अध्याय 2 – नए रिश्ते और चुनौतियाँ
अगली सुबह, हॉस्टल की खिड़कियों से धूप की हल्की किरणें कमरे में घुस रही थीं। मुकुंद जल्दी उठ गया। कल की हलचल, नए चेहरों और आन्या की मुस्कान का असर अभी भी उसके दिमाग़ में था। उसने अपना बैग तैयार किया और quietly breakfast के लिए नीचे उतर गया।
हॉस्टल के कॉरिडोर में कदम रखते ही उसने महसूस किया कि यहाँ हर कोना कुछ नया सिखा रहा है। लोग जल्दी-जल्दी breakfast लेने जा रहे थे, कुछ दोस्त groups में बातें कर रहे थे, और कुछ अपनी किताबों में मशगूल थे। मुकुंद धीरे-धीरे mess की ओर बढ़ा।
सुदीप ने देखा और मुस्कुराया,
“भाई, देखो ये campus का scene! सब अपने-अपने world में हैं। चलो, breakfast के बाद थोड़ी explore करते हैं।”
मुकुंद भी मुस्कुराया, लेकिन उसके मन में हल्की चिंता थी—“क्या मैं जल्दी से इस माहौल में घुल-मिल पाऊँगा?” उसने खुद से कहा, “हर कोई नया है, मुझे भी adjust करना होगा।”
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कॉलेज की पहली lecture शुरू होने वाली थी। मुकुंद और सुदीप अपनी class में पहुँचे। lecture hall में students की हलचल, नोट्स की खड़खड़ाहट, और प्रोफेसर की आवाज़—सब कुछ नया था।
प्रोफेसर ने शुरुआत में ही कहा,
“यहाँ हर किसी की journey अलग है। मेहनत और लगन से आप अपने सपनों को पा सकते हैं। कठिनाइयाँ आएंगी, लेकिन उन्हें चुनौती समझो।”
मुकुंद के मन में नयी प्रेरणा जगी। उसने नोट्स लेने के दौरान खुद से कहा—“मैं पीछे नहीं रहूँगा। चाहे जितनी भी मेहनत करनी पड़े, मैं अपने सपनों को हासिल करूंगा।”
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लंच टाइम में, मुकुंद और सुदीप बाहर कैफेटेरिया गए। वहाँ उन्हें वही आन्या मिली, जो कल लाइब्रेरी में मिली थी।
आन्या ने मुस्कुराते हुए कहा,
“अरे, आप यहाँ भी हैं! यह कॉलेज इतना बड़ा है कि फिर से मिलना किस्मत जैसी बात है।”
मुकुंद ने हल्की झिझक के साथ जवाब दिया,
“हाँ, लगता है… हम अक्सर मिलते रहेंगे।”
सुदीप ने फुसफुसाया,
“भाई, लगता है तुम्हारी लाइफ में competition start हो गया।”
मुकुंद ने सिर्फ़ मुस्कुराया। लेकिन दिल में कुछ अजीब सा उत्साह महसूस हुआ—कहीं न कहीं, यह दोस्ती और नए रिश्ते उसके लिए कॉलेज को आसान बना देंगे।
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दोपहर की lectures के बाद, मुकुंद ने अपने room में लौटकर notes organize किए। वह जानता था कि कठिनाइयाँ आने वाली हैं—समय management, lectures का pressure, और नए दोस्त बनाना। लेकिन उसने अपने मन में ठान लिया था कि वह इन चुनौतियों से भागेगा नहीं।
रात को, मुकुंद और सुदीप हॉस्टल के terrace पर खड़े थे। आसमान में धीरे-धीरे सूरज ढल रहा था।
सुदीप ने कहा,
“भाई, कॉलेज सिर्फ़ पढ़ाई नहीं है। यहाँ दोस्त, experiences और memories बनती हैं। कोशिश करो, आराम से सीखो, और नए लोगों से बात करो।”
मुकुंद ने गहरी साँस ली और मुस्कुराया—“हाँ… और मैं इस journey को हर पल जीने वाला हूँ। चाहे जो भी आए, मैं पीछे नहीं हटूँगा।”
तभी सुदीप ने उसकी ओर देखा और हँसते हुए कहा,
“तुम्हारा जोश देखकर लगता है कि तुम बड़े सपने देखने वाले हो। बस थोड़ा confident रहो, बाकी सब manage हो जाएगा।”
मुकुंद ने उसकी बात को मन में उतारा। उसे महसूस हुआ कि दोस्ती, guidance और थोड़ी मदद से वह नए माहौल में जल्दी घुल-मिल सकता है।
उस रात, बिस्तर पर लेटे-लेटे मुकुंद ने दिनभर की घटनाओं पर सोचते हुए खुद से वादा किया—“संघर्ष चाहे जितना भी कठिन हो, मैं हार नहीं मानूँगा। यह सफ़र आसान नहीं होगा, लेकिन मैं हर चुनौती का सामना करूंगा। और नए दोस्त, नए रिश्ते और नई यादें इसे खास बनाएँगी।”
और इस तरह, मुकुंद का दूसरा दिन नए रिश्तों, चुनौतियों और उम्मीदों के साथ समाप्त हुआ। उसने जाना कि यह सफ़र सिर्फ़ किताबों का नहीं, बल्कि जिंदगी के हर पहलू का भी है।