shambuk badh aur bhvbhuti-swatantr kumar saxena in Hindi Book Reviews by ramgopal bhavuk books and stories PDF | शम्बूक वध और महाकवि भवभूति-dr स्वतंत्र कुमार सक्सेना

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शम्बूक वध और महाकवि भवभूति-dr स्वतंत्र कुमार सक्सेना

शम्बूक वध और महाकवि भवभूति

लेखक-श्री राम गोपाल भावुक

सम्पादन—श्री दीपक कुमार गुप्ता

वर्तमान युग में लेखक एक पौराणिक विषय़ पर चर्चा करता है वह राम को शम्बूक वध के कलंक से मुक्ति दिलाना चाहता है.। यही इस लेख का उद्देश्य है।

         लेखक ब्राम्हण बालक की मृत्यु  से  प्रारंभ करता है।,वर्णाश्रमधर्म के अनुसार बाल्मीकि रामायण में उल्लेखित प्रसंग है (बाल्मीकि रामायण उत्तर कांड ७३सर्ग दसवां श्लोक )मृत बालक का पिता बालक की असमय मृत्यु का दोष किसी शूद्र की तपस्या करने पर मढ़देता है।यह अधर्म है।राम वर्णाश्रम धर्म के रक्षक हैं ,उनके राज्य में अधर्म नहीं होना चाहिए

         वर्तमान युग में तो असंख्य शिशु नवजात बालक बालिकाओं  की मृत्यु हो जाती है ।,जिनमें ब्राह्मण क्षत्रिय अन्य सभी हैं।गर्भस्थशिशु के लिंग का पता लगाना और  वर्तमान में गर्भस्थ बालिका शिशु का माता- पिता द्वारा गर्भपात कर उससे पीछा छुड़ाना चाहते हैं।यह नई रीति है ,पर नवजात बालिका शिशु की हत्या तो मेरे देश की पुराणी परंपरा है ।पर किसी पुरोहित  धर्माचार्य पंडित ने किसी क्षेत्र के  राजा जागीरदारों पर या वर्तमान के मिनिस्टर विधायक या  गवर्नर कलेक्टर पर आरोप नहीं मढ़ा। हमारी सरकारें ऐसी कोई जिम्मेदारी स्वीकार भी नहीं करतीं,न ही वर्तमान में इस कार्य को अधर्म ही माना जाता है ।,किसी माता -पिता गर्भ पात करने वाले डॉक्टर पर कोई दोष मढ़ा जाता है क़ानून हैं पर पर मुझे नहीं मालूम कितनों को सजा हुई ,किसीपंडित ने किसी माता पिता से कोई प्रायश्चित कराया हो पता लगने पर भी  सब जानबूझ कर चुप रहते हैं।एक दुसरे से रह्स्यात्मक ढंग से मुस्कराते बताते हैं.फूस  फुसाते हैं,।अधिकतर भ्रूण ह्त्या करवाने वाले सवर्ण मां बाप ही होते हैं गर्भपात करने वाले डॉक्टर भी अधिकतर सवर्ण ही होते हैं दलित और आदिवासी यों में गर्भस्थ कन्या भ्रूण की हत्या नहीं की जाती हाँ उनके बच्चे कुपोषण बिमारियोंरहन सहन में अस्वच्छता गरीबी के कारन इलाज न करवा पाने के कारण असमय मर जाते हैं ,कोरोना में फैली महामारी  कारण न जाने कितने युवा युवतियाँअसमय काल कवलित हो गए पर सरकार ने कोई जिम्मेदारी नहीं ली ।पर त्रेता के राजा राम एक ब्राह्मण बालक के असमय मृत्यु की जिम्मेदारी लेते हैं ,

                  बाल्मीकि रामायण के अनुसार ब्राह्मण बालक की असमय मृत्युकाउत्तरदायित्व राम पर था तत्कालीन रूप से राजा राम इस उत्तरदायित्व को स्वीकार भी कर लेते हैं ,

                 राज सभा आयोजित की जाती है उसमें विभिन्न ऋषि बुलाये जाते हैं वे सब विचार करके उस ब्राह्मण बालक की मृत्यु का कारण किसी शूद्र का तपस्या रत होना बताते हैं।वर्तमान समय में वैज्ञानिक रूप से यह कारण तार्किक तो नहीं लगता ।पर राजा राम को राजसभा में ऋषियों के साथ विचार करने पर एक मात्र यही करण उचित नजर आता है। काव्य के अनुसार राजा राम जंगल में सेना सहित खोज करते हैं एक तपस्वी उन्हें पेड़ की डाली से उल्टा लटका हुआ मिलता है वह अपना नाम शम्बूक बताता है वह पूंछने पर अपने को शूद्र बताता है राम तलवार से अप उसका सर काट देते हैं  ब्राम्हण  बालक जी उठता है।

लेखक राम गोपाल भावुक इस प्रसंग को गढ़ा हुआ मानते हैं ,कुछ मनीषियों के अनुसार तो रामकथा ही एक पौराणिक काव्य है।इसका कोई ऐतिहासिक पुरातात्विक प्रमाण नहीं मिलता।

            लेखक के अनुसार पौराणिक परंपरा के मोह में पड़ कर महाकवि भवभूति भी अपने काव्य में शम्बूक का वध कराते हैं ,मतलब घटना को वे न असत्य मानते हैं न अनुचित ,महाकवि भवभूति के राम भी अपनी दाहिनी भुजा में तलवार लेकर शम्बूक का वध करते हैं ,उनके काव्य में इस घटना के प्रति कहीं संदेह शब्द नहीं है वे मात्र व्यथित हैं ,हाँ रजा राम वध के बाद शम्बूक को स्वर्ग प्रदान करते हैं पर ऐसा तो वे सारे राक्षसों को भी करते हैं ।

      श्री राम गोपाल जी भावुक महाकवि भवभूति का परिचय देते हैं ,वे उनका नाम नीलकंठ बताते हैं भवभूति तो उन्हें राजा द्वारा प्रदान की गयी उपाधि थी वर्तमान में महाकवि रचित तीन काव्य उपलब्ध हैं पहला महावीर चरितमदूसरा मालती माधवमतीसरा उत्तर राम चरितम।

श्री राम गोपाल जी भावुक मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले की डबरा तहसील में स्थित पद्मावती नगरी की चर्चा करते हैं इसे पद्म पंवाया कहा जाता है यह वर्तमान  में एक छोटा सा उपेक्षित गाँव है पर भावुक जी की दृष्टि में यही ऐतिहासिक प्रसिद्ध पद्मावती नगरी है जो नाग राजाओं की राजधानी थी। जहाँ महाकवि भवभूति अध्ययन करने आये थे। उनके अनुसार यह तब एक  प्रमुख शैक्षणिक केंद्र भी था ,यहीं पास में एक विशाल  मंदिर है वर्तमान में इसे  धूमेश्वर महादेव का मंदिर कहा जाता है ।इस मंदिर का मध्य युग में सुप्रसिद्ध नरेश वीर सिंह जू देव  ने कराया था उन्हीं ने इस मंदिर में भगवन शिव की स्थापना  कराई,भावुक जी के अनुसार ये महादेव महाकवि भवभूति के काव्य में उल्लेखित कालप्रिय नाथ हैं ,वे उसके आसपास प्रकृतिका व् पास में बहती  पारवती नदी का मनोहारी वर्णन करते हैं।

श्री राम गोपाल जी भावुक ने महाकवि भव भूति के नाटकों का अनुवाद किया उनके साहित्य पर लेख लिखे जगह -जगह जाकर विभिन्न सम्मेलनों में महाकवि भवभूति के बारे में पाठकीय चर्चा में भाग लिया वे हमारे क्षेत्र के महाकवि केबारे में एक मात्र ज्ञाता व् श्रोत हैं इसका अलावः भी उन्होंने कई उपन्यास लिखे उनके कई कहानी संग्रह उनके प्रकाशित हुए,वे स्वयम भी कवि है, कई बार विभिन्न साहित्यिक सम्मानों से नवाजे गए ,उनके प्रति शुभ कामनाएं इस पुस्तक के लेखन के प्रति बधाई ,

स्वतंत्र कुमार सक्सेना । ।