Adhuri Dastaan in Hindi Short Stories by Payal Author books and stories PDF | अधूरी दास्तान

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अधूरी दास्तान


अधूरी दास्तान


कॉलेज का आख़िरी साल हमेशा ही यादों से भरा होता है। हर गली, हर बेंच, हर कॉमन रूम—जैसे किसी ने उनकी दोस्ती की गवाही दी हो। विशाल, नेहा और प्रिया—तीनों की दोस्ती बचपन से ही मजबूत थी। लेकिन कॉलेज के ये साल उनके दिलों में अलग-अलग रंग भर गए थे।

नेहा और विशाल का प्यार शायद सभी को पता था। उनकी मुस्कुराहटों में छुपी नज़ाकत, छोटी-छोटी teasing, और आँखों में एक-दूसरे के लिए प्यार—सबके लिए साफ़ दिखाई देता था। वहीं प्रिया, जो तीसरी दोस्त थी, उसका प्यार विशाल के लिए किसी से छुपा हुआ था। वह हमेशा अपने दिल की भावनाओं को गुप्त रखती, कभी-कभी अपनी डायरी में लिखती, कभी अकेले में ख्वाबों में खो जाती। नेहा की हँसी, विशाल की मुस्कान—हर पल प्रिया के दिल को चुभता। लेकिन वह नहीं चाहती थी कि उनकी दोस्ती किसी तरह से प्रभावित हो।

कॉलेज के आख़िरी साल में तीनों की दोस्ती और भावनाएँ कई मोड़ों से गुजर रही थीं। कुछ पल उन्हें करीब लाएंगे, कुछ दूर, और कुछ हमेशा अधूरी रह जाएँगी।


एक फेस्टिवल का दिन था। कैंपस हर तरफ़ हलचल और रंग-बिरंगी सजावट से भरा हुआ था। नेहा विशाल के पास खड़ी थी, किताबों की ढेर में से एक किताब निकालते हुए मुस्कुरा रही थी।
“तुम्हें पता है ना, मैं हमेशा तुम्हारा इंतज़ार करती रहती हूँ।”
विशाल ने उसकी तरफ़ देखा, आँखों में वही चमक और प्यार झलक रहा था। धीमे से कहा, “और मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा, चाहे कुछ भी हो।”

प्रिया थोड़ी दूरी पर खड़ी थी। उसके दिल का दर्द भीतर ही भीतर बढ़ रहा था। उसने अपनी आँखें झुका लीं और धीरे-धीरे कहा, “कभी-कभी कुछ चीज़ें हमें सिर्फ़ दूर से ही प्यार करने देती हैं।”


कॉलेज की दिनचर्या में भी उनके अलग-अलग रंग दिखते रहे।

ग्रुप प्रोजेक्ट्स: विशाल और नेहा साथ बैठकर प्रोजेक्ट पर काम करते, अक्सर हँसी-मज़ाक करते। प्रिया चुपचाप पीछे से देखती, कभी-कभी अपनी नोटबुक में बातें लिखती।

लाइब्रेरी में late-night study: विशाल और नेहा किताबों के बीच हँसी-मज़ाक करते, प्रिया चुपचाप कॉर्नर में बैठकर उनका ध्यान रखती। कभी-कभी विशाल उसकी तरफ़ देख लेता, लेकिन सिर्फ़ एक fleeting glance।

कैफेटेरिया में हँसी-मज़ाक: नेहा का हँसी-मज़ाक, विशाल की teasing, और प्रिया की मुस्कान—सबके बीच उसका दिल धड़कता।

स्पोर्ट्स डे: विशाल नेहा को cheer करते हुए देखकर प्रिया को अंदर से चोट लगती। उसने सोचा, “कभी-कभी प्यार का मतलब सिर्फ़ महसूस करना ही होता है, दिखाना नहीं।”


प्रिया अक्सर खुद से कहती, “क्योंकि कुछ मोहब्बतें केवल महसूस करने के लिए होती हैं, कभी पाने के लिए नहीं।”


कॉलेज ट्रिप का दिन आया। तीनों साथ थे, लेकिन प्रिया अपने दिल को और ज़्यादा दबा रही थी। विशाल और नेहा झूले पर बैठे, हाथ में हाथ डाले, हँसते-खेलते। प्रिया पीछे खड़ी थी, उनके expressions को ध्यान से देख रही थी—उनकी मुस्कान, उनकी closeness, उनके छोटे-छोटे jokes। उसकी आँखें धीरे-धीरे नम हो गईं।

उसने खुद से कहा, “कुछ मोहब्बतें सिर्फ़ देखने के लिए होती हैं। कभी पाने के लिए नहीं।”
विशाल ने प्रिया की तरफ़ कभी नजर नहीं डाली। वह बस नेहा के पास मुस्कुराते हुए खड़ा था, उसका हाथ पकड़कर।


समय बीतता गया। प्रिया ने धीरे-धीरे अपनी अधूरी मोहब्बत को समझना शुरू किया। उसने खुद को संभाला, दोस्तों की तरह रहना सीखा, लेकिन अंदर से टूटती रही। विशाल और नेहा की closeness उसे हर दिन याद दिलाती रही कि कभी-कभी प्यार सिर्फ़ दिल में ही रह जाता है।


फ़ेयरवेल पार्टी का दिन आया। कॉलेज का आख़िरी दिन था। रंग-बिरंगी लाइट्स, हल्की-सी बारिश की बूँदें, और खुशियों की हल्की-सी गूँज। नेहा और विशाल हँसते हुए memories को याद कर रहे थे। प्रिया ने उनकी तस्वीरें खींचीं, मुस्कुराईं, लेकिन उसकी आँखों में sadness छुपी हुई थी।

फेस्टिवल की हल्की बारिश शुरू हुई। प्रिया ने umbrella उठाया और धीरे-धीरे दूर चली गई। विशाल और नेहा ने पीछे मुड़कर देखा, मुस्कुराए, और अपनी closeness में खो गए। प्रिया की silhouette धीरे-धीरे fading होती रही, जैसे उसका प्यार भी किसी shadow की तरह रह गया—अधूरा, लेकिन कभी खत्म न होने वाला।


कॉलेज के आख़िरी हफ़्ते में प्रिया अक्सर अकेले में बैठकर सोचती, अपने emotions को लिखती। उसने समझा कि प्यार सिर्फ़ पाने के लिए नहीं होता, कभी-कभी उसे सिर्फ़ महसूस करना होता है।
विशाल और नेहा की closeness में वह खुश होती थी, अपनी अधूरी मोहब्बत को स्वीकार कर लिया। और धीरे-धीरे, अपने अंदर की पीड़ा को संभालकर उसने खुद को भी स्वीकार करना सीख लिया।

अधूरी दास्तान यही दिखाती है—कभी-कभी प्यार खुलकर खिलता है, और कभी सिर्फ़ दिल में रह जाता है।