chopke chopke....ek Khamosh love - 2 in Hindi Love Stories by kajal Thakur books and stories PDF | चुपके चुपके… एक खामोश प्यार - 2

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चुपके चुपके… एक खामोश प्यार - 2

🌸 Part 3 – इज़हार की घड़ी

एक दिन कॉलेज के गार्डन में अचानक बारिश शुरू हो गई।सब लोग भागने लगे, पर गौतम और लक्षिता वहीं रुक गए।बरसात की बूंदें उन दोनों पर गिर रही थीं, और दिल की खामोशियाँ चीख-चीख कर कह रही थीं कि अब वक्त आ गया है।

गौतम ने हिम्मत जुटाई और धीमे स्वर में बोला –"लक्षिता, शायद मैं शब्दों में अच्छा नहीं… पर जो एहसास है, वो सच्चा है। मैं तुम्हें चाहता हूँ, बहुत चाहता हूँ।"

लक्षिता ने मुस्कुराते हुए उसकी आँखों में देखा और जवाब दिया –"मैं भी… बरसों से यही सुनना चाहती थी, गौतम।"

बरसात में भीगी उस घड़ी में, उनकी खामोश मोहब्बत ने पहली बार आवाज़ पाई।अब उनका प्यार छुपा नहीं… बल्कि खुलकर जीने वाला था।

🌸 Part 4 – नया सफ़र

अब जब दोनों ने अपने दिल की बात कह दी थी, तो उनकी दुनिया ही बदल गई थी।कॉलेज की वही गलियाँ, वही क्लासरूम, वही लाइब्रेरी… अब हर जगह में मिठास भर गई थी।

लक्षिता पहले से ज़्यादा खिलने लगी थी। उसकी मुस्कान अब और चमकदार थी, क्योंकि उसे पता था कि अब वो अकेली नहीं है।गौतम भी, जो पहले किताबों में खोया रहता था, अब हर पन्ने पर लक्षिता का नाम ढूँढता।

छोटे-छोटे लम्हों में उनका प्यार परवान चढ़ने लगा।कभी गौतम लक्षिता को घर छोड़ने जाता, कभी दोनों कैंटीन में एक कॉफ़ी शेयर कर लेते।और सबसे प्यारी बात—उनकी खामोशियाँ अब भी उतनी ही गहरी थीं।अब चुप रहना भी उन्हें प्यारा लगता था, क्योंकि वो जानते थे कि बिना कहे भी दिल सब समझ लेता है।

लेकिन… हर मोहब्बत के सफ़र में इम्तिहान भी आते हैं।लक्षिता के घरवाले उसकी पढ़ाई पूरी करके उसकी शादी की बात करने लगे।उधर गौतम का सपना था कि वो पहले कुछ बड़ा बने, अपने पैरों पर खड़ा हो।

अब उनके सामने सवाल था—"क्या उनका ये खामोश प्यार, दुनिया की आवाज़ों को सह पाएगा?"


🌸 Part 5 – इम्तिहान का मोड़

लक्षिता के घर में अचानक शादी की बातें तेज़ होने लगीं।उसके पापा ने साफ़ कहा –"पढ़ाई के बाद अब हमें तेरे लिए अच्छा रिश्ता देखना होगा।"

लक्षिता का दिल काँप गया।उसने हिम्मत करके धीमे स्वर में कहा –"पापा… अभी तो मेरी पढ़ाई पूरी भी नहीं हुई, और… मैं शादी के लिए तैयार नहीं हूँ।"

लेकिन घरवालों के सामने उसकी आवाज़ बहुत छोटी पड़ गई।

उधर गौतम भी बेचैन था।वो जानता था कि अगर उसने अभी कुछ नहीं किया, तो शायद लक्षिता हमेशा के लिए उससे दूर हो जाएगी।

उस रात गौतम ने लक्षिता को कॉल किया।फोन पर उसकी आवाज़ में डर भी था और दृढ़ता भी –"लक्षिता, अगर तुम चाहो तो मैं अभी आकर तुम्हारे घरवालों से बात करूँ। लेकिन मैं चाहता हूँ कि पहले अपने सपनों को पूरा करूँ, ताकि तुम्हें वो ज़िंदगी दे सकूँ जिसकी तुम हक़दार हो।"

लक्षिता ने आँखों में आँसू भरकर कहा –"गौतम, मुझे तुम्हारे सपनों पर भरोसा है। मैं हर हाल में तुम्हारा इंतज़ार करूँगी।"

उन दोनों ने तय किया –वो अपने प्यार को जल्दीबाज़ी में नहीं, बल्कि मजबूती से जीएँगे।भले ही वक्त अलग कर दे, लेकिन दिल हमेशा साथ रहेंगे।

बारिश की उस पहली मुलाक़ात से शुरू हुआ उनका खामोश प्यार, अब हिम्मत और इंतज़ार की दास्तां बनने वाला था।


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Kajal Thakur 😊