यह कहानी पूरी तरह से स्वरचित और मौलिक है। कहानी पूरी तरह से काल्पनिक घटनाओं पर आधारित है। किसी विशेष घटना, स्थान, किरदार, जीवित या मृत किसी भी व्यक्ति से कहानी का कोई सम्बन्ध नहीं है। कहानी के कॉपी राइट्स लेखिका - कंचन सिंगला के पास सुरक्षित हैं। कॉपी राईट एक्ट का उलंघन करने की चेष्टा ना करें।
"कैसी हैं ये बारिशें
कुछ कुछ तुम सी हैं
कुछ कुछ मुझ सी हैं
ये बारिशें हमारी जैसी है ।"
एक जिसे चिढ़ है बारिशों से और एक वो जिसे मोहब्बत है बारिशों से। कैसी होगी इनकी कहानी। बारिशें कैसे मिलाएंगी इन्हे। यह तो कहानी पढ़ कर ही पता चलेगा।
एक जो बारिशों के मीठे संगीत की धुन से बना है और एक है जो अपनी ही धुन की पक्की है।
#अनिरुद्ध स्नेहा #
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उफ्फ!! ये बारिश आज फिर से शुरू हो गई। मां जल्दी करो मेरा लंच पैक कर दो मुझे निकलना है।
अरे ! बारिश में जाओगी तुम, रुक जाओ जब बन्द होगी तब जाना, तब तक अपना नाश्ता कर लो। अरे! नहीं मां टाइम नहीं है, निकलना ही होगा, आज एक जरूरी मीटिंग है।
कैसे जाओगी स्नेहा दी आप, हाथ में अखबार लिए गरिमा बोलती है। तुम चुप करके अपना अखबार पढ़ो और मुझे तंग मत करो।
ऐसे कैसे दी, आप नाश्ता कर लो, तब तक मैं आपको आपका आज का राशिफल सुनाती हूं।
मुझे इन सब में यकीन नहीं है, स्नेहा कहती है।
कोई बात नहीं, तब भी सुन लो, गरिमा कहती है।
वह पढ़ना शुरू करती है..... आज आप मिलने वाले हैं अपने किसी हमसफ़र से। आज का दिन आपके लिए रोज से अलग और खूबसूरत होने वाला है।
मां यह ऐसे ही परेशान करती रहेगी, बीच में ही गरिमा की बात काटते हुए स्नेहा कहती है, और आज का दिन तो खूबसूरत होने से रहा क्योंकि यह बारिश जो हो रही है, इसलिए यह जो भी तुम पढ़ रही हो, सब बकवास है।
मैं जा रही हूं मां। स्नेहा इतना बोलकर हाथो में छाता लिए बाहर निकल जाती है और बाहर जाकर अपनी बुक की हुई टैक्सी में बैठ जाती है।
बारिश धीरे धीरे तेज हो जाती है। बीच रास्ते में स्नेहा की कैब के आगे अचानक से कोई आ जाता है। ड्राइवर वक्त रहते ब्रेक लगा लेता है।
ब्रेक लगते ही स्नेहा घबरा कर कार से बाहर निकलती है हाथ में छाता पकड़े हुए। वह गाड़ी से टकराए व्यक्ति से पूछती है....आप ठीक हैं ? आपको चोट तो नहीं लगी ?
एक लड़का जो उसकी कार के सामने बैठा हुआ था अपने पैरों को पकड़े हुए। वह अपना सर उपर उठाता है और कहता है....बस मरने से बच गया, आपने तो मुझे उपर पहुंचाने का पूरा मन बना लिया था।
स्नेहा कहती है....यह क्या कह रहे हो आप, हमने आपको बचाया है, अगर ड्राइवर भैया वक्त रहते ब्रेक नहीं लगाते ना तो अब तक आप जरूर कहीं पहुंच चुके होते। गलती आपकी है, आपको ध्यान से सड़क पार करनी चाहिए थी।
वह लड़का कहता है, अजीब हैं आप, यहां हमे चोट लग गई है और आप हमे प्रवचन सुना रही हैं।
चलिए उठिए स्नेहा अपना हाथ आगे करते हुए कहती है।
वह लड़का स्नेहा के हाथ का सहारा लेकर उठ जाता है। वह लंगड़ा रहा था जिसे देखकर स्नेहा उसे लिफ्ट ऑफर करती है। वह, उसे सहारा देकर अपने साथ कार में बैठाती है।
स्नेहा ड्राइवर से कहती है...भैया किसी हॉस्पिटल की तरफ ले चलो।
जी मैडम, ड्राइवर कहता है।
वह लड़का कहता है...नहीं रहने दो मुझे अस्पताल नहीं जाना है। आप मुझे अस्पताल मत लेकर चलो, आप मुझे रिचर्ड मॉल के पास छोड़ देना, मैं वहीं से अपने फैमिली डॉक्टर के पास चला जाऊंगा।
स्नेहा एक नजर उसकी तरफ देखती है और ड्राइवर को चलने के लिए कह देती है। वह लड़का मन ही मन मुस्कुरा रहा था।
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