The dream that never came true. in Hindi Biography by Muskan Bohra books and stories PDF | वो सपना जो कभी पूरा ना हो सका

Featured Books
Categories
Share

वो सपना जो कभी पूरा ना हो सका

यह उस लड़की की कहानी है जिसके बचपन का सपना टूट गया जिससे पूरी तरह वो भी टूट गयी वो लड़की बचपन से ही बहुत होशियार थी उसका बचपन से सिर्फ एक ही सपना रहा था कि वो एक शिक्षिका बने वो छोटी थी तब खुद ही पढ़ा लेती थी जैसे विद्यालय में पढ़ाते हुए उसने देखा था ओर खुद ही उत्तरपुस्तिका भी चेक कर लेती थी यह बचपन का खेल कब उसका सपना बन गया पता भी नही चला उसका हमेशा से यही था की जब उसकी दसवीं हो जायेगी उसके बाद वो कला विषय लेगी उसने वो लिया भी ग्यारहवीं और बारहवीं करके वो बी.ए करेगी और बाद में बी.एड करेगी पर भगवान को शायद कुछ और ही मंजूर था कि बारहवीं के परीक्षा के बाद लोकडाउन लग गया और कुछ निजी समस्याओं की वजह से वो कॉलेज नहीं जा पाई जिससे उसका एक वर्ष बर्बाद हो गया फिर उसने एक वर्ष बाद एक कोर्स की परीक्षा दी जिससे वो शिक्षिका बन सकती थी पर उस शिक्षिका की परीक्षा के परिणाम का उसे कुछ पता नहीं चला और उसे ये सब बताने वाला भी कोई नही था ना उसके पास अपने विद्यालय के मित्र थे वो इस दर्द से अलग झूझ रही थी उसने प्रथम वर्ष तो कर लिया पर किसी कारण वश वो द्वित्तीय वर्ष का फॉर्म नहीं भर सकी इसके कारण उसका यह वर्ष भी बर्बाद हो गया फिर उसे यह एहसास होने लगा कि वो शिक्षिका कभी नहीं बन सकती इसलिए उसने ये सोचना बंद कर दिया उसके पास एक और विकल्प भी था कि वो होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर सकती है पर उसे समझ नहीं आ रहा था की वो ये करे या ना करे ज़िंदगी उसे एक और मौका दे रही है कुछ करने की कुछ कर दिखाने की क्या वो लड़की अपने आप को कभी साबित कर पाएगी अभी उस लड़की की बी.ए पूरी हो चुकी है पर उसे समझ नहीं आ रहा है की अब वो क्या करे उस लड़की की ज़िंदगी में बहुत से ऐसे लोग भी आये थे जिसको उसने अपना करीबी माना था पर समय के साथ वो सब बदल गये उस लड़की की बचपन की मित्रता सिर्फ एक दिन या यूं कहूं की उसका  सेक्शन अलग हो गया था उस लड़की ने तो अपने नये मित्र बना लिए पर वो  दूसरी का कभी कोई खास मित्र नही बना और यही बात को वो समझ नहीं पायी और उसको इतना वक्त लग गया की वो बहुत रोने लग गयी थी उसके लिए पर उस लड़की को कोई फर्क नहीं पड़ा और वो अपने मित्रों के साथ व्यस्त हो गई  फिर दूसरी लड़की को भी ग्यारहवीं कक्षा में एक मित्र मिल गई पर वो भी अगला वर्ष आते आते बदल गई उसके लिए दूसरे खास हो गये वो लड़की फिर से अकेली हो गयी तस्वीरें फोन में लेते थे सब की साथ में तब भी वो अकेली खड़ी रहती थी अकेले खाना खाती थी विद्यालय ख़त्म होने के बाद उसका घर दूर हो गया जिसके कारण वो किसी से मिल नहीं पाती थी वो जो खास थे वो सब अपने कॉलेज लाइफ में बिजी हो गये इसलिए उसने भी सबसे बात करनी बंद कर दी क्योंकि उसको कोई मेसेज नहीं करता था जबकी वो सोशल मीडिया पर उसने जुड़ी हुई थी पर कोई उसको याद नहीं करता था इसलिए उसने पहले टेक्स्ट करना छोड़ दिया और वो अकेले रहने लग गयी  और अकेले ही एन्जॉय करने लग गयी वो लोग तो अपनी परीक्षा  के बाद रेस्टॉरेंट भी गये पर उसको किसी ने याद नहीं किया सिर्फ तस्वीरें देखी इसलिए उसने किसी से भी उम्मीद रखनी छोड़ दी वो सब से उभर चुकी थी उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था पर कभी कभी उसे तकलीफ भी होती थी पर उसे कोई समझने वाला नही था और ना आज तक कोई है जिस लड़की से उसकी मित्रता टूटी थी उसकी वजह से उसने मित्रता में विश्वास रखना छोड़ दिया था ।