रात गहरी हो चुकी थी। अद्विक की आँखें नक्शे पर टिकी थीं, जहाँ “देवजु की आँख” का चिन्ह रहस्यमय रोशनी बिखेर रहा था। कमरे की लाइट बंद थी, बस वही नक्शा अँधेरे में चमक रहा था।उसने धीरे से फुसफुसाया—“देवजु की आँख… आखिर ये है क्या?”नीचे के कमरे से माँ की आवाज़ आई, “अद्विक! सो गया क्या?”वह घबरा कर बोला, “हाँ माँ, अभी सो रहा हूँ…” और जल्दी से नक्शा बैग में छुपा लिया। लेकिन नींद कहाँ आने वाली थी? उस चमकते चिन्ह ने उसकी आँखों में सवालों की आग लगा दी थी।अगली सुबह स्कूल में उसने राघव और अवनि को नक्शा दिखाया।राघव ने आँखें मिचकाईं, “भाई, यह तो किसी फिल्म का prop लग रहा है।”अवनि ने नक्शे को घुमाते हुए कहा, “लेकिन सच में देखो, ये जो चमक है, ये तो unusual है। Paper ऐसे glow नहीं करता।”अद्विक ने धीरे से कहा, “कल रात ये खुद-ब-खुद चमकने लगा। और देखो—इस पर लिखा है ‘देवजु की आँख’। हमें इसे समझना होगा।”राघव ने मजाक किया, “देवजु की आँख? कहीं ये CCTV camera तो नहीं?”अवनि खिलखिलाई, “हाँ, शायद भगवान का hidden camera हो!”तीनों हँस पड़े, पर अद्विक का चेहरा गंभीर था। “नहीं… ये मजाक नहीं है। मुझे déjà vu हो रहा है कि हमें किसी पुराने किले में जाना होगा। मैंने कल रात एक सपना देखा था—हम तीनों एक पुराने किले की ओर बढ़ रहे हैं।”राघव ने उछलकर कहा, “तो फिर adventure शुरू! चलो आज ही।”अवनि ने माथा पकड़ा, “अरे पागल, ऐसे ही भागेंगे क्या? मम्मी को क्या बोलोगे—‘हम देवजु की आँख ढूँढने निकले हैं’?”लेकिन आखिरकार, तीनों ने तय किया कि वे पास के पुराने किले तक जाएँगे। किले के बारे में अफ़वाह थी कि वहाँ समय कभी-कभी थम जाता है।---किला गाँव के बाहर एक पहाड़ी पर था। तीनों जैसे-जैसे पास पहुँचे, हवा ठंडी और भारी होने लगी। पत्थरों से बनी दीवारें आधी टूटी थीं, लेकिन दरवाजे पर अजीब से चिह्न खुदे हुए थे—कुछ वैसा ही जैसा नक्शे पर था।अद्विक ने कदम रोक दिए।“रुको। ये वही symbols हैं। वही déjà vu जैसा मैंने देखा था।”राघव ने हँसते हुए कहा, “मतलब तेरे déjà vu का GPS सही है।”अवनि ने मोबाइल निकाला, “चलो जल्दी एक selfie ले लें, फिर अगर भूत-प्रेत आया तो कम से कम हमारी आखिरी फोटो cool लगेगी।”अद्विक ने झुंझलाकर कहा, “तुम दोनों कभी serious नहीं हो सकते।”तीनों ने अंदर कदम रखा। किले का hall अंधेरा था, लेकिन बीच में एक बड़ा पत्थर रखा था। पत्थर पर आँख का symbol चमक रहा था।अचानक हवा का झोंका चला और दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया।राघव चिल्लाया, “अरे माँ! ये तो फिल्मी scene है!”अवनि डरकर बोली, “क्या हम सच में फँस गए हैं?”अद्विक का दिल तेज़ी से धड़कने लगा, क्योंकि यह सब उसने पहले déjà vu में महसूस किया था।वह धीरे-धीरे पत्थर के पास गया। जैसे ही उसने हाथ रखा, symbol और तेज़ चमकने लगा।और तभी, दीवार पर कुछ लिखावट उभर आई—“जिसे देवजु की आँख मिलेगी, वही समय का सच जान पाएगा।”तीनों एक-दूसरे की ओर देखने लगे।राघव ने हकलाते हुए कहा, “मतलब… हम time travel करने वाले हैं?”अवनि ने घबराकर कहा, “या फिर… हम यहाँ से कभी बाहर नहीं निकल पाएँगे?”अद्विक का गला सूख गया।“नहीं… यह तो सिर्फ शुरुआत है।”---अब सवाल हवा में तैर रहे थे—“देवजु की आँख” का असली मतलब क्या है?क्या यह सच में समय को रोकने या बदलने की शक्ति है?और सबसे बड़ा सवाल—किसने उन्हें यह नक्शा भेजा?किले के अंधेरे में उनके adventure की असली शुरुआत हो चुकी थी।