Andekhi parchai in Hindi Horror Stories by Parth Ahir books and stories PDF | अनदेखी परछाई

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अनदेखी परछाई

राज एक सफल लेकिन आत्मग्लानि से घिरा हुआ बिज़नेसमैन है, जो अपनी पत्नी लीना और बेटी मुन्नी के साथ एक पुराने, आलीशान हवेली में शिफ्ट होता है। यह नया घर, बाहर से जितना खूबसूरत दिखता है, अंदर से उतना ही रहस्यमय और डरावना है। यह परिवार अपनी बड़ी बेटी श्रेया की दुखद मृत्यु के बाद सामान्य जीवन की ओर लौटने की कोशिश कर रहा होता है।

शुरुआत में सब ठीक लगता है, लेकिन धीरे-धीरे हवेली का असली चेहरा सामने आने लगता है। मुन्नी को अजीब सपने आने लगते हैं, वो अकेले में किसी से बातें करती है, और कई बार तो अचानक चिल्ला उठती है। लीना को पहले लगता है कि ये सदमे का असर है, लेकिन जब चीजें उड़ने लगती हैं, घर में साये दिखने लगते हैं और मुन्नी की तबीयत गिरने लगती है, तब वो समझ जाती है कि ये कुछ और है।

राज, जो पहले इन सब बातों को नज़रअंदाज़ करता था, अब डरने लगता है जब उसकी बेटी गायब हो जाती है। मुन्नी अचानक एक दिन घर से लापता हो जाती है और कहीं कोई सुराग नहीं मिलता। तब राज और लीना मदद लेते हैं एक तांत्रिक विशेषज्ञ से, जो बताता है कि इस घर में कोई आत्मा है जो बदला लेना चाहती है।

इस खोज के दौरान पता चलता है कि आत्मा श्रेया की नहीं है, बल्कि एक लड़की जान्हवी की है। जान्हवी कभी राज की ऑफिस में काम करती थी। वह एक मासूम और मेहनती लड़की थी, लेकिन राज उससे आकर्षित हो गया था। एक दिन उसने जान्हवी को अकेले में छूने की कोशिश की। जान्हवी ने डर कर खुद को छुड़ाया और भागने की कोशिश में ऊपर से गिर पड़ी और उसकी मौत हो गई।

राज ने उस दिन अपनी गलती छुपाने के लिए जान्हवी की लाश को घर में छुपा दिया और पूरे ऑफिस की सीसीटीवी फुटेज भी मिटा दी। लेकिन किसी गुनाह से कोई बच नहीं सकता।

जान्हवी की आत्मा अब राज की बेटी को निशाना बनाकर उसी दर्द का एहसास कराना चाहती थी जो कभी उसने महसूस किया था — डर, अकेलापन और मौत की दहलीज़ तक का सफर।

लेकिन इस आत्मा की गहराई में सिर्फ बदला नहीं था, एक अधूरी दास्तान थी। जान्हवी मुन्नी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती थी, वो सिर्फ राज को उसके कर्मों का आईना दिखाना चाहती थी।

जब तांत्रिक राज से पूछता है कि उसने क्या ऐसा किया है जो किसी आत्मा को चैन नहीं लेने देता, तब राज टूट जाता है और पूरी सच्चाई कुबूल करता है। लीना भी सन्न रह जाती है। सच जानने के बाद वे जान्हवी से माफी मांगते हैं और उसके लिए पूजा करवाते हैं।

आखिरकार, राज को एक लकड़ी की संदूक में मुन्नी की आवाज सुनाई देती है। जब वह संदूक खोलता है, तो मुन्नी बेहोश हालत में वहां मिलती है, लेकिन जिंदा। उसके पास दो चॉकलेट होती हैं जिनमें नट्स होते हैं, और चूंकि उसे नट्स से एलर्जी थी, शायद आत्मा ने ही उसे ये चॉकलेट दी थी लेकिन ऐसा इंतज़ाम किया कि मुन्नी उन्हें खा न सके।

मुन्नी की जान बच जाती है, और जान्हवी की आत्मा भी शांत होकर वहां से विदा हो जाती है। घर का माहौल फिर से सामान्य हो जाता है, लेकिन राज अब जीवन भर उस अपराधबोध के साथ जीता है जो उसने एक मासूम लड़की की जिंदगी छीनकर कमाया था।




कहानी से सीख:
कभी-कभी हमारे किए गए पाप इतने गहरे होते हैं कि समय उन्हें भुला देता है, लेकिन आत्माएं नहीं। किसी का विश्वास तोड़ने, किसी को डराने या नुकसान पहुँचाने से पहले यह सोचें कि उसका परिणाम कितना भयानक हो सकता है।