Endless Arunesh in Hindi Biography by नंदलाल मणि त्रिपाठी books and stories PDF | अवसान विहीन अरुणेश

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अवसान विहीन अरुणेश



भाव उत्पत्ति--

मै दिसम्बर -2024 मे एक वैवाहिक आयोजन मे सम्मिलित होने इलाहबाद बाद गया था वहीं मेरी मुलाक़ात आदरणीय गोविंदा शुक्ल जी से हुई जो रीवा मध्य प्रदेश के निवासी है!

 गोविंद शुक्ल ज़ी ने बताया कि उनके ही परिवार समाज पट्टीदारी कि लड़की प्रोफेसर अरुणेश नीरन जी कि पुत्र वधू है कभी अवसर मिले तो अवश्य मेरा संदर्भ देते हुए मिलिएगा! 

मै किसी काम से जनवरी -2025 में अपने गाँव जा रहा था अचानक मुझे गोविन्द शुक्ल जी का स्मरण आया मैंने नीरन जी से मिलने का निर्णय किया और मै नीरन जी से गोविंद शुक्ल जी का संदर्भ देते हुए मिला!

आभास ऐसे हुआ जैसे नीरन ज़ी से मेरी और नीरन जी कि वर्षो से जान पहचान ही नही संवेदनशील भावनात्मक सम्बन्ध है अरुणेश नीरन जी से प्रथम मुलाक़ात एवं नीरन जी के व्यक्तित्व आभा मंडल का सानिध्य मेरे लिए मेरी माटी जनपद कि मिट्टी कि ऐसी सुगंध कि अनुभूति था जो विसमृत हो पाना असम्भव है!!

डेढ़ माह पूर्व दुःखद सूचना मिली कि नीरन जी अस्वस्थ है और सिटी हॉस्पिटल गोरखपुर मे भर्ती है मै नीरन जी के स्वास्थ्य एवं कुशल क्षेम कि जानकारी हेतु सिटी हॉस्पिटल गोरखपुर गया वहां अरुणेश नीरन जी से मेरी दूसरी मुलाक़ात हुई नीरन जी प्रसन्न मुद्रा मे स्वास्थ्य लाभ लें रहे थे और उनकी स्थिति मे सुधार हों रहा था वहीं नीरन जी के सुपुत्र जो देवरिया मे वकालत करते है मुलाक़ात हुई!

(क )
जन्म एवं जीवन----

विश्व भोजपुरी सम्मेलन के 
संरक्षक प्रख्यात साहित्यकार 
मुर्धन्य विद्वान उत्तर प्रदेश, बिहार कि सीमा पर पूर्वांचल के अति पिछड़े जनपद अति पिछड़ा इसलिए क्योंकि मारिशस, फिज़ी, सुरीनाम जिन देशों का निर्माण गिरमिटिया मजदूरों कि वर्तमान पीढ़ी एवं उनके पीढ़ियों के संघर्ष दुर्दशा के बाद नए समाज राष्ट्र के साथ उन्हें पतंत्रता एवं पशुवत जीवन से मुक्ति सम्मान गौरव का प्रतीक है वे पूर्वांचल उत्तर प्रदेश के ही लोग है जिन्हे गिरमिटिया पराधीन के रूप मे बड़ी दुर्दशा याताना के साथ चप्पू चलाते हुए दुर्गति दुर्दशा से ब्रिटिश शासको द्वारा लें जाया गया क्रूरता क़े काल चक्र से शेष बचे लोंगो क़ो निर्जन निरीह द्विपो पर लें जाया गया और छोड़ दिया गया जिसे उन्होंने अपने कठिन परिश्रम से स्वर्ग बना दिया यदि आप गिरमिटिया मजदूरों द्वारा निर्मित देशों मे जाएंगे तो आपको भोजपुरी भाषाई कि ही वर्तमान पीढ़ी मिलेगी न कि मराठी, गुजरती, पंजाबी, राजस्थानी, आदि जिससे स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल भोजपुरी भाषाई क्षेत्र कितना पिछड़ा रहा होगा क्योकि ज़ब वैश्विक मनवीय सभ्यता, विकास, स्वतंत्रता का युद्ध लड़ रही थी तब पूर्वांचल के भोजपूरी भाषाई पशुवत,प्रतंत्रता के दंश का जीवन दंड भोग रहे थे इसीलिए स्वतंत्रता के बाद भी ऐ सारे क्षेत्र पिछड़े ही रहे या है!

इन क्षेत्रो कि सामाजिक आर्थिक भौगोलिक एवं राजनितिक सभी स्तरों पर अति पिछड़े क्षेत्र समाज कि पहचान अब भी है!

भोजपुरी भाषा कि उन्नति केअरुणेश नीरन ज़ी द्वारा जीवन समर्पित कर देना एवं अपने जीवन का संकल्प अनुष्ठान ही समाज शिक्षा एवं भाषा के लिए न्योछावर कर देना वास्तव मे अरुणेश नीरन ज़ी का जन्म देवरिया खास मे 20 जून 1946 क़ो स्वर्गीय जगदीश मणि त्रिपाठी के जेष्ट पुत्र के रूप होना अद्भुत आश्चर्यजनक ईश्वरीय 
निर्धारण कि अविस्मरणीय अतुलनीय घटना थी जिससे पूर्वांचल भोजपुरी भाषियों का गौरव प्रतिष्ठा मान क़ो स्थापित करने एवं बढ़ाने मे जो कार्य एवं योगदान दिया वह भुलाया नहीं जा सकता है यदि वर्तमान पीढ़ी अरुणेश नीरन ज़ी के जन्म जीवन क़ो साधारण घटना मानकर विसमृत कर देती है तो निश्चित रूप से पुनः अपने अस्तित्व के उगते सौर्य क़ो तिलाजलि देने जैसा होगा!
(ख)
 कृतिया --

भोजपुरी बैभव, पुरइन पात, हमार गाँव, प्रतिनिधि भोजपुरी कहानिया, शिवप्रसाद सिंह, अक्षर पुरुष, अज्ञेय सती स्मरण!
भोजपुरी हिंदी शब्द कोष (प्रकाशित)
भोजपुरी व्याकरण ( प्रकाशन मे)

देश विदेश किपत्रिकाओं मे तीन सौ से अधिक शोध पत्र प्रकाशित!
(ग)
साहित्य अकादमी नई दिल्ली, नेशनल बुक ट्रस्ट, मुंबई विश्वविद्यालय, गोरखपुर विश्वविद्यालय मे सौ से अधिक व्यख्यान!!

(घ)
प्रमुख सम्मान एवं पद प्रतिष्ठा --

1- 
विश्व भोजपुरी के राष्ट्रीय महासचिव (1995-2004)
2- 
विश्व भोजपुरी के अंतराष्ट्रीय सचिव -(2004-2009)
3-
विश्व भोजपुरी चौथे सम्मेलन मारीशस आयोजित के दौरान पुनः 16 देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महासचिव के रूप मे निर्वाचित!! 
4-
वर्ष 2000 मे मारिशस मे आयोजित दूसरे विश्व सम्मेलन मे भारतीय प्रतिनिधि मंडल के नेता!!
5-
भोजपुरी के अमर लोक गीत (चार खंड )श्रृंखला के लेखक निदेशक प्रस्तुत कर्ता!
6-
अब तक आयोजित 9 अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी सम्मेलनो मे चार के सफल आयोजन कर्ता!!
7-
भोजपुरी भाषा संस्कृति कला के सम्बंधित ग्रन्थ सेतुः का सम्पादन!!
8-
विश्व भोजपूरी सम्मेलन के अंतर्राष्ट्रीय महासचिव
 #समकालीन भोजपुरी# के प्रधान सम्पादक

शिक्षा दीक्षा के उपरांत संपूर्णा नन्द संस्कृति विश्वविद्यालय एवं महात्मा गाँधी अंतराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा मे सेवाए प्रदान किया तदुपरांत बुद्धा स्नात्तकोत्तर महाविद्याल कुशीनगर के प्राचार्य पद से सेवा निवृत्त हुए!!

अरुणेश नीरन ज़ी देवरिया से दिल्ली सम्पूर्ण देश एवं विदेश मे भोजपुरी भाषा के विकास उत्थान एवं सम्मान के लिए जीवन पर्यन्त समर्पित रहे!

भोजपुरी भाषा क़ो उचित स्थान एवं सम्मान हेतु उनके द्वारा जो प्रयास सम्पूर्ण जीवन काल किए गए वह भोजपुरी क्षेत्र एवं भोजपुरी भाषियों के लिए धन्य धरोहर है जिसके आधार पर भोजपुरी भाषा क़ो उचित स्थान एवं सम्मान के लिए वर्तमान एवं भविष्य मे कार्य किया जाना वर्तमान पीढ़ी कि जिम्मेदारी तो है ही भविष्य कि पीढ़ियों के लिए कर्तव्य दायित्व का बोध है!
 भोजपुरी भाषा के लिए उनके प्रयास इसी से बहुत प्रासंगिक परिणाम परक प्रमाणिक प्रतीत होते है कि उनके द्वारा भोजपुरी हिंदी शब्द कोष कि रचना प्रकाशन एवं भोजपुरी व्यकरण कि रचना जो प्रकाशनधिन है बहुत महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि किसी भी भाषा का महत्व उसके व्याकरण एवं शब्दोंकोष से ही प्रामाणिक प्रासंगिक होता है देवरिया जैसे अति पिछड़े जनपद जिसका अस्तित्व ही वर्ष 1947 से जनपद के रूप निर्मित हुआ उसके पहले गोरखपुर जनपद कि तहसील के रूप मे देवरिया क़ो जाना जाता था!

डॉ अरुणेश नीरन ज़ी कि उपलब्धि देवरिया एवं उत्तर प्रदेश पूर्वांचल एवं भोजपुरी के सन्दर्भ मे अति विशिष्ट महत्वपूर्ण एवं एवं अभिनंदनीय वंदनीय है जो वर्तमान एवं भविष्य कि पीढ़ियों के लिए प्रेरणा एवं जिम्मेदारी है कि स्वर्गीय नीरन ज़ी के कार्यों उपलब्धियों प्रयास के आधार पर भोजपुरी भाषा के विकास साम्मान के नीरन शांखनाद एवं अनुष्ठान क़ो आगे बढ़ाए यह कर्तव्य भी है और जिम्मेदारी भी

व्यक्तिगत अनुभूति--

मेरी अरुणेश नीरन जी से मात्र दो मुलाकाते वर्ष 2025 मे ही हुई नीरन जी के व्यक्तित्व एवं जीवन पथ पर मेरी दृष्टि एवं आत्मा कहती है कि --


1-
# प्रोफेसर अरुणेश नीरन जी व्यवहारिक सामाजिक आचरण चिंतन कि दृष्टि दिशा दृष्टिकोण के बहुत अलग व्यक्ति व्यक्तित्व थे#

2-
#सोच सक्रियता पराक्रम परमार्थ निष्काम कर्म योग का आधर भूत सिद्धांत परिलाक्षित प्रतिबिम्बत होता है#

3-
#प्रोफेसर अरुणेश नीरन जी का कृतित्व एवं व्यक्तित्व संसाधन, स्थान एवं पुरातन आधुनिक वैज्ञानिक जैसी विशिष्ट विशेषताओं के साथ सर्वथा अलग अपनी उपस्थिति कि पहचान को प्रतिपादित करता है#
4-
# यही विशेषता थी प्रोफेसर अरुणेश नीरन जी कि जिन्होंने देवरिया जैसे छोटे एवं पिछड़ा कहे जाने वाले जनपद मे वर्ष 1995 मे अंतराष्ट्रीय भोजपुरी सम्मेलन का आयोजन कर अपनी मंशा एवं उद्देश्य दोनों को बहुत स्पष्ट कर दिया था#
5-
#भोजपुरी भाषा के लिए समर्पित पूर्वांचल देवरिया के सपूत डॉ अरुणेश नीरन जी समय समाज काल साहित्य एवं भोजपुरी भाषा के लिए समर्पित महारथी ओज तेज थे#

निश्चित रूप से उनका दुनियां छोड़कर जाना पूर्वांचल एवं देवरिया साथ ही साथ भोजपुरी भाषा कि क्रांति आंदोलन के शांति शौम्य पल प्रहर प्रवाह कि अपूरणीय क्षति है!!

अंतर्मन वेदना कि 
कराह कैसी 
बिडंबना कैसा न्याय!!

जाने कितने 
अरुण तरुण
ऐश्वर्य आयाम 
अध्याय थे शेष!! 

काल क्रूर कठोर का
कैसा अन्याय
अन्याय इसलिए 
अस्तित्व व्यख्या 
पथ पग अभी शेष!!

समय समाज 
काल आकांक्षा 
पुरुष अरुणेश उदय 
अविरल अविराम 
अभी शेष!!

नीति नियत नियंता 
मर्यादा महिमा 
शाश्वत सत्य शेष!!

असम्भव लगता 
समय काल का 
पल पल अतीत 
वर्तमान मे ना हों 
अरुणेश!!

भौतिक काया नही 
अब ज्योति जीवन 
पथ ही युग समय 
परम्परा परिवार 
परिवेश!!

समाज प्रेरक प्रेरणा
उदय उदित प्रत्यक्ष 
प्रतिबिम्ब नीरन 
अरुणोदय अरुणेश!!



नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश!!