The story of the mansion in Hindi Horror Stories by Raju kumar Chaudhary books and stories PDF | हवेली की दास्तान

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हवेली की दास्तान


👻 हवेली की दास्तान


शहर से बहुत दूर, पहाड़ों और घने जंगलों के बीच एक गाँव बसा था – रामगढ़। गाँव शांत था, लोग मेहनती थे, लेकिन उस गाँव के पास एक काली हवेली थी। लोग कहते थे, उस हवेली में कोई इंसान नहीं रहता, सिर्फ़ परछाइयाँ और चीखें रहती हैं। सूरज ढलते ही उस ओर कोई जाने की हिम्मत नहीं करता था।


कहा जाता था कि हवेली के सौ साल पहले के मालिक ठाकुर रणवीर सिंह की पत्नी – रूपा – को ज़िंदा दीवारों में चुन दिया गया था। वजह कोई नहीं जानता था, लेकिन उसकी आत्मा हवेली में भटकती रही। जो भी वहाँ गया, या तो कभी वापस नहीं लौटा, या फिर लौटकर पागल हो गया।




🔦 चार दोस्तों का साहस


रामगढ़ में पढ़ाई करने आए चार दोस्त – राहुल, आदित्य, सीमा और कविता – इस हवेली की कहानी सुन चुके थे। कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए उन्होंने “Haunted Places of India” पर रिसर्च करनी थी। सबने सोचा कि हवेली को अपनी रिसर्च का हिस्सा बनाएँ।


गाँववालों ने मना किया –

"बेटा, रात को वहाँ मत जाना… वहाँ से कोई नहीं लौटता।"


लेकिन चारों दोस्तों ने हँसते हुए कहा,

"ये सब अंधविश्वास है।"


एक रात, टॉर्च और कैमरा लेकर वे हवेली पहुँचे।




🏚️ हवेली के भीतर


हवेली का दरवाज़ा चर्र-चर्र की आवाज़ के साथ खुला। अंदर सन्नाटा पसरा था। दीवारों पर मकड़ी के जाले, टूटी खिड़कियाँ, और फर्श पर जमी धूल। लेकिन उस सन्नाटे में भी सबको लगा जैसे कोई उनकी साँसें सुन रहा हो।


सीमा ने कहा,

"मुझे लग रहा है कोई हमें देख रहा है।"


आदित्य हँसते हुए बोला,

"अरे डरपोक मत बनो। ये सब हमारा वहम है।"


वे हवेली के बीचोंबीच बने बड़े कमरे में पहुँचे। वहाँ एक पुरानी लकड़ी की अलमारी थी। अलमारी के अंदर उन्हें एक काली डायरी मिली।



📖 डरावनी डायरी


राहुल ने धूल साफ़ करके डायरी खोली। उसमें लिखा था:


"मैं रूपा… ठाकुर रणवीर सिंह की पत्नी। मुझे धोखा दिया गया, ज़िंदा दीवारों में चुन दिया गया। मेरा खून इन दीवारों में बहता है। जो भी मेरी चीखें सुन लेता है, वो कभी इस हवेली से बाहर नहीं निकल पाता। जब तक कोई मेरी अधूरी कहानी पूरी नहीं करेगा, मैं हर आत्मा को यहाँ कैद कर लूँगी।"


इतना पढ़ते ही हवेली का दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया। तेज़ हवा चली, टॉर्च की रोशनी झपकने लगी।




👁️ प्रेतात्मा का आगमन


अचानक दीवार से खून टपकने लगा। सीमा चीख पड़ी। तभी वहाँ एक औरत का साया उभरा – सफ़ेद साड़ी, खुले बिखरे बाल, चेहरे पर काला घूँघट, और आँखें लाल जलती हुई।


वो धीरे-धीरे सीमा की ओर बढ़ी।


"तुम… मेरी दास्तान पढ़ चुके हो… अब तुम कभी नहीं जाओगे।"


सीमा डर से काँप रही थी। राहुल और कविता ने उसे पकड़कर भागना चाहा, लेकिन हवा इतनी तेज़ थी कि दरवाज़ा खुल ही नहीं रहा था।




💀 सीमा की चीख


प्रेतात्मा ने सीमा का हाथ पकड़ लिया। उसी क्षण पूरे कमरे में भयानक चीख गूँजी। रोशनी चली गई। जब टॉर्च दोबारा जली, सीमा वहाँ नहीं थी – बस उसकी टूटी चूड़ियाँ और खून के धब्बे पड़े थे।


राहुल, आदित्य और कविता ने किसी तरह ज़ोर लगाकर दरवाज़ा खोला और हवेली से बाहर भागे। जैसे ही बाहर पहुँचे, दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया।




🌑 आज तक का रहस्य


तीनों किसी तरह गाँव लौटे। उन्होंने सबको सच बताया, लेकिन कोई उनकी बात पर यक़ीन नहीं करता। गाँववाले कहते हैं, सीमा अब हवेली का हिस्सा बन चुकी है।


रात को हवेली के अंदर से आज भी हँसी और चीखें सुनाई देती हैं – कभी रूपा की, कभी सीमा की।


जो भी वहाँ जाता है, वह हवेली की दीवारों में समा जाता है।

हवेली अब सिर्फ़ खंडहर नहीं, बल्कि आत्माओं की जेल बन चुकी है।




😨

यह थी हवेली की दास्तान… एक ऐसी जगह जहाँ कदम रखते ही इंसान ज़िंदा नहीं लौटता।