Pahli Mulakaat - 3 in Hindi Love Stories by Gaurav Pathak books and stories PDF | पहली मुलाकात - अध्याय 3

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पहली मुलाकात - अध्याय 3

अध्याय 3 – अनजाने रास्ते

तीसरा दिन मुकुंद के लिए कुछ अलग ही था। सुबह हॉस्टल की घंटी और गलियारों की चहल-पहल ने उसे जगा दिया। जल्दी तैयार होकर वह क्लास के लिए निकल पड़ा।

Lecture hall में प्रोफेसर ने अचानक test की घोषणा कर दी। सभी students हल्के से परेशान हो उठे। मुकुंद के लिए यह किसी challenge से कम नहीं था—गाँव से आए इस लड़के को अब यह साबित करना था कि वह इस नामी कॉलेज का हिस्सा बनने लायक है।

उसने पूरे ध्यान से प्रश्न हल किए। शुरुआत में nervousness थी, लेकिन धीरे-धीरे confidence बढ़ने लगा। test खत्म होने पर सुदीप ने उसकी पीठ थपथपाई,
“भाई, tension मत ले। यहाँ सब first time ऐसे ही confused होते हैं। तूने अच्छा किया होगा।”

मुकुंद मुस्कुराया, लेकिन अंदर ही अंदर वह जानता था—अभी असली सफ़र शुरू हुआ है।


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क्लास के बाद library में जाते वक्त मुकुंद की फिर मुलाक़ात आन्या से हुई। वह table पर बैठकर notes बना रही थी। उसके पास जाते हुए मुकुंद ने थोड़ी हिम्मत जुटाई।

“हाय… क्या मैं यहाँ बैठ सकता हूँ?”

आन्या ने सिर उठाया और मुस्कुराई,
“हाँ, क्यों नहीं? वैसे तुमने आज test कैसा दिया?”

मुकुंद ने हिचकते हुए कहा,
“शायद ठीक-ठाक… लेकिन improvement की जरूरत है।”

आन्या ने हल्के मजाकिया लहजे में कहा,
“Improvement की जरूरत सबको होती है। बस मेहनत चाहिए। तुम मेहनती लगते हो।”

यह सुनकर मुकुंद को अजीब-सी राहत मिली। उसके मन में जैसे कोई बोझ हल्का हो गया। library का शांत माहौल और आन्या की बातें उसे भीतर से प्रेरित कर रही थीं।


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शाम को हॉस्टल लौटते समय, सुदीप अपने usual अंदाज़ में मज़ाक करता रहा। उसने chips का packet निकालते हुए कहा,
“भाई, ये college सिर्फ़ किताबों से पास नहीं होगा। थोड़ा खुलकर जीना भी पड़ेगा। Movies, parties, दोस्तों के साथ मस्ती—ये सब यादें भी ज़रूरी हैं।”

मुकुंद ने हँसते हुए कहा,
“हाँ, पर मुझे लगता है कि पढ़ाई और fun दोनों का balance होना चाहिए।”

सुदीप ने उँगली दिखाकर कहा,
“यही तो trick है! Balance करना सीख गया, तो ज़िंदगी आसान लगने लगेगी।”


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अगले दिन result आया। class में सबकी धड़कन तेज़ थी। प्रोफेसर ने answer sheets लौटाईं। मुकुंद की आँखें रुक-रुककर नंबरों पर टिक गईं—उसने average से थोड़ा ऊपर स्कोर किया था।

यह result बहुत बड़ा नहीं था, लेकिन उसके लिए उम्मीद की एक किरण था। पहली बार उसने महसूस किया कि मेहनत से वह अपने और बेहतर कर सकता है।

आन्या पास आई और बोली,
“Congrats! तुम्हारा पहला attempt अच्छा रहा। अगली बार और अच्छा करोगे।”

सुदीप ने कान में फुसफुसाया,
“भाई, तेरे पास अब motivation भी है और inspiration भी… समझ रहा है न?”

मुकुंद हल्के से हँस पड़ा।


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रात को, मुकुंद terrace पर अकेला बैठा था। चाँदनी में हॉस्टल का आँगन चमक रहा था। उसकी आँखों के सामने बचपन की सारी यादें घूम रही थीं—गाँव की कच्ची गलियाँ, खेतों में मेहनत करता पिता, माँ का स्नेह, और poverty का वो बोझ जिसने उसे यहाँ तक पहुँचाया।

उसने सोचा—“यहाँ की दुनिया बिल्कुल अलग है। लेकिन अगर मैं अपने सपनों तक पहुँचना चाहता हूँ, तो मुझे इन चुनौतियों को गले लगाना होगा। यहाँ दोस्त हैं, प्रेरणा है… और अब एक नई ऊर्जा भी। शायद यही मेरा असली सफ़र है।”


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धीरे-धीरे मुकुंद को समझ आ रहा था कि कॉलेज सिर्फ़ किताबों का नहीं, बल्कि रिश्तों और अनुभवों का भी खेल है।
सुदीप उसकी हँसी और energy लेकर आया था, तो आन्या उसकी life में एक शांति और सुकून लेकर आई थी।

लेकिन मुकुंद को यह अंदाज़ा भी नहीं था कि आने वाले दिनों में इन दोनों का रोल उसकी ज़िंदगी में और बड़ा होने वाला है—कभी साथी की तरह, तो कभी चुनौती की तरह।

और इस तरह, मुकुंद की journey का तीसरा अध्याय खत्म हुआ… लेकिन असली कहानी अभी बस शुरू ही हुई थी।