lowly in Hindi Detective stories by नंदलाल मणि त्रिपाठी books and stories PDF | ओछा

Featured Books
Categories
Share

ओछा



मिल्की यदा कदा कोई न कोई बहाना बनाकर एव उचित अवसर निकाल ही लेता सर्वप्रिया से मिलने का और जब भी जाता कुछ न कुछ सर्वप्रिया के लिए अवश्य ले जाता कभी कपड़े कभी मिठाई या जो सर्वप्रिया को पसंद हो सर्वप्रिया को पहले तो मिल्की का इस तरह मेडिकल कॉलेज आना मिलना तरह तरह के तोहफे देना बड़ा अजीब लगा वह स्वंय यह समझने की कोशिश करने लगी कि वास्तव में मिल्की सिंह की नियत नेक है या किसी दूरगामी योजना अंतर्गत वह मेल जोल बढ़ा रहा है । 
इतना आभास तो सर्वप्रिया को था ही कि वह जमींदार जट कि बेटी है एव स्वंय भी अच्छे भविष्य की तरफ अग्रसर है सभी संभावित पहलुओं पर विचार करने के बाद सी बी एस स्वामीनाथन कि चेतावनी पर गंभीरता पूर्वक विचार करने के बाद वह किसी भी ठोस नतीजे पर नही पहुंच पा रही थी इस बीच मिल्की सिंह का आना जाना और तोहफे लाने का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा था वह जब भी आता इतनी विनम्रता से भाई जैसा आचरण करता कि सगा भाई भी वैसा नही कर सकता लेकिन मिल्की कि मेहबानी और मेहरबान होने के संदर्भ में सर्वप्रिया ने बहुत चिंतित भी थी कि आखिर बात क्या है ?
अचानक सर्वप्रिया ने सोचा कि मम्मी पापा से मिले बहुत दिन हो चुके है क्यो न कुछ दिनों के लिए खंडवा अपने गांव हस्तिनापुर पुर चली जाए मम्मी पापा से मुलाकात भी हो जाएगी और शक्ति एव शार्दूल भाईयों से मुलाकात करके मिल्की कि सच्चाई कि जानकारी प्राप्त कर लेगी ।

सर्वप्रिया ने मेडिकल कालेज से अवकाश के लिए आवेदन किया और आसानी से उसे सप्ताह भर कि छुट्टी मिल गयी छुट्टी में आने से पहले उसने अपने मम्मी डैडी को अपने गांव आने की बात बता दी थी विजयेंद्र सिंह और पल्लवी बेटी कि बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे थे ।
सर्वप्रिया गांव खंडवा हस्तिनापुर पहुंची माँ पल्लवी पिता विजयेंद्र बेटी के आने से बहुत खुश थे उन्हें इसी बात कि खुशी थी कि कुछ दिन बेटी के साथ रहने का अवसर उन्हें मिलेगा 
तीन व्यक्तियों के परिवार को जैसे तीनो लोक मिल गए हो माँ पल्लवी बेटी के लिए नित नए नए पकवान बनाती पिता गांव इलाके में जो भी खास उपज थी फल आदि मंगवाते बेटी को बताते देख बेटी यह अपने माटी कि खास उपज है सर्वप्रिया कि छुट्टियां गांव में बड़े मजे से बीत रही थी।
एका एक एक दिन जब उसके मम्मी पापा बैठे हुए थे तभी सर्वप्रिया ने मिल्की सिंह से मुलाकात एव उसके द्वारा बढाई जा रही घनिष्ठता निकटता का जिक्र कर ही दिया पिता विजयेंद्र सिंह ने कहा कि बेटी ऐसे वैसे लोंगो से सतर्क रहना चाहिए दिल्ली है पता नही कब गिरगिट कि तरह रंग बदल दे माँ पल्लवी ने भी सर्वप्रिया को यही नसीहत दिया कि वह सतर्क रहें एक तो वह लड़की है दूसरी जमींदार परिवार की इकलौती बेटी किसकी नियत कैसी है पता ही नही चलता जब बाप बेटी और माँ में वार्ता चल ही रही थी ठीक उसी वक्त शक्ति सिंह एव शार्दूल एक साथ पहुंचे बड़ी नम्रतापूर्वक छोटे चाचा विजयेंद्र एव पल्लवी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया और सर्वप्रिया कि तरफ मुखातिब होकर बोले छुटकी तू कब आयी छुटकी इसलिए कि तू हम दोनों से छोटी जो है जोगेश्वरी का मिल्की सिंह तुम्हारी तारीफ करते नही थकता है।

चचेरे भाईयों के मुंह से मिल्की के विषय मे सुनकर सर्वप्रिया को कम से कम यह तो यकीन हो गया कि मिल्की सिंह से उसके चचेरे भाईयों का सम्बंध ही नही गहरा रिश्ता है ।

विजयेन्द्र सिंह बोले बेटे ये बताओ मिल्की किस तरह का आदमी है शार्दूल और शक्ति एक साथ बोल उठे बहुत अच्छा आदमी है आप उसके पिता अश्वमेध सिंह को जानते है विजयेंद्र सिंह बोले जाट मुखिया अश्वमेध सिंह का बेटा है मिल्की शक्ति बोला हां चाचा विजयेंद्र सिंह बेटी सर्वप्रिया कि ओर मुखातिब होते हुए बोले फिर तो बेटी बहुत चिंतित रहने घबराने कि आवश्यकता नही है अश्वमेध सिंह हमारे समाज के मुखिया है उनका समाज मे बड़ा मान नाम है वो पास के ही गांव जोगेश्वरी के रहने वाले है ।

शक्ति शार्दूल के जाने के बाद माँ पल्लवी ने बेटी सर्वप्रिया को आगाह करते हुए कहा बेटी जमाना बहुत खराब है सम्बंध रिश्ते ही आज के जमाने मे धोखा फरेब और विश्वास घात करते है वैसे भी शक्ति शार्दूल अपने बाप तुम्हारे चाचा कर्मवीर के लिये आए दिन समस्या सरदर्द खड़ी करते रहते है तो तुम्हे कैसे बक्स सकते है बहुत सम्भव है मिल्की शक्ति और शार्दूल एक ही मिट्टी का बने हो ? 

वैसे भी जब तू पैदा हुई थी तब पण्डित दिग्विजय शर्मा ने बताया था कि तुम्हे जीवन मे बहुत संघर्ष करना होगा अब तक तो पण्डित जी कि वाणी सत्य नही हुई सम्भव है
अब सत्य हो और कारण यही तुम्हारे चचेरे भाई शक्ति एव शार्दूल सिंह हो विजयेंद्र सिंह ने पत्नी से कहा भाग्यवान तुम कम से कम सर्वप्रिया के मन मस्तिष्क में कोई ऐसे विचारों को जन्म देने का विजारोपण ना करो जिससे कि उसके मन मे कुल खानदान के प्रति ही घृणा जन्म ले ले 
माँ पल्लवी ने कहा बेटा सर्वप्रिया तुम्हारे पापा तो सतयुग के सांचे के इंसान है तब द्वापर के महाभारत का हस्तिनापुर भी नही था अतः तुम वर्तमान कलयुग के काल पल प्रहर के समाज सच्चाई को समझ एव सतर्क रहो ईश्वर जो भी करेगा सही करेगा।

धीरे धीरे सप्ताह कि छुट्टियां समाप्त हो गयी और सर्वप्रिया कॉलेज लौट गई 
इधर शक्ति शार्दूल ने मित्र मिल्की को सर्वप्रिया के गांव आने और उसकी चर्चा करने कि बात बताकर भावी योजनाओं पर आगे बढ़ने से पहले फूंक फूंक कर कदम रखने के लिए आगाह कर दिया मिल्की सतर्क होकर निर्धारित उद्देश्य के लिए कार्य करने लगा ।
सर्वप्रिया भी अपने अध्ययन मे पूर्ववत गंभीरता से लग गयी धीरे धीरे समय बीतता चला गया कब एम बी बी एस एम एस एव उच्च शिक्षा पूर्ण हो गयी वह भी एक ही परिसर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में अब सर्वप्रिया अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान कि चिकित्सक थी वह नियमित अपने वार्ड का दौरा करती अपने मरीजों का बड़े संवेदना विनम्रता पूर्वक चिकित्सा करती बहुत कम समय मे सर्वप्रिया अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एव बाहर से चिकित्सा हेतु आने वालो के बीच चर्चित एव नामानुसार सबकी प्रिय चिकित्सक हो बन गयी ।

इधर विजयेंद्र सिंह ने पुत्री के लिए योग्य वर कि जोर शोर से तलाश शुरू कर दी आई ए एस ,आई पी एस बड़े व्यवसायी बड़े रसूख वाले जाट समुदाय के परिवारों के होनहार लड़को का बायोडाटा एकत्र करने लगे राजनीतिक हस्ती मंत्री आदि जो भी जाट समाज मे उच्च कुलीन एव संभ्रांत थे और जिनके परिवार में सर्वप्रिया के योग्य वर थे सबके यहां से लड़को का वायो डाटा एव जन्मपत्री मंगवाया और कुलपुरोहि पण्डित दिग्विजय शर्मा से जन्म पत्री का मिलान करते पत्नी से विचार विमर्श करते और पुत्री सर्वप्रिया के पास विवाह योग्य उचित वर का प्रस्ताव भेजते यही क्रम चल रहा था ।

मिल्की सिंह ने शक्ति और शार्दूल एव श्रद्धा कि योजनाओं के अनुसार सर्वप्रिया के लौटने के बाद उससे मिलना जुलना उपहार आदि ले जाना बहुत कम लगभग बंद ही कर दिया था सर्वप्रिया भी निश्चिन्त हो गयी लेकिन मिल्की सिंह ने अपनी भावी योजनाओं पर बहुत तेजी से काम करना शुरू किया और सर्वप्रिया का नकली पासपोर्ट बीजा बनवा लिया और उचित समय कि प्रतीक्षा करने लगा और लगभग प्रतिदिन सर्वप्रिया के मरीजों के भीड़ के बीच किसी न किसी व्यक्ति को भेजता और सर्वप्रिया कि प्रत्येक गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रहा था।

इसी बीच दिल्ली में चिकित्सकों का अंतराष्ट्रीय दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन होने वाला था जिसमे सर्वप्रिया भी भाग लेने वाली थी मिल्की को यही उचित अवसर लगा उसने बहुत खतरनाक योजना पर काम करना शुरू कर दिया जिस पर किसी को दूर दूर तक संदेह न हो पासपोर्ट और बीजा पहले ही बनवा रखा था मिल्की ने कुछ खतरनाक ऐसे व्यक्तियों को साधा जिनके संबंध अंतरराष्ट्रीय आपराधिक जगत तक गहराई से फैले हुए थे एवं अंतरराष्ट्रीय उग्रवादियों संगठनों तक उनकी पहुंच थी मिल्की ने सैकड़ो कि संख्या में अलग अलग जाली नामो से मोबाइल सिम खरीदे और अपने उद्देश्य को अंजाम देने के खतरनाक इरादे पर कार्य करने लगा ।

मौका भी उसने तलाश लिया और शार्दूल एव शक्ति से डील भी कर लिया डील के अनुसार सर्वप्रिया को ठिकाने लगाने के बाद विजयेंद्र सिंह की पूरी सम्पत्ति आधी आधी मिल्की और शार्दूल शक्ति सिंह के बीच मे बटनी थी।
इस डील कि जानकारी सिर्फ शक्ति शार्दूल एव श्रद्धा को ही थी कर्मवीर सिंह को भनक तक नही थी ।

जिस दिन दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय हृदय रोग विशेषज्ञों का दो दिवसीय सम्मेलन शुरू होने वाला था सर्वप्रिया अपनी कार से सम्मेलन में सम्मिलित होने के लिए ठीक साढ़े नौ बजे निकली ज्यो ही वह कुछ दूर गयी सामने से आती कार ने उसकी कार को जान बूझ कर ऐसी टक्कर मारी कि ज्यादा नुकसान न हो और सर्वप्रिया सिर्फ कार रोक कर बाहर निकल आए निर्धारित योजना के अनुसार टक्कर लगने के उपरांत ज्यो ही सर्वप्रिया अपनी कार को रोककर नीचे उतरी आस पास दूसरी महंगी गाड़ियों में बैठे इन्तज़ार कर रहे कुछ लोग एकत्र हो गए सर्वप्रिया और उसकी कार को टक्कर मारने वाले से सर्वप्रिया का बात विवाद चल ही रहा था कि पीछे से किसी अनजान ने सर्वप्रिया को एक काले चोंगे से ढक लिया और तीन चार लोंगो ने उसे जबरन दूसरी गाड़ी में बैठा लिया दिल्ली के भीड़ भाड़ वाले इलाके में सभी ने इस घटना को देखा किसी ने भी ना तो गाड़ी का नंबर नोट किया ना ही किसी के हुलिया पर ध्यान दिया कुछ ही पल में सर्वप्रिया के अपहरण कि खबर पूरे देश मे आग कि तरह फैल गयी और सर्वप्रिया के पिता विजयेंद्र को भी बेटी के अपहरण कि जानकारी मिल गयी उनके और पत्नी पल्लवी पर आफत का जैसे पहाड़ ही टूट पड़ा आस पास एव गांव वाले संवेदना के लिए आने जाने लगे सर्वप्रिया कि माँ पल्लवी तो सूचना पाते ही अचेतन अवस्था मे चली गयी भाई कर्मवीर तो निर्विकार भाई के परिवार पर आए आफत पर दुःखी थे एव भाई के साथ कदम कदम पर साथ खड़े थे लेकिन श्रद्धा शार्दूल एव शक्ति सारी घटना के सूत्रधार सच्चाई को जानते हुए भी घड़ियाली आंसू बहाए जा रहे थे । 
जब अंतराष्ट्रीय चिकित्सको के सम्मेलन में सर्वप्रिया के अपहरण कि 
जानकारी मिली तो आनन फानन सम्मेलन रद्द कर दिया गया और दिल्ली के चिकित्सक सर्वप्रिया के शीघ्रता शीघ्र शकुसल वापस लाने के
लिए धरना प्रदर्शन रैली निकालने लगे
जिससे कि केंद्रीय एव दिल्ली राज्य 
सरकारो के लिए सर्वप्रिया अपहरण 
गले की हड्डी बन गयी सम्मेलन में अन्य देशों के चिकित्सकों के आने के 
कारण सर्वप्रिया अपहरण कांड से अंतराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी का भय भी सरकारी तंत्र को था अतः समूचा
तंत्र सर्वप्रिया को खोजने में जुट गया ।

 विजयेंद्र सिंह ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर को फोन किया जो कुछ ही देर में पहुंच गए डॉ अलंकार शर्मा ने पल्लवी की गहन जांच करने के उपरांत बताया कि पल्लवी को गम्भीर हृदयाघात हुआ है और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के लिए रेफर कर दिया था हस्तिनापुर से दिल्ली बहुत दूर स्थित नही है सर्वप्रिया तो सिर्फ गांव के वातावरण से दूर अपनी शिक्षा के लिए गांव बहुत कम आती थी ।

कर्मवीर सिंह भाई विजयेंद्र पल्लवी को लेकर दिल्ली रवाना हुए और कुछ समय मे ही अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान पहुंच गए।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में पल्लवी की चिकित्सा शुरू हो गयी इधर देश का सारा मीडिया उच्चस्तरीय अपहरण कि खबरे अपने अनुसार प्रसारित कर रहे थे पुलिस एव खुफिया विभाग के लिए सर्वप्रिया का अपहरण एक चुनौती बन गयी। 

सर्वप्रिया कार में बैठे उन लोंगो का विरोध करती रही जब तक वह चेतन अवस्था मे थी जब अपहरणकर्ताओं को लगा की उनका भांडा कभी भी फुट सकता है तब उन्होंने सर्वप्रिया को बेहोश कर दिया जब सर्वप्रिया अचेत हो गयी तब उसे एक गाड़ी से दूसरी गाड़ी तीसरी गाड़ी चौथी गाड़ी गाड़ी दर गाड़ी बदलते कश्मीर होते हुए पाक अधिकृत कश्मीर पहुंचे हर बॉर्डर हर चेक पोस्ट पर एलर्ट जारी होने के कारण गहन चेंकिंग जांच चल रही थी लेकिन किसी को भी सर्वप्रिया नही मिली अपहरण कर्ता सर्वप्रिया को लेकर पाक अधिकृत कश्मीर से अफगानिस्तान ईरान आदि होते हुए काबुल कंधार के रास्ते इधर उधर घुमाते रहे ।


भारतीय पुलिस खुफिया विभाग कि मुश्तैदी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सर्वप्रिया के अपहरण को लेकर शक्ति थी हर देश मे अपहरण कर्ताओं के लिए मुश्किल हो रही थी जब भी सर्वप्रिया चेतन अवस्था मे आती तुरंत उसे बेहोशी का इंजेक्शन देकर बेहोश कर देते इस तरह लगभग बीस पच्चीस दिन बीत गए
अपहरणकर्ता कही भी एक दिन से अधिक नही रुकते इधर पल्लवी कि चिकित्सा कर रहे चिकित्सको ने बहुत जल्दी ही पल्लवी के बिगड़ते हालात पर काबू पा लिया विजयेंद्र सिंह और कर्मबीर अपने राजनीतिक संबंधों से सर्वप्रिया कि तलाश कि गुहार लगाते दोनों को उन्हें अपने राजनीतिक सम्बन्धो कि वास्तविकता कि पोल तब पता लगी जब वे बेटी के लिए उनके पास गुहार लेकर जाते और जबाब मिलता सवा सौ करोड़ का देश है देश के बिभिन्न क्षेत्रो में आए दिन एक से बढ़ कर एक घटनाएं घटित होती रहती है किस किस के लिए हम लोग व्यक्तिगत प्रयास करे ये वही राजनेता राजनीतिक थे जिनके स्वागत चुनाव प्रचार में करोड़ो रूपये विजयेंद्र फूंक देते थे विजयेंद्र सिंह इस प्रकार कि बाते सुनकर भारतीय राजनीति कि सच्चाई का एहसास तो हो गया लेकिन वो कर भी क्या सकते थे उन्हें तो सिर्फ सर्वप्रिया कि चिंता थी जो उनकी शोहरत दौलत से बढ़ कर थी

रोते बिलखते दिन बीतते जा रहे थे धीरे धीरे पल्लवी स्वस्थ हो गयी और डेढ़ माह का समय बीत गया विजयेंद्र पल्लवी को लेकर ज्यो ही अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान से गांव हस्तिनापुर खंडवा कि ओर चलने को हुये तभी एक जैन सन्यासी ने विजयेंद्र को इशारे से बुलाया जब विजयेंद्र जैन सन्यासी से मिलने के लिए आगे बढ़े तो कर्मवीर भी साथ चलने लगे जैन सन्यासी ने कर्मवीर को मना कर दिया विजयेंद्र जब जैन सन्यासी के पास गए तब उस तेजस्वी सन्यासी ने उनके कंधे पर हाथ रखते हुए सिर्फ इतना ही कहा सत्रह अर्थात मूलांक आठ और तुम किसी से कोई बात नही करोगे चाहे तुम्हारी पत्नी ही क्यो न हो विजयेंद्र खुद बहुत परेशान थे उन्हें समझ मे ही नही आया कि जैन सन्यासी कहना क्या चाहते है ? 
फिर जैन सन्यासी ने कहा कि कार्तिक माह शुक्ल पक्ष द्वीतिया तुम्हारे पुनः उदय एव पुत्री के मार्ग का प्रकाश है चिंता विल्कुल मत करो और मेरी बातों पर गंभीरता से आचरण करो।

विजयेंद्र कर्मबीर और पल्लवी खंडवा हस्तिनापुर पुर गांव लौट आए और विजयेंद्र ने अपने आपको एक कमरे में बंद कर लिया जिसमे पल्लवी भी रहती खाना बनाने वाले आते और कमरे में खाना देकर चले जाते विजयेंद्र ने घर के बाहर सभी कारिंदो को हिदायत दे रखी थी कि कोई भी आए पुलिस खूफिया या रिश्तेदार नातेदार या कितना भी बड़ा आदमी किसी से नही मिलेंगे ना ही कोई बात करेंगे और उन्होंने मुंह पर जैन सन्यासी कि तरह मास्क बांध लिया
इसका परिणाम यह हुआ कि श्रद्धा शक्ति शार्दूल को विश्वास हो गया कि विजयेंद्र सिंह ने मान लिया है कि उनकी बेटी सर्वप्रिया अब नही लौटेगी जिसके कारण उनकी हिम्मत और बढ़ गयी और मिल्की से मिलकर सर्वप्रिया को ठिकाने लगाने की योजना पर कार्य करने लगे भारतीय खुफिया तंत्र ने खंडवा और आस पास के गांवों में जितने भी मोबाइल थे उनकी किससे किसकी बात होती है को प्रति दिन रिकार्ड इस विश्वास के साथ करने लगे की विजयेंद्र सिंह बहुत बड़े आदमी है और सम्भव है किसी ने उनकी दौलत के लालच में ही उन्ही के किसी रिश्ते नाते ने इस घटना को अंजाम दिया हो पुलिस इस दृष्टिकोण से आधे अधूरे मन से कार्य कर रही थी सारी सुरक्षा व्यवस्था तो सर्वप्रिया अपहरण कांड को हाईप्रोफाइल घटना मानकर अपने अनुसार जाचं में जुटी थी ।

शक्ति शार्दूल प्रति दिन मिल्की से बात करते और कोड वर्ड में सर्वप्रिया कि लोकेशन लेते लेकिन प्रतिदिन नए सिम से बात हो रही थी लेकिन लोकेशन खंडवा और दिल्ली का ही होता।
इधर अपहरणकर्ता सर्वप्रिया को लेकर इधर उधर घूमते रहे कभी बेल्जियम कभी सीरिया रूस जर्मनी वो सिर्फ मिल्की के संकेत का इंतज़ार कर रहे थे अपहरणकर्ताओं ने इस दौरान सर्वप्रिया को थर्ड डिग्री तक टार्चर किया लोहे की सलाखों से जलाया सिर्फ एक काम नही किया अपहरणकर्ताओं ने सर्वप्रिया का बलात्कार नही किया यह निर्देश शार्दूल शक्ति और मिल्की का था लेकिन चार पांच महीनों में चुलबुली खूबसूरत सबकी प्रिय सर्वप्रिया हड्डी का ढांचा मात्र रह गयी थी जब भी वह होश में आती उसे बेहोशी का इंजेक्शन लगा देते ।

इधर विजयेंद्र सिंह द्वारा मौन धारण कर लेने से श्रद्धा शार्दूल एव शक्ति ने मान लिया था कि विजयेंद्र सिंह टूट कर विखर चुके है और कुछ भी कर सकने में असमर्थ है ।

कर्मबीर सिंह को पत्नी और बेटों के संदिग्घ आचरण पर संदेह हुआ उन्होंने ने गुप्त पत्र पुलिस प्रमुख को भेज सर्वप्रिया अपहरण कि जांच खंडवा और जोगेश्वरी से भी करने का अनुरोध किया था।