सर्दियों की काली अंधेरी रात..कोहरा जैसे कस्बे की गलियों को निगल रहा था। सड़कों पर अजीब सी चुप्पी थी।
सिमरा के पुराने मंदिरों की घंटियाँ, हवा के झोंके से हल्की-हल्की बज रही थी।
उस रात, शिवनाथ प्रसाद अपने घर के बरामदे पर शॉल ओढ़े बैठे आग सेंक रहे थे।
अचानक... उनके चेहरे का रंग उड़ गया। आँखें फैल गईं, साँसे रुकने लगीं। वो काँप रहे थे जैसे कोई भयानक चीज़ देख ली हो।
वो कुर्सी पर छटपटाने लगे, उन्होंने कांपते हाथों से गले को पकड़ने की कोशिश की, होंठ हिले....
"न -न -न- नहीं !!!"
अगले ही पल वो कुर्सी से गिर पड़े - मृत।
सुबह रिपोर्ट आयी - दिल का दौरा
जिसपे विश्वास करना थोड़ा मुश्किल था क्योंकि शिवनाथ बिल्कुल स्वस्थ्य व्यक्ति थे।
जो भी उनके चेहरे पर जमे दर को देखता, कहता-
" यह कोई साधारण मृत्यु नहीं"
यहाँ से रहस्यमयी मौतों की सिलसिला शुरू हो गया।
अगले ही हफ्ते एक संध्या, नाम की औरत की मौत रसोईघर में खाना बनाते बनाते हो गई।
उसके दो दिन बाद, स्कूल की आठ साल की बच्ची - सुजाता, खेलते खेलते अचानक गिर पड़ी और हमेशा के लिए चुप हो गई।
1 महीने के अंदर ही 12 लोगों की मौत, और कारण सिर्फ एक- चेहरे पर वही डर और दिल का दौरा।
अब, लोगों बातें शुरू हुई-
"वो आ गई है... वो वापस आ गई है।"
"वो वापस आ गयी है। अपनी काली हवेली का श्राप वापस लेकर।"
अफवाहें थी शायद या, सच...
शहर से रिसर्चर आता है , दीपक।
उसके दोस्त अजय की मौत भी इसी दौरान हुई थी।
उसने अपनी रिसर्च शुरू की, और लोगों से बात की।
एक बूढ़े आदमी से बात करने के दौरान उसे पता चला की -
जिन-जिन की लोगों की मौत हुई थी, उन्हें कुछ समय काली हवेली के पास बिताई थी।
दीपक ने वहाँ जाने का फैसला किया।
सारे गाँव वालों ने उसे मना किया।
"बाबू जी उस हवेली से दूर रहना, वहां मौत मंडराती हैं।"
पर दीपक मानता है -
' भूत प्रेत जैसी कोई चीज़ नहीं होती, हर चीज़ के पीछे कोई तर्क होता है '
दीपक कैमरा और टॉर्च लेकर काली हवेली चला गया।
हवेली के अंदर इतना घना अंधेरा था कि दो कदम आगे का भी साफ नहीं दिखता। टूटी खिड़कियों से हवा अजीब सी सिसकारी जैसी आवाज निकाल रही थी ।
अंदर जाते ही दीपक को एक तेज गंध का एहसास होता है- अजीब सिर भारी करने वाला।
टॉर्च की रोशनी में जाले, टूटी सीढियों और दीवारों पर नमीं से बने अजीब धब्बे दिखते हैं - कुछ धब्बे चेहरे जैसे लगते रहे थे।
चारों तरफ सन्नाटा पसरा था। तभी ऊपर छत पर लटक रहे झूमर के हिलने के आवाज से दीपक चौंक जाता है।
वो चारो तरफ घूम घूम कर देखने लगता है । उसे एक तहखाना दिखता है।
वह देखता है- एक पुराना, जंग लगा हुआ जल शोधन टैंक टूटा पड़ा है।
पास में एक पाइप से हल्की-हल्की धुएं जैसी सफेद भाप निकल रही है।
उसका सर घूमने लगता है, आंखे धुँधला जाती हैं, दिल की धड़कन तेज हो जाती है।
उसे लगता है उसके पीछे कोई खड़ा है। वह पीछे मुड़ता है तो वह कोई नहीं होता ।
अगले सुबह वह पास के कॉलेज में गैस के कुछ सैंपल जांच कराता है।
रिपोर्ट आती है - गैस में एक दुर्लभ जहरीला तत्व है, जो दिमाग को भ्रमित करता है , दिल को धड़कन को बढ़ाता है और दिल के दौरे का कारण बन सकता है।
दीपक सोचता है -
"तो ये है मौत का असली कारण , मुझे तो पहले ही लगा था ये भूत-प्रेत बस बातें हैं। "
वो गाँव वालों को सारी बात बताता है और सबको काली हवेली जाने से मना कर देता है।
दीपक वापस लौटने की तैयारी करने लगता है।
रात को होटल में अपना सामान पैक कर रहा होता है।
होटल की खिड़की के ठीक सामने ही थोड़ी दूर पर काली हवेली थी।
जो कमरे की खिड़की से हल्की हल्की दिखती थी...
बिजली अचानक चली जाती है। अंधेरे में सन्नाटा इतना गहरा था कि अपनी धड़कन सुनाई दे।
दीपक इधर-उधर मोमबत्ती ढूंढने लगता है।
तभी.....
उसके कान के पास एक धीमी, ठंडी फुसफुसाहट सुनाई दी-
" तुम्हारा समय भी पूरा हो गया है..."
वह झटके से पीछे मुड़ा लेकिन कोई नहीं था।
कमरे का तापमान अचानक गिर गया, उसने मोमबत्ती जला कर देखा- कोई नहीं था।
उसकी साँस से धुँध निकल रही थी। ठंड से शरीर कांप रहा था।
वह खिड़की खोलकर बाहर झांकता है...सामने कोहरे में काली हवेली की टूटी खिड़की में ऐसा लगते रहा था जैसे कोई उसे घूर रही हो...
दीपक का गला सूख जाता है सांसे भारी हो जाती है।
वो अपनी आंखे मलता कर दोबारा देखता है तो वहां कोई नहीं था।
उसके मन में सवाल गूंजा...
" यह गैस का ही असर था या...सच में कोई है"
अगली सुबह-
"मैंने तो इसे पहले ही मना किया था कि काली हवेली नहीं जाए लेकिन ये शहरी लोग हम गांव वालों की बार कहाँ मानेंगे "
-दीपक होटल के रूम में पड़ा था- मृत
कारण वही...चेहरे पर डर और दिल का दौरा...
_नैना