सुबह की हल्की धूप कमरे में फैल रही थी। अद्विक रसोई में बैठा था, हाथ में ताजा कटे आम के टुकड़े थे। उसने पहला टुकड़ा मुँह में डाला—और अचानक उसके मन में एक अजीब सा अहसास दौड़ गया।“ये… ये तो मैंने पहले भी खाया है,” उसने धीरे से कहा।हवा की हल्की सरसराहट, सूरज की रोशनी, आम का मीठा स्वाद—सब कुछ उसे पहले की तरह महसूस हुआ। अद्विक ने पल भर अपने हाथों को टुकड़ों पर टिका कर देखा, मानो यह वास्तविकता की जाँच कर रहा हो।माँ ने मुस्कुराते हुए कहा,“अद्विक, तुझसे बड़ी गंभीरता वाला चेहरा पहले भी देखा है—शायद आम खाने का गुस्सा?”अद्विक ने आँख मटकाई और बोला,“नहीं माँ, यह बस… अजीब सा अहसास है।”माँ ने हँसते हुए कहा,“ठीक है बेटा, पर अगली बार आम खाते समय सुपरपावर मत दिखा देना।”अद्विक ने हल्का सा सिर हिलाया और सोचा, “माँ को समझाऊँ तो कैसे? मैं भी समझ नहीं पा रहा कि यह अनुभव क्या है। यह déjà vu है, वही अजीब सी भावना जब लगता है कि जो कुछ अभी हो रहा है, वह पहले भी हो चुका है। लेकिन यह सिर्फ आम खाने तक क्यों सीमित है?”उसने देखा कि उसके साथ ही उसके छोटे कुत्ते मिताई की तरह उछल रहे थे। हर उछाल उसके déjà vu को और भी जीवंत बना रहा था। अद्विक हँसा, “क्या कुत्ते भी मेरे déjà vu में फँस गए हैं?”स्कूल जाने की तैयारी में उसने बैग उठाया और दरवाजे की ओर बढ़ा। रास्ते में हवा हल्की ठंडी थी, और पेड़ों की छाया जमीन पर नाच रही थी। जैसे ही वह सड़क के मोड़ पर पहुँचा, उसे पहली बार ऐसा महसूस हुआ कि यह मोड़ उसने पहले भी देखा है।“बस नहीं, यह तो सच में… पहले भी हुआ लगता है,” अद्विक ने धीमे स्वर में कहा।वह सावधानी से कदम बढ़ा रहा था। हवा में अचानक किताब उछली—और वही हुआ जो उसके दिमाग में पहले से देखा था—किताब जमीन पर गिरती है, और पास खड़ा लड़का उसे उठाता है।लड़का हँसते हुए बोला, “लगता है तुम्हारी किताब भी déjà vu में फँस गई है!”अद्विक ने गुस्से में किताब उठाई और मन ही मन सोचा, “यह मजाक नहीं, यह चेतावनी लगती है।”स्कूल में पहुँचते ही अद्विक ने अपनी टेबल पर पुराना, स्याह रंग का लिफाफ़ा देखा। नाम नहीं था, केवल एक संदेश लिखा था:“जो कुछ तुम्हें पहले भी महसूस हुआ, वह सिर्फ शुरुआत है।”अद्विक ने लिफाफ़ा खोला। अंदर एक अजीब नक्शा और रहस्यमय प्रतीक थे। उसने सोचा, “कौन भेजा यह लिफाफ़ा? और क्यों?”मजाक में उसने खुद से कहा, “शायद कोई सुपरहीरो फैन… या रहस्यमय जादूगर।”लेकिन दिल के अंदर उसे पता था कि यह साधारण मजाक नहीं है। कुछ तो है, जो उसके अनुभव को बड़ा और गंभीर बना रहा है।स्कूल से लौटते समय, अद्विक ने देखा कि एक अजीब छाया उसके पीछे चल रही थी।ठीक उसी समय जैसी उसने déjà vu में महसूस की थी। उसकी धड़कन तेज हो गई।“सच में, अब यह मजाक नहीं लग रहा!” उसने धीरे से कहा।लेकिन तभी उसके पैरों में कुत्ता घुस गया और अद्विक गिर पड़ा।“अरे यार! यह कुत्ता भी déjà vu में आ गया क्या?”माँ हँसते हुए बाहर आई और बोली, “लगता है तेरा दिन बड़ा रोमांचक और मजेदार रहने वाला है।”अद्विक ने खुद से कहा, “ये सिर्फ शुरुआत है… और मेरी जिंदगी अब पहले जैसी नहीं रहेगी।”वह धीरे-धीरे सोचने लगा। कभी-कभी déjà vu केवल मन की भूल होती है, लेकिन कभी-कभी यह भविष्य की झलक, चेतावनी या संकेत भी होती है। और अगर यही संकेत सचमुच उसके जीवन को बदलने वाला है, तो उसे समझना होगा कि उसे कहाँ सावधान रहना है और कहाँ कदम बढ़ाना है।उसने अपने बैग को फिर से संभाला और सोचा कि कल स्कूल में क्या होगा, कौन उसके अनुभव को समझेगा और कौन नहीं। हर चीज़ अब अचानक रहस्यमय और रोमांचक लगने लगी।रास्ते की हल्की ठंडी हवा में, अद्विक ने महसूस किया कि इस déjà vu में छिपा रहस्य उसके जीवन को पूरी तरह बदल सकता है।क्या वह तैयार था? शायद नहीं। लेकिन एक बात निश्चित थी—उसकी जिंदगी अब पहले जैसी नहीं रहेगी।
Written by- vikas kala