first crush in Hindi Love Stories by mood Writer books and stories PDF | पहला क्रश

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पहला क्रश

पहला क्रश किसी किताब का पहला पन्ना जैसा होता है—जिसे पढ़कर हम मुस्कुराते हैं, बार-बार पलटते हैं और फिर भी कभी नहीं भूलते।
ये कहानी है आरव और सिया की।


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स्कूल की वो सुबहें

आरव 10वीं क्लास में था। सीधा-साधा, थोड़ा शर्मीला और ज्यादातर वक्त किताबों में खोया रहने वाला लड़का।
उसकी दुनिया बहुत छोटी थी—किताबें, क्रिकेट और दो-तीन अच्छे दोस्त।

फिर एक दिन क्लास में नई लड़की आई।
उसका नाम था – सिया।
लंबे बाल, चेहरे पर हल्की सी मासूम हंसी और आंखों में वो चमक जैसे कोई कहानी छुपी हो।

पहली बार जब सिया ने क्लास में खड़े होकर “हाय, मैं न्यू ऐडमिशन हूँ” कहा, आरव का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
उस दिन उसने पहली बार समझा कि दिल अचानक क्यों धड़कने लगता है।


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छोटी-छोटी बातें

सिया बहुत जल्दी सबकी दोस्त बन गई।
उसका स्वभाव ही ऐसा था – सबको हंसाना, सबके नाम याद रखना, और हर किसी से बराबरी से पेश आना।

आरव को उसकी हर छोटी-छोटी बात पसंद आने लगी।

जब सिया ब्लैकबोर्ड पर टीचर के सवाल हल करती थी।

जब वो दोस्तों संग खिलखिलाकर हंसती थी।

जब लंच ब्रेक में उसके टिफिन से पराठों की खुशबू फैलती थी।


आरव दूर से बस देखता रहता।
वो जानता था कि ये पसंद करना है, पर कह नहीं पाता था।


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ट्यूशन वाली शामें

कुछ हफ़्तों बाद, किस्मत ने एक और मौका दिया।
सिया भी उसी मैथ्स ट्यूशन में आने लगी जहाँ आरव पढ़ता था।

अब आरव को हर शाम उसका इंतजार रहने लगा।
ट्यूशन से घर लौटते वक्त वो दोनों एक ही रास्ते से जाते थे।
कभी सिया पूछती – “तुम्हें ये चैप्टर कठिन लगता है?”
कभी वो मज़ाक में कहती – “तुम तो सब जानते हो, फिर पढ़ने क्यों आते हो?”

इन छोटी-छोटी बातों में आरव की दुनिया बस गई थी।


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दिल की धड़कन वाला पल

एक दिन ट्यूशन से लौटते वक्त बारिश हो गई।
सारे बच्चे इधर-उधर छिपने लगे।
सिया के पास छाता नहीं था, आरव ने झिझकते हुए अपना छाता आगे बढ़ाया।

दोनों पहली बार इतने करीब थे।
सिया हल्की-सी हंसी के साथ बोली –
"वाह आरव, तुम तो असली हीरो निकले।"

उस पल आरव का दिल इतनी जोर से धड़क रहा था कि उसे लगा सिया भी सुन लेगी।
लेकिन उसने कुछ नहीं कहा… बस उस मुस्कान को हमेशा के लिए अपने दिल में कैद कर लिया।


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अनकही मोहब्बत

समय निकलता गया। बोर्ड की परीक्षाएँ आईं।
सब अपनी-अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गए।

परीक्षा के आखिरी दिन, सिया ने मुस्कुराकर कहा –
"शायद हम सब अब अलग-अलग कॉलेज जाएंगे… याद रखना, ये स्कूल के दिन सबसे अच्छे थे।"

आरव ने मन ही मन कहना चाहा –
"सिया, मेरे लिए ये दिन खास इसलिए हैं क्योंकि तुम हो।"
पर वो कह न सका।

कुछ हफ्तों बाद, रिजल्ट आया… और फिर सब अपनी-अपनी राह पर चल दिए।


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सालों बाद

दस साल बाद, एक सोशल मीडिया पोस्ट पर आरव को सिया का नाम दिखा।
प्रोफ़ाइल खोली तो देखा – वही मुस्कान, वही चमकती आँखें… बस अब सिया एक डॉक्टर बन चुकी थी।

आरव मुस्कुरा दिया।
वो अब समझ चुका था कि पहला क्रश मंज़िल पाने के लिए नहीं, यादों में मुस्कुराने के लिए होता है।

पहला क्रश कभी अधूरा नहीं होता।
वो हमारी यादों में हमेशा ज़िंदा रहता है –
क्योंकि वो हमें सिखाता है कि दिल पहली बार कब और कैसे धड़कता है।
पहला क्रश मंज़िल नहीं होता, लेकिन यादों का वो पहला पड़ाव होता है,
जहाँ दिल पहली बार बेवजह मुस्कुराना सीखता है…
और ये मुस्कान उम्रभर साथ रहती है।