ताज़ा व्यंग्य -
अरजी ,गरजी और दरजी
यशवंत कोठारी
अरजी गरजी और दरजी एक साथ नेता जी के बंगले पर गए .नेता जी के लॉन में बड़ी भीड़ थी ,लाइन लगी थी.पीए,पीएस,बाबू, चपरासी गन – मेन,गार्ड सब व्यस्त थे.बाकि के लोग अन्दर घुसने के चक्कर में अस्त व्यस्त थे .
कुछ लोग अपनी अर्जी पर डिजायर लिखवाना चाहते थे ,कुछ अर्ज करना चाहते थे ,कुछ अपनी व पार्टी की गरज से मिलना चाहते थे .कुछ सयाने लोग केवल पेचअप काम से आये हुए थे ,वे दरजी थे उनके पास सुई भी थी और तलवार भी .कुल मिला कर नेताजी के बंगले की शान निराली थी .बंगले ने कई नेता देखे थे ,ऐसे हजारों अरजी , गरजी और दरजी आते जाते रहते थे लेकिन बंगले का भाग्य नहीं बदलता था .अन्दर प्रवेश के लिए हाथ में भरी अटेची का होना जरूरी था ,या फिर मीडिया के नाम से अन्दर घुसना आसान था कुछ यू ट्यूब चेनल के नाम से अन्दर घुस जाते थे ,बाद में उन्हें गार्ड बाहर का रास्ता दिखा देते थे .
मेरा कोई काम नहीं था केवल जग का मुजरा देखने के चक्कर में आया था ,ऐसे फालतू लोगों के लिए नेताजी अपना कीमती वक्त बर्बाद नहीं करते थे,लेकिन हिंदी लेखक को फ्री लांसर प्रिंट का पत्रकार मान कर अन्दर घुसने का मौका मिल जाता है .सभी नेता कवि -लेखक को पत्रकार ही समझते हैं .मैं भीअन्दर घुस गया .
अन्दर का माहोल गज़ब का था ,एक तरफ अरजी लेकर साहब की चिड़िया बैठाने को आतुर लोग जमा थे ,दूसरी और कुछ अफसर नुमा चमचे फाइलों को बगल में दबाये सावधान की मुद्रा में खड़े थे ,और तीसरी और कुछ ऐसे लोग हाथ जोड़ कर जमा थे जो अपने गुनाहों की माफ़ी चाहते थे ,साहब किसी और भी ध्यान नहीं दे रहे थे वे मोबइल पर हाई कमांड से बात करने में व्यस्त थे ,संविधान की चर्चा हवा में तैर रही थी.चुनाव आयोग और वोटर लिस्ट की गंध थी .
रेत माफिया के मुखिया की तरफ ध्यान जाने पर नेता जी ने पूछा –
क्या समस्या है –सर वो माइंस वाले और पुलिस बहुत परेशान कर रहे हैं ,आप कुछ करो नहीं तो वे ट्रेक्टर के नीचे मारें जायेंगे,
-अरे नहीं ऐसा म़त करो कुछ सेवा करो.
-सर वे इमानदार है खाते पीते भी नहीं है ,शबाब का शौक भी नहीं है बताए क्या करना है?
ठीक है उसे बर्फ में लगा देंगे .
जी! हुकम . घणी खम्मा .
और सुनो –जरा कानून की हद में काम करना सीखो.
सर कानून से ही काम होना है तो आप अगला चुनाव कैसे जीतेंगे ?
नेता जी चुप्पी साध गए .
तुम जाओ .अब नेताजी ने एक दरजी की और देखा व बोले-
तुम्हे कित्ती बार समझाया अपनों से बना कर चलो ,लेकिन तुम तो पढ़े लिखे मूर्खों जैसे हो ,तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता .जाओ फिर मेरे पास मत आना .
नेताजी का ध्यान अब एक गरजी कीऔर गया,उवाचे तुम अन्दर के कमरे में जाओ ब्रीफ केस मेम साब को दे दो और पिछले दरवाजे से निकल लो .
धीरे धीरे भीड़ छंटने लगी.
मुझे देख कर भी अनदेखा कर वे टॉयलेट में घुस गए .
बाहर भीड़ थी सार्वजनिक दर्शन का टाइम हो गया था ,नेता जी ने कपड़े बदले बाहर की और चल पड़े ,लेकिन तभी गज़ब हो गया एक मोबइल पर न्यूज़ गूंजी नेता जी से इस्तीफा मांग लिया गया है .सब गुड़ गोबर हो गया .
अरजी गरजी और दरजी नए नेताजी के नए बंगले की और चल दिए . बंगले पर उदासी छा गयी .नेताजी का सूरज अस्त हो गया था गरजी रोने लगा उसके दो खोके फंस गए थे ,लेकिन अरजी दरजी मस्त थे .नेता जी अस्त व्यस्त थे ,तिरंगा शान से लहरा रहा था .
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यशवन्त कोठारी ,701, golden fortune SB-5 ,भवानी सिंह रोड ,बापू नगर ,जयपुर -302015 मो.-94144612 07