोटी-छोटी बातें राज को गलत तरीके से बताना, ताकि घर में हल्की उलझन बने।
नेहा की एक और चाल
एक दिन नेहा ने मीना के रसोई के सामान में हल्की गड़बड़ी कर दी। मीना जब खाना बना रही थी, तो मसाले और चम्मच सही जगह पर नहीं थे। मीना ने सोचा,
“क्यों लगता है कि सब चीज़ें गड़बड़ हैं? शायद मैं ही भूल रही हूँ।”
नेहा ने राज से कहा,
“भाई , लगता है कि मीना अब हर छोटी-छोटी चीज़ में उलझ रही है। देखो, उसे संभालना कितना मुश्किल हो रहा है।”
मीना को अब और असहज महसूस हुआ। लेकिन राज ने समझदारी दिखाई। उसने मीना का हाथ थामकर कहा,
“मीना, परेशान मत हो। हम इसे मिलकर हल करेंगे। नेहा सिर्फ़ चालाक है, पर हमें उसे समझाना पड़ेगा।”
नेहा ने अब और बड़ी चाल चली।
उसने राज को जानकारी दी कि मीना ने आज घर में लड़ाई की—मीना के बारे में कुछ हल्की बातें बड़ी तरह से बताईं, ताकि राज थोड़ा नाराज़ हो जाए।
राज ने मीना से पूछा,
“मीना,क्या यह सब सच है? नेहा ने जो बताया, क्या तुमने सच में यह किया?”
मीना को बहुत दुःख हुआ। उसने कहा,
“राज, मैं ऐसा कुछ नहीं कर रही हूँ। नेहा यह सब जानबूझकर कर रही है।”
उषा जो राज की मां थी उन्होंने बीच में आकर समझाया,
“राज, मीना सच कह रही है। नेहा की चालाकी कभी-कभी परेशान कर सकती है, पर हमें प्यार और समझदारी से काम लेना चाहिए ।
मीना ने नेहा से बात की। उसने पूछा,
“नेहा, तुम जानबूझकर मुझे परेशान क्यों कर रही हो? राज और मैं इससे दुखी हो रहे हैं।”
नेहा थोड़ी झिझकते हुए बोली,
“मुझे लगा कि मज़ाक मज़ेदार होगा। मैंने नहीं सोचा कि इससे तुम्हें दुःख होगा।”
राज ने साफ कहा,
“नेहा, अब समझो। परिवार में प्यार और सम्मान सबसे जरूरी हैं। अगर तुम सच में मीना को परेशान करती रहोगी, तो विश्वास टूट जाएगा।”
नेहा थोड़ी शर्मिंदा हुई। उसने कहा,
“ठीक है, मैं कोशिश करूंगी कि अब मीना को परेशान न करूँ।”
लेकिन उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी—यह दिखाने के लिए कि उसकी चालाकी अभी खत्म नहीं हुई।
नेहा की चुप्पी और नया षड्यंत्र
एक वर्ष बीत गया।
इस दौरान नेहा कुछ दिनों तक शांत रही, लेकिन उसके मन में हमेशा मीना को परेशान करने की योजनाएँ चलती रहती थीं। राज और मीना का जीवन धीरे-धीरे स्थिर हुआ। मीना ने ससुराल में अपने कदम जमाए, घर के काम और परिवार के रिश्तों को संभाल रही थी।
राज हमेशा मीना का सहारा बनता रहा। सुनीता और लालू भी समय-समय पर मीना को आशीर्वाद और प्यार देते रहे।
टीना भी मीना के साथ छोटे-मोटे मनोरंजन और बातचीत से माहौल हल्का रखती थी।
लेकिन नेहा, जो अब एक वर्ष तक चुप रही, भीतर ही भीतर एक बड़ा षड्यंत्र सोच रही थी। वह चाहती थी कि मीना को असहज महसूस कराए और उसका आत्मविश्वास थोड़ी देर के लिए कमजोर हो।
नेहा की नई चाल: जेवर छिपाना
एक दिन नेहा ने सोचा,
“मीना को दिखाना है कि वह इस घर में हर चीज़ पर नियंत्रण नहीं रख सकती। उसके जेवर छिपा दूँगी फिर देखो कैसे परेशान होती है ”
वह मीना के कमरे में गई और धीरे-धीरे सभी महत्वपूर्ण जेवर—कंगन, हार, अंगूठियाँ—छिपा दिए। नेहा ने यह सुनिश्चित किया कि कोई और इसे न देखे और मीना को बाद में ही पता चले।
जब मीना तैयार होकर अपने जेवर पहनने लगी, तो उसे पता चला कि जेवर गायब हैं। उसका चेहरा तुरंत तनाव और चिंता से भर गया।
मीना ने राज को बुलाया और रोते हुए कहा,
“राज, मेरे जेवर कहीं नहीं हैं। मैंने हर जगह देखा। क्या नेहा ने फिर से कुछ किया है?”
राज को पहले भरोसा नहीं हुआ। लेकिन उसने देखा कि नेहा कमरे में अजीब मुस्कान लिए खड़ी थी।
राज ने नेहा से सीधे सवाल किया,
“नेहा, यह क्या है? मीना के जेवर कहाँ हैं?”
नेहा ने मासूमियत का ढोंग करते हुए कहा,
“भाई, मुझे नहीं पता। शायद मीना खुद भूल गई होगी। मैं तो कमरे में आई भी नहीं थी।”
मीना को अब समझ में आया कि नेहा सच में फिर से उसे परेशान कर रही है। उसने थोड़े डर और गुस्से के साथ कहा,
“नेहा, यह ठीक नहीं है। एक साल चुप रहने के बाद भी तुम ने मेरी चीज़ें छुपा रही हो। यह परिवार और विश्वास के लिए सही नहीं है।”
राज ने दोनों को शांत किया और कहा,
“नेहा, अब सब साफ होना चाहिए। किसी के सामान से छेड़छाड़ करना गलत है। यह प्यार और भरोसे के खिलाफ है। मीना को परेशान करना बंद करो।”
उषा ने भी गंभीर स्वर में कहा,
“नेहा, यह परिवार है। तुमको समझना होगा कि किसी को परेशान करना ठीक नहीं है। अब हम सब मिलकर यह समस्या सुलझाएँगे।”
राज ने मीना का हाथ थामा और कहा,
“मीना, डरो मत। हम सब मिलकर सब ठीक करेंगे। नेहा की चालाकी अब काम नहीं आएगी।”
नेहा की नई चाल ने पूरे घर में हल्की-सी उलझन और तनाव पैदा कर दिया। मीना और राज की समझदारी और धैर्य अब परीक्षण पर थे।
लेकिन यह भी साफ हो गया कि नेहा की शरारत अब सिर्फ मज़ाक तक सीमित नहीं है—वह सच में मीना को परेशान करने के नए तरीके खोज रही थी।
मीना, राज और उषा ने मिलकर सभी कमरे और अलमारी की जांच शुरू की। नेहा बार-बार कोशिश करती कि सबको भ्रमित करे। उसने छोटे-छोटे संकेत देकर यह दिखाने की कोशिश की कि कोई और इसका जिम्मेदार हो सकता है।
लेकिन मीना और राज ने धैर्य रखा।
और कहा -
“नेहा, शांत रहो। तुम चाहे कितनी भी चालाकी कर लो, हम सच पता लगाएँगे।”
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, नेहा की चालाकी का पर्दाफाश हुआ। मीना ने सीधे नेहा से कहा,
“नेहा! सब साफ हो गया। तुमने मेरे जेवर छुपाए थे। अब तुमको सच बताना होगा।”
नेहा थोड़ा झिझकते हुए बोली,
“मीना, माफ़ करना। मैंने यह मज़ाक नहीं बल्कि ये दिखाना चाहा कि मैं कितनी चालाक हूँ। मैं नहीं चाहती थी कि किसी को चोट पहुँचे, लेकिन मुझे समझ में आया कि यह गलत था।”
उषा ने गंभीर स्वर में कहा,
“नेहा, तुम्हें समझना होगा कि परिवार में प्यार और भरोसा सबसे महत्वपूर्ण हैं। किसी को परेशान करना सही नहीं है। अब आगे से ऐसी हरकत नहीं होनी चाहिए।”
राज ने नेहा की ओर देखते हुए कहा,
“देखो, नेहा। हमें सभी के साथ प्यार और सम्मान रखना है। कोई भी चालाकी या छेड़छाड़ परिवार के विश्वास को तोड़ सकती है। क्या अब तुम ये सीख गई हो ?”
नेहा ने धीरे से कहा,
“ठीक है भाई। अब मैं कोशिश करूंगी कि मीना को परेशान न करूँ। मुझसे यह गलती हुई, मुझे खेद है।”
मीना ने मुस्कुराते हुए कहा,
“नेहा, अब मैं समझ गई कि तुम मज़ाक कर रही थी, लेकिन यह बहुत ज्यादा हो गया। अब हम सब मिलकर घर को खुशियों और प्यार से भरेंगे।”
उषा ने दोनों को देखते हुए कहा,
“देखो, परिवार में हमेशा प्यार और समझदारी ही सबसे बड़ा उपहार है।”
इस तरह, नेहा की चालाकी का पर्दाफाश हुआ और मीना और राज ने धैर्य और समझदारी से स्थिति को संभाला। नेहा ने अपनी गलती समझी और एक सीख पाई।
घर में फिर से शांति और प्यार लौट आया। लेकिन नेहा की आँखों में हल्की मुस्कान यह दर्शाती थी कि उसकी चालाकी खत्म नहीं हुई—बल्कि अब वह थोड़ी और चालाकी, लेकिन बिना किसी को चोट पहुँचाए , चालाकी को अंजाम देने की सोच रही थी।
रूपा बुआ की एंट्री और नया खतरा
सिटी के घर में धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो रहा था। मीना और राज अब अपने घर और रिश्तों में पूरी तरह ढल चुके थे। नेहा ने पिछले जेवर छिपाने वाले प्रकरण के बाद थोड़ी सी समझदारी दिखाई थी।
लेकिन घर में अब एक नया मेहमान प्रवेश करने वाला था—नेहा की बुआ, रूपा बुआ। रूपा बुआ शहर में एक ताकतवर और चालाक महिला के रूप में जानी जाती थी। उसका उद्देश्य हमेशा किसी न किसी तरह से दूसरों को परेशान करना और अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना था।
रूपा बुआ की पहली चाल
रूपा बुआ ने जैसे ही सिटी के घर में कदम रखा, उसने देखा कि नेहा और मीना के बीच पहले से हल्की-सी उलझन थी। रूपा बुआ ने सोचा,
“यह अवसर बहुत अच्छा है। मैं इन दोनों के बीच और गलतफ़हमियाँ पैदा कर सकती हूँ। मीना को असहज करना अब मेरा मकसद होगा।”
रूपा बुआ ने नेहा से कहा,
“बेटी नेहा, तुम ठीक कर रही हो। लेकिन अगर हम थोड़ी और चालाकी दिखाएँ, तो यह घर तुम्हारे कदमों में होगा।”
नेहा ने थोड़ा झिझकते हुए कहा,
“बुआ, मुझे डर है कि मीना बहुत परेशान हो जाएगी।”
रूपा बुआ ने ठहाका लगाया,
“डर? बेटा, यही मज़ा है। थोड़ी उलझन, थोड़ी डरावनी बात और सब अपने हाथ में। समझ गई?”
नेहा ने धीरे-धीरे हाँ कहा, लेकिन मन ही मन उसे अब एहसास हुआ कि यह चाल बहुत बड़ी हो सकती है।
मीना पर नया संकट
रूपा बुआ की चाल शुरू हुई। उसने नेहा को प्रेरित किया कि मीना के छोटे-छोटे कामों में बाधा डालें, जैसे:
मीना के कपड़े और जेवर गड़बड़ करना
रसोई और घर के सामान में हल्की उलझन पैदा करना
मीना धीरे-धीरे महसूस करने लगी कि नेहा की शरारतें अब पहले जैसी हल्की नहीं हैं, बल्कि रूपा बुआ की योजना का हिस्सा बन चुकी हैं।
मीना ने राज से कहा,
“राज, मुझे लगता है कि नेहा अकेली नहीं है। कोई और भी इस घर में मुझे परेशान करने की कोशिश कर रहा है।”
राज ने गंभीरता से कहा,
“ठीक कह रही हो। अब हम सावधान रहेंगे और सब कुछ ठीक से समझेंगे। नेहा और रूपा बुआ दोनों के साथ हमें प्यार और समझदारी से काम लेना होगा।”
रूपा बुआ की चाल -
रूपा बुआ ने अब एक और चाल चली। उसने नेहा को सुझाव दिया कि मीना के जेवर फिर से छुपा दिए जाएँ।
नेहा थोड़ी झिझक गई लेकिन अंत में उसने कहा,
“ठीक है बुआ, मैं कोशिश करती हूँ। लेकिन मैं नहीं चाहती कि मीना बहुत दुखी हो।”
मीना ने धीरे-धीरे महसूस किया कि इस बार केवल नेहा की चालाकी नहीं, बल्कि रूपा बुआ का भी हाथ है। उसने राज से कहा,
“राज, अब यह समस्या बड़ी है। हमें मिलकर इसका सामना करना होगा।”
राज ने कहा,
“हम समझदारी और धैर्य से सब ठीक करेंगे। प्यार और भरोसा ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।”
रूपा बुआ और नेहा की चाल, कालू पर शक और मजाक की सजा
सिटी के घर में सुबह का समय था। मीना तैयार होकर अपने जेवर पहनने लगी, लेकिन अचानक उसने देखा कि कंगन, हार और अंगूठियाँ गायब हैं।
“ये जेवर कहाँ गए? मैंने सब जगह देखा, लेकिन कुछ भी नहीं मिला!” मीना की आवाज में चिंता झलक रही थी।
उषा दौड़ती हुई आई और बोली,
“बहु, क्या हुआ? तुम परेशान क्यों हो रही हो?”
मीना ने कहा,
“मां, मेरे जेवर गायब हैं। मुझे लग रहा है कि कोई जानबूझकर मेरी चीज़ें छुपा रहा है।”
तभी नेहा और रूपा बुआ कमरे में आईं। नेहा मासूमियत का ढोंग करती हुई बोली,
“अरे मीना , जब तुम्हें कुछ नहीं पता तो शायद घर में चोरी हुई है। ऐसा लगता है जैसे कोई अंदर आकर चीज़ें ले गया हो।”
रूपा बुआ ने गंभीर आवाज़ में कहा,
“हाँ बेटा, सच में। यह बहुत ही अजीब है। शायद कालू, घर का नौकर जो छुट्टी पर गया था, वही चोरी करके गया हो। उसे पकड़ना चाहिए।”
मीना और राज दोनों ने हैरानी से नेहा और बुआ को देखा। मीना को तुरंत समझ में आया कि यह नेहा और बुआ की चाल है। लेकिन रूपा बुआ ने इतनी सच्चाई जैसा अंदाज़ दिखाया कि हर कोई भ्रमित हो गया।
घर में अफरा-तफरी
राज ने सोचा कि शायद सच में कुछ हुआ है।
मीना थोड़ा परेशान हो गई और कहा,
“लेकिन राज, कालू छुट्टी पर है। क्या वह सच में ऐसा कर सकता है?”
उषा ने कहा,
बहु, मुझे लगता है कि यह सब मज़ाक हो सकता है। नेहा और बुआ कुछ छुपा रही हैं।”
रूपा बुआ ने ठहाका लगाते हुए कहा,
“मज़ाक? उषा , यह कोई मज़ाक नहीं। घर में चोरी हुई है और हम सबको सावधान रहना होगा।”
नेहा ने धीरे से कहा,
“हाँ बुआ, शायद यही सही है। कालू ही इसका कारण हो सकता है।”
मीना की समझदारी
मीना ने तुरंत फैसला किया कि अब सावधानी से सब कुछ जांचना पड़ेगा। उसने राज को कहा,
“राज, हमें शांत रहकर हर जगह देखना चाहिए। नेहा और बुआ जो भी कह रही हैं, उसके पीछे मज़ाक या चोरी दोनों हो सकती हैं।”
राज ने कहा,
“ठीक है, मीना। हम समझदारी और धैर्य से काम लेंगे। पहले सबूत देखें, फिर फैसला लें।”
मीना, राज और उषा ने सभी कमरे और अलमारी की जाँच शुरू की। नेहा और रूपा बुआ बार-बार यह दिखाने की कोशिश करती रहीं कि कालू चोरी का जिम्मेदार है।
नेहा ने कह दिया कि कालू के बिना यह सब संभव नहीं।
रूपा बुआ ने जोर देकर कहा कि “अगर कालू को दोषी साबित कर दिया जाए, तो सब ठीक हो जाएगा।”
लेकिन मीना और राज ने सबकुछ धैर्यपूर्वक देखा और नेहा और रूपा बुआ की चाल पकड़ ली।
पर्दाफाश
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, मीना ने धीरे-धीरे सब कुछ साफ कर दिया। जेवर वही थे जो नेहा ने छुपा रखे थे।
मीना ने सीधे नेहा से कहा,
“नेहा! तुम्हें और बुआ को समझना होगा। यह सब मजाक बोलकर कालू को दोषी दिखाना गलत था।”
रूपा बुआ ने ठहाका लगाते हुए कहा,
“हाँ, अब मजाक पकड़ा गया। हमने नहीं सोचा था कि यह इतनी बड़ी उलझन पैदा कर देगा।”
पुलिस का आना और मजाक में सजा
मीना ने फैसला किया कि कानूनी रूप से सबक सिखाना जरूरी है, और पुलिस को फोन किया।
पुलिस आई और नेहा तथा रूपा बुआ को हिरासत में लिया। दोनों ने डर और हल्की शर्म महसूस की।
जांच में यह साफ हुआ कि सच में कालू ने कोई चोरी नहीं की, यह केवल नेहा और बुआ का मजाक था, लेकिन कानून के अनुसार इसे गंभीरता से लेना पड़ा।
पुलिस ने समझाया कि मजाक कभी-कभी अपराध बन सकता है और इसका अंदाज़ा कोई नहीं लगा सकता।
नेहा और रूपा बुआ को मजाक में जेल यात्रा करनी पड़ी।
सबक
मीना ने पूरे परिवार को समझाया:
“देखो, मजाक परिवार में ठीक है, लेकिन कभी-कभी मजाक कानून के दायरे में अपराध बन सकता है। हमें हमेशा सोच-समझकर काम करना चाहिए।”
राज ने कहा,
“सच में, प्यार और समझदारी ही परिवार और रिश्तों को सुरक्षित रखते हैं।”
टीना ने हँसते हुए कहा,
“अब समझ गई, मजाक और अपराध की रेखा बहुत पतली होती है।”
इस तरह, नेहा और रूपा बुआ की चाल और कालू पर झूठा शक डालना,ये मज़ाक जेल यात्रा में बदल गया।
सारा परिवार समझ गया कि मजाक की सीमा और सावधानी जरूरी है।
घर में अब शांति और प्यार लौट आया। नेहा और रूपा बुआ ने भी यह सबक सीख लिया कि मजाक कब गंभीर अपराध बन जाए, यह कोई नहीं जान सकता।