Styles of people like dogs, frogs etc. in Hindi Human Science by R Mendiratta books and stories PDF | लोगों के कुत्ते, मेढक आदि टाइप के स्टाइल

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लोगों के कुत्ते, मेढक आदि टाइप के स्टाइल

अपने अपने स्टाइल 

लोक सभा हो या ऑफिस ,हॉस्पिटल या फैक्टरी ,इनमें  कई लोग या जनता के प्रतिनिधि होते हैं ,अपने अपने  स्टाइल से काम करते हैं या काम का दिखावा करते हैं,इनको देखिये,समझिये....
पेश हैं इनके style या शैली

    कौआ शैली..काम करो न करो,बॉस या जनता को बताओ कि काफी कर दिया,काँव काँव जरूर करो,नारे जरूर लगाओ,लोग पर्भावित होंगे ही होंगे,अगले चुनाव तक दल बदल लेना,ओह,यह तो आसान है इनके लिए ,प्रेस से दोस्ती भी ज़रूरी है इनके लिए । 
     आंकड़े बाज़ी भी मुश्किल नहीं,दो चार ज़ीरो एक्स्ट्रा  लग गए तो क्या हुआ,जनता मूर्ख है और रहेगी। 

शतुर्मुर्ग ..काम नहीं,काम का दिखावा करना है बस,लोग तो आपके पंख यानी चोंच आदि देख के खुश हो जाएंगे
     कभी कभी आप तूफान के डर के अपनी चोंच को ज़मीन मे भी डाल देते हो,स्थिति को समझे बिना।यह बात और है कि तूफान के बाद न चोंच रहेगी न पंख। 
स्थिति तब तक और विकट हो चुकी होगी भाई जी। 

लोमड़ी style
   किसने कितना किया,यह लोमड़ बॉस का इंफोर्मर् होता है,सारे दिन सिर्फ इधर उधर की लगाना,बॉस को खुश रखो बस। हर ऑफिस फैक्ट्री मे कई लोमड़ीयां या लोमड़ मिलेंगे। 
     लोमड़ी को काम से मतलब नही सिर्फ  राजनीति से होता है,इनाम तो मिलता ही है । 
      आपके लिए अंगूर खट्टे नहीं,प्लेट में रख के मिलते हैं,बॉस,जनता,सब आपको ही पूजते हैं। असली चेहरा न आये सामने,बस इसका ख्याल रखिये आप। 


मेंड़क शैली....  काम करो या न करो,दो चार या छ महीने hybernate हो जाओ,मस्त रहो,मस्ती में,अधिक समय टूर पर ही रहो,ऑफिस जाए भाड़ में। बीच बीच मे टरराते रहिये। लोग आश्वस्त रहेंगे कि आप काम कर रहे हैं। 
     ट्वीटर आदि आपकी सुविधा के लिए ही तो हैं। 

गधा शैली..काम किये जा,फल दूसरे खाएंगे ,कोई बात नही,आप को काम की कमी नही रहेगी,प्रोमोशन तो औरों की ही होगी,हे हे,मंत्री पद तो भूल ही जाओ भाई जी। 
कुत्ता शैली
     कई तरह के होते हैं,बुल डॉग,ग्लेरियन आदि
इस पर फिर कभी। पर बुल डॉग शैली मे जबरदस्त आत्म विश्वास चाहिए। 
गलती हुई और गए काम से। 
    और हाँ,पामेरियन के तो क्या कहने,उसे तो सोफा,बेड,चिकन आदि प्लेट में ही रख कर मिलता है,क्या कहूँ आगे। 
     

     हो सके तो अपना style share करिये 😀


पुंछ चर्चा 

यह वैचारिक लेख है,किसी भी तरह इसे राजनीति से लिंक न किया जाए,कोई resemblence लगे तो वो इत्तेफाक ही हो सकता है,मैं ज़िम्मेदार नही उसका)
   (  न चुडेल्,न राजनीति, पर यह पूँछ वाला विषय  काफी मज़ेदार है,विद्वान  चर्चा करते रहते हैं,यह एक नया आयाम है....)

पूँछ सभी की होती है ( किसी किसी इंसान को छोड़ कर )पर बेचारा कुत्ते इसके लिए बदनाम हैं,आईये देखते हैं क्यों?
    कुत्ते खुश हो तो पूँछ हिलाते है ,क्या करें,बोल तो नही सकते न? अब पूँछ टेडी है तो क्या करे?टेडी ही तो हिलेगी न,आप उसमे पेंडुलम जैसा कुछ मत ढूँढिये
या कोई और शोध मत कीजिये। 
    पूँछ वो अपनी दोस्त को देख के भी हिलाता है,पर वो लिफ्ट दे न दे,उस पर निर्भर है,हम आप कुछ नहीं कर सकते इसमें। 
    कई बार  मीटिंग मे व्यस्त कोई आदमी अपनी (पूँछ) दबा लेता है और दूर चला जाता है,शायद हार स्वीकार करके,पर कोई कमज़ोर कुत्ता (आदमी) दिखते ही फिर ऊँची उर्ध्व आकार  की पूँछ के साथ आ जाता है वापेस्,
आप सोचिये न,क्यों?
    मैंने कई बार देखा है,डण्डे जैसी उर्ध्वाकार सीधी पूँछ वाला कुत्ता,जो किसी से डर से शायद ऐसा करता होगा,पर बाद मे टेडी की टेडी। यह जरूर शोध का बिषय हो सकता है। 
(यानी सीधी टेडी,यहाँ पर पूँछ dynamik मोड मे चली गई है,मौका देखा और सीधी या टेडी हो गई,खैर। )

    लोग कहते है कि फलाने की पूँछ कुत्ते जैसी टेडी है तो हैरान मत होइये, यानी वो आदमी पूँछ पे विचार ही नही कर रहा कि उसे सीधी करूँ या न करूँ,करूँ तो क्या फायदा होगा आदि। 
     रस्सी जल गई बल नही गए,यह मुहावरा लगता है पर वो प्रासंगिक नही यहाँ पर। 

   (  चुडेल् नही हैं न राजनीति,बस कुत्ते पे हुई चर्चा)